पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी द्वारा सहारा समूह की दो कंपनियों – सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के खिलाफ सुनाया गया आदेश 66 लाख निवेशकों को ब्याज समेत उनका धन लौटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समूह और उसके मुखिया सुब्रत रॉय के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं और अंदेशा जताया गया है कि इन कंपनियों में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्डिंग हो रही है। सेबी के पूर्णकालिक निदेशकऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बीते वित्त वर्ष 2010-11 में तय लक्ष्य से भी अधिक कर-वसूली के लिए आयकर विभाग की पीठ थपथपाई और कहा कि 7.90 लाख करोड़ रुपए की अप्रत्याशित कर वसूली करके विभाग ने देश को वित्तीय मजबूती के रास्ते पर लाने में मदद दी है। सरकार ने 2010-11 में 7.90 लाख करोड़ रुपए का कर संग्रह किया जबकि 74,000 करोड़ रुपए का रिफंड जारी किया। वित्त मंत्री ने केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड :सीबीडीटी:औरऔर भी

कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है पर अभी कुछ समय पहले तक भारत की बीमा कंपनियों का सोचना इससे उलट था। उनके लिए पॉलिसीधारक ऐसा निरीह प्राणी होता था जो शायद परेशानी सहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए या इरडा) की पहल से अब माहौल बदल चुका है। कैसी समस्याएं: अमूमन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को जो समस्याएं सताती हैं उनमें खास हैं – पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांडऔरऔर भी

रिटेल निवेशक कब तक टेक्निकल एनालिस्टों के चार्टों की धुन पर, सपेरों की बीन पर सांप की तरह नाचते रहेंगे? यह एक बड़ा सवाल है और इसका जवाब रिटेल निवेशक ही दे सकते हैं। अभी तक वे ब्रांड-भक्त बने हुए हैं और अपने ही ब्रोकरों का कहा सुनते हैं। लेकिन इन ब्रोकरों का सरोकार तो अपने धंधे-पानी से ज्यादा और रिटेल निवेशकों की जेब से कम होता है। जैसी कि उम्मीद थी, चार्टवाले राग अलापने लगे किऔरऔर भी

अगर कोई शेयरधारक साल के बीच में अपना डीमैट एकाउंट किसी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) के पास बंद कराके दूसरे डीपी के पास ले जाता है तो पहले डीपी को शेयरधारक से लिए गए सालाना या छमाही एकाउंट मेंटेनेंस चार्ज (एमएमसी) का बाकी तिमाही का हिस्सा लौटाना होगा। पूंजी बाजार नियामक सस्था, सेबी ने गुरुवार को एक सर्कुलर जारी कर यह निर्देश दिया है। अभी तक होता यह है कि डीपी साल या छमाही की शुरुआत में डीमैटऔरऔर भी