वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में कर-मुक्त आय की सीमा 2.50 लाख रुपए के वर्तमान स्तर से मात्र 50,000 रुपए बढ़ाकर 3 लाख रुपए की है। लेकिन उन्होंने चारा फेंका है कि नई टैक्स प्रणाली के तहत अगर आप साल भर में 7 लाख रुपए तक कमाते हैं तो आपको कोई टैक्स नहीं भरना पड़ेगा क्योंकि आयकर कानून के सेक्शन 87-ए के तहत टैक्स रियायत की सीमा 12,500 रुपए से बढ़ाकरऔरऔर भी

ऐसा मत समझिएगा कि खाद्य सुरक्षा बिल पास होने के बाद हम अंगुली पकड़ने के बाद पहुंचा पकड़ने लगे हैं। ये खाद्य सुरक्षा से भी ज्यादा वाजिब सवाल और मांग है जो खैरात नहीं है। खाद्य बिल भले ही हमे अहसास कराए कि सरकार हम पर अहसान कर रही है, बिना इस अहसास के साथ कि आज़ादी के 66 साल जिसमे 55 साल कांग्रेस का शासन था, कांग्रेस को आज भी लगता है कि 84 प्रतिशत नागरिकोंऔरऔर भी

जिस देश के खज़ाना मंत्री को यह न पता हो कि उसके 125 करोड़ निवासियों में से कितने करोड़पति हैं और वो इसके लिए अमीरों की सत्यवादिता पर भरोसा करता हो, उस देश के खज़ाने का भगवान ही मालिक है और तय है कि कर्ज पर उस देश की निर्भरता बढ़ती चली जानी है। दूसरे शब्दों में उसका राजकोषीय घाटा बढ़ते ही जाना है। फिर भी हमारे वित्त मंत्री या खज़ाना मंत्री पी चिदंबरम दावा करते हैंऔरऔर भी

चालू वित्‍त वर्ष 2011-12 में अप्रैल से जनवरी तक के दस महीनों में कुल प्रत्‍यक्ष कर वसूली 4,25,274 करोड़ रूपए रही है, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान हुई 3,71,188 करोड़ रूपए की वसूली से 14.57 फीसदी अधिक है। इस दरम्यान अप्रत्यक्ष कर संग्रह 3,17,233 करोड़ रुपए रहा है जो पिछले वर्ष की समान अवधि की अपेक्षा 15.1 फीसदी ज्यादा है। वित्त मंत्रालय की तरफ से बुधवार को जारी जानकारी के मुताबिक, प्रत्यक्ष करोंऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट में जिस कंपनी की पैरवी देश के पूर्व सोलिसिटर जनरल हरीश साल्वे और कांग्रेस के प्रवक्ता व जानेमाने वकील अभिषेक मनु सिंघवी कर रहे हों, उसका जीतना कोई मुश्किल नहीं था। वह भी तब, जब मामला किसी विदेशी कंपनी का हो और हमारी सरकारी विदेशी निवेश को खींचने के लिए बेताब हो। इन दोनों प्रख्यात वकीलों की तगड़ी पैरवी की बदौलत वोडाफोन ने सुप्रीम कोर्ट में वह मामला जीत लिया जिसमें उसे पहले बॉम्बे हाईकोर्टऔरऔर भी

भारतीय अर्थव्यवस्था ने कमजोरी दिखाई है। जीडीपी की विकास दर सुस्त पड़ी है। कॉरपोरेट क्षेत्र के लाभार्जन के अनुमान घटा दिए गए हैं। दुनिया से नकारात्मक खबरें आ रही हैं। और, बाजार में फौरन सुधार की कोई आशा नहीं है। इन सारी बातों के मद्देनज़र अगर मंदड़िए हर बढ़त पर बेच रहे हैं तो उनका ऐसा करना जायज है। मंदड़ियों की यह ताजातरीन उम्मीद भी गलत नहीं कही जा सकती है कि निफ्टी 2700 तक जा सकताऔरऔर भी

देश के केवल 3% लोग ही इनकम टैक्स देते हैं। वित्त वर्ष 2009-10 (आकलन वर्ष 2010-11) में कुल 3.13 करोड़ लोगों से आयकर दिया है। अगले साल 2012 से प्रत्यक्ष कर संहिता लागू होने के बाद भी भारतीय करदाताओं की संख्या कमोबेश इतनी रहेगी क्योंकि साल भर में दो लाख से ज्यादा करयोग्य आमदनी वाले लोगों की संख्या करीब-करीब इतनी ही है। वैसे, सरकार के लिए कर जुटाना अब सस्ता होता जा रहा है। 2009-10 में करऔरऔर भी

नौकरीपेशा लोगों के एक हिस्से को आयकर रिटर्न दाखिल करने से मुक्ति की वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की बजट घोषणा के बारे में अभी तक केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। लेकिन सीबीडीटी के चेयरमैन सुधीर चंद्रा के मुताबिक इस साल 5 लाख रुपए से कम वेतनवाले लोगों को टैक्स रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी। सुधीर चंद्रा का कहना है, “वेतनभोगी लोगों, हो सकता है 5 लाख रुपए तकऔरऔर भी

सीबीआई ने दो दशक से अधिक पुराने बोफोर्स मामले में इतालवी व्यवसायी ओत्तावियो क्वात्रोच्चि के खिलाफ कार्यवाही वापस लेने का यह कहते हुए बचाव किया है कि उसे आयकर अपीली न्यायाधिकरण (आईटीएटी) के आदेश के मद्देनजर सरकार से कोई ताजा निर्देश नहीं मिला है। बता दें कि क्वात्रोच्चि कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट विनोद यादव के समक्ष जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताऔरऔर भी