बीमा शिकायतों का समाधान अब आसान

कहते हैं कि ग्राहक भगवान होता है पर अभी कुछ समय पहले तक भारत की बीमा कंपनियों का सोचना इससे उलट था। उनके लिए पॉलिसीधारक ऐसा निरीह प्राणी होता था जो शायद परेशानी सहने के लिए अभिशप्त है। लेकिन बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (आईआरडीए या इरडा) की पहल से अब माहौल बदल चुका है।

कैसी समस्याएं: अमूमन जीवन बीमा पॉलिसीधारकों को जो समस्याएं सताती हैं उनमें खास हैं – पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांड जारी कर दिया गया, सरेंडर वैल्यू नहीं मिली, एजेंट ने जिस प्रोडक्ट के फीचर बताए थे उससे अलग उत्पाद मिला, पॉलिसी के टर्म अलग हैं, छिपे प्रभार को साफ नहीं बताया गया, फ्री लुक रिफंड नहीं प्राप्त हुआ, मेच्योरिटी क्लेम नहीं मिला, पेंशन की किस्त नहीं मिली या फिर डेथ क्लेम नहीं मिला।

रिमाइंडर व चक्करबाजी: आप वह जमाना याद कीजिए, जब बीमा की दुनिया में सिर्फ एक ही कंपनी का एकाधिकार था। इस सरकारी कंपनी के पास हालांकि प्रोडक्ट तो बेहतरीन थे, पर ग्राहकों की शिकायतों को तेजी से निपटाया नहीं जाता था। तब एक छोटी-सी गलती सुधारने में बीमाधारकों को कई रिमाइंडरों/चक्करों व परेशानियों से गुजरना पड़ता था।

बाय-बाय लेटलतीफी: एक हिंदी समाचार पोर्टल के संचालक चंद्रकांत जोशी याद करते हैं कि कुछ साल पहले उन्हें अपनी पॉलिसी में सिर्फ नॉमिनेशन बदलवाना था। लेकिन इस छोटे से काम के लिए उन्हें शाखा कार्यालय के कई चक्कर काटने पड़े। पर पिछले दिनों दिनों उसी बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू सारी औपचारिकताओं को पूरा करने के दस दिन के भीतर उन्हें मिल गई।

त्वरित सेवा: दुनिया के जाने-माने कारोबारी व अरबपति वॉरेन बफेट ने एक इंटरव्यू में कहा है कि कंपनियों को प्रोडक्ट की श्रेष्ठता से ज्यादा ध्यान बेहतर सेवा पर देना चाहिए क्योंकि बेहतर सेवा ही कंपनी की ओर ज्यादा से ज्यादा उपभोक्ताओं को आकर्षित करती है। बीमा में चूंकि प्रोडक्ट से ज्यादा त्वरित सेवा का महत्व है लिहाजा भारत की बीमा कंपनियां त्वरित सेवा पर ध्यान दे रही हैं।

असंतुष्ट ग्राहकों के लिए: इंश्योरेंस फॉर ऑल के जयंत कुलकर्णी का कहना है कि एक असंतुष्ठ ग्राहक कम से दस संभावित ग्राहकों को कंपनी की उत्पाद या सेवा से दूर कर देता है। इस तथ्य को अब बीमा कंपनियों ने भली-भांति समझ लिया है। इसलिए आज का माहौल दूसरा है। सभी बीमा कंपनियों में स्वतंत्र शिकायत समाधान कक्ष हैं। कोई भी असंतुष्ट ग्राहक इस कक्ष से संपर्क स्थापित कर सकता है।

कई स्तरों पर समाधान: आज बीमा ग्राहकों की समस्याएं कैसी भी हों, उनका कई स्तरों पर समाधान उपलब्ध है। पहले तो कंपनी का शिकायत समाधान कक्ष है फिर बीमा लोकपाल है जो कि ज्यादातर बड़े शहरों में उपलब्ध हैं। अगर ग्राहक को वहां से भी संतोष न हुआ, वह सीधे इरडा को अप्रोच कर सकता है। उसके बाद इरडा अपने स्तर पर सीधे बीमा कंपनी से संपर्क करती है।

पहल है इरडा की: पिछले साल इरडा ने मीडिया में विज्ञापनों के जरिए लोगों से कहा था कि वे बीमा कंपनी की सेवा से अगर संतुष्ट नहीं हैं तो इरडा से सीधे शिकायत करें। इरडा ने अपने विज्ञापनों में टोलफ्री नंबर भी दिए थे। यह नंबर है 155255। बीमा पॉलिसीधारक इस नंबर पर फोन करके भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

ऑनलाइन, फोन व डाक भी: इरडा ने पिछले साल बीमा कंपनियों से कहा था कि वे बीमा ग्राहकों की शिकायतों पर खास ध्यान दें। वे अपने यहां परिपूर्ण शिकायत समाधान कक्ष स्थापित करें। साथ ही उनके यहां ऑनलाइन/कॉलसेंटर या डाक से आए हुए पत्रों के आधार पर शिकायत दर्ज करवाने की सुविधा भी होनी चाहिए।

हर समाधान की समयसीमा: इरडा ने बीमा कंपनियों को हर शिकायत का समाधान करने की समय सीमा भी तय कर दी है। मसलन पॉलिसी बांड नहीं मिला, गलत पॉलिसी बांड जारी कर दिया गया, सरेंडर वैल्यू नहीं मिली, एजेंट जिस प्रोडक्ट के फीचर बताए थे उससे अलग उत्पाद मिला, पॉलिसी के टर्म अलग हैं, छिपे प्रभार को स्पष्ट नहीं किया गया और फ्री लुक पीरियड का रिफंड नहीं मिला – इस तरह की शिकायतों को दस दिन के भीतर निपटाया जाना चाहिए।

ताकि काम हो जल्दी: 15 दिन के अंदर मेच्योरिटी क्लेम नहीं मिला और पेंशन की किस्त नहीं मिली, फिर भी ग्राहक को सही उत्तर मिल जाना चाहिए। जबकि डेथ क्लेम नहीं मिला इस प्रकार की शिकायत का समाधान 30 दिन के भीतर हो जाना चाहिए।

राजेश विक्रांत (लेखक मुंबई में कार्यरत एक बीमा प्रोफेशनल हैं)

3 Comments

  1. Dear sir/medam
    मै कुँवरलाल पाल s/o अच्छेलाल पाल ग्राम विनोद कुन्ज चकरा का निबासी हूँ। मेने अपनी FD 1.5 लाख की सन 2010 में महेंद्र कुमार जेन के पास करबाई थी
    तब महेन्द्र कूमार जेन ने बोल था की आपका पैसा अगले 5 साल में दुगना हो जायेगा।
    लेकिन जब पांच साल बाद उसके पास गए तब वह अपने बादे से मुकर गया और बोलने लगा की अब आपका पैसा 10 साल में दुगना होगा ।
    इसलिए हमने अपनी FD 21/11/2015 में निकालबाली जिसका 43000 हजार रुपये TDS कट गया सर में कर दाता भी नहीं हु। किस चीज का पैसा कट गया सर कुछ समझ में नहीं आ रहा है।
    सर में अनापाड हूँ अगुटा छाप में 2015 में अपने सभी दस्ताबेज एजेंट महेंद्र कुमार जेन के मांगने पर उसके पास जमा कर दिए है। 2015 से आज तक हमारा TDS नहीं मिला सर हमें बताये की क्या करे अपना TDS निकल बाने के लिए
    और हम पिछले 2 साल से घूम रहे है LIC ब्रांच और agent के पास पर कोई सुन ही नहीं रहा है।
    जब हमने अपनी सिकायात आयकर बिभाग टीकमगढ़ की तब बिभाग द्वारा 16A फॉर्म मागा था ।
    जब हम 16A फॉर्म लेने ब्रांच गए तब ब्रांच बाले फॉर्म देने से इंकार कर दिया ।
    LIC Agent mahendra kumar jain s/o bhagchand jain code- 0079237e Gram ramnagar mob.9993636661 ke pass fd karbai thi

    Regard
    Kunwarlal pal
    S/o achhelal pal
    Policy no.357240996
    Mob. 6260807733

    please suggest me ab kya karu me me ak anpad hu

  2. मूझे irada के कर्मचारी श्री संजय माथूर ,दिनेश मेहरा एवं अरविंद सिन्हा का मोवाईल नम्बर चाहिए ।
    क्या irda का वा्टसप नं० – 8860100908 है ।
    क्या irda का खाता संख्या – Fgi sarvices -3679412490 central bank , pashchim vihar
    &. Fgi sarvices – 003705500847 Icici bank new delhi है ।

  3. मूझे irada के कर्मचारी श्री संजय माथूर ,दिनेश मेहरा एवं अरविंद सिन्हा का मोवाईल नम्बर चाहिए ।
    क्या irda का वा्टसप नं० – 8860100908 है ।
    क्या irda का खाता संख्या – Fgi sarvices -3679412490 central bank , pashchim vihar
    &. Fgi sarvices – 003705500847 Icici bank new delhi है ।इन लोगो ने अपने आप को IRDA का अधिकारी बता रहे है ।
    कृपया जाँच कर के अवगत कराए ।
    ध्नयवाद् ।

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