संवत 2073 बीत गया। नया संवत 2074 शुरू हो रहा है। सभी शुभलाभ के लिए शुभ शुरुआत की कामना रखते हैं। यह बहुत अच्छी बात है और सहज मानव स्वभाव का हिस्सा है। लेकिन वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में जहां हर दिन नहीं, हर पल हालात व भाव बदलते हों, वहां क्या कोई शुभ शुरुआत अपने-आप में पर्याप्त हो सकती है? यहां तो बराबर ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी’ वाली स्थिति रहती है। इसी फ्रेम में हमें मुहूर्तऔरऔर भी

सी-सॉ का खेल। तराजू के एक पलड़े पर डॉलर तो दूसरे पर रुपया। दो साल पहले जुलाई 2011 में डॉलर को बराबर करने के लिए पलड़े पर 44.32 रुपए रखने पड़ते थे। अब 61.22 रुपए रखने पड़ रहे हैं। इस तरह रुपया डॉलर के मुकाबले दो साल में 38.13 फीसदी हल्का हो चुका है। इस दौरान डॉलर खुद अपने देश में मुद्रास्फीति (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित) के कारण जुलाई 2012 तक 1.7 फीसदी और उसके बादऔरऔर भी

नियम है कि बाज़ार में एंट्री मारते समय बहुत सावधानी बरतें। पूरी रिसर्च के बाद ही किसी सौदे को हाथ लगाएं। लेकिन निकलने में तनिक भी देर न करें। राणा की पुतली फिरी नहीं, तब तक चेतक मुड़ जाता था। हल्की-सी आहट मिली कि खटाक से निकल लिए। पर आम लोग इसका उल्टा करते हैं। घुसते खटाक से हैं। लेकिन लंबा इंतज़ार करते हैं कि बाज़ार उनकी चाहत पूरा करेगा, तभी निकलेंगे। देखते हैं आज का बाज़ार…औरऔर भी

बाज़ार वही, शेयर भी वही। एक-सा उठना-गिरना। पर यहां कुछ लोग हर दिन नोट बनाते हैं, जबकि ज्यादातर की जेब ढीली हो जाती है। शेयर बाज़ार की बुनावट ही ऐसी है कि यहां कुछ कमाते हैं, अधिकांश गंवाते हैं। फुटबॉल मैच का उन्माद खोजनेवाले यहां पिटते हैं। काहिलों को बाज़ार खूब धुनता है। वो आपके हर आग्रह-दुराग्रह, कमज़ोरी का इस्तेमाल आपके खिलाफ करता है। सो, रियाज़ से हर खोट को निकालना ज़रूरी है। अब नज़र आज पर…औरऔर भी

बाजार की उम्मीद और अटकलें खोखली निकलीं। रिजर्व बैंक गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने ब्याज दरों में कोई तब्दीली नहीं की है। बल्कि, जिसकी उम्मीद नहीं थी और कहा जा रहा था कि सिस्टम में तरलता की कोई कमी नहीं है, मुक्त नकदी पर्याप्त है, वही काम उन्होंने कर दिया। सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 4.75 फीसदी से घटाकर 4.50 फीसदी कर दिया है। यह फैसला इस हफ्ते शनिवार, 22 सितंबर 2012 से शुरू हो रहे पखवाड़े सेऔरऔर भी

भारतीय रुपया बुधवार को डॉलर के सापेक्ष तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। दिन भर में जितना भी बढ़ा था, शाम तक सारा कुछ धुल गया। विदेशी मुद्रा डीलरों को लगता है कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में जितनी कटौती करनी थी, कर दी है। आगे इसकी गुंजाइश बेहद कम है। आज खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने भी कह दिया कि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कायम है, इसलिए ब्याज दरों कोऔरऔर भी

गुरुवार को डॉलर के सापेक्ष रुपए की विनिमय दर में करीब 1.2 फीसदी का झटका लगा है। बुधवार को एक डॉलर की विनिमय दर 50.775/785 रुपए थी, जबकि गुरुवार को यह 51.39/40 रुपए पर पहुंच गई। यह 12 दिसंबर 2011 के बाद किसी एक दिन में रुपए को लगा सबसे तगड़ा झटका है। विदेशी मुद्रा बाजार में इसकी दो वजहें मानी जा रही हैं। एक तो तेल आयातकों की तरफ से लगातार बढ़ रही डॉलर की मांग।औरऔर भी

देश का बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी पूंजी की कम आवक, नतीजतन चालू खाते का बढ़ जाना, ऊपर से पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग व आयात पर निर्भर दूसरी कंपनियों में डॉलर खरीदने के लिए मची मारीमारी ने मंगलवार को डॉलर के सामने रुपए को ऐतिहासिक कमजोरी पर पहुंचा दिया। सुबह-सुबह एक डॉलर 52.73 रुपए का हो गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर भी 52.70रुपए प्रति डॉलर रखी गई थी। हालांकि शाम तक रुपए की विनिमय दर में थोड़ा सुधारऔरऔर भी

कमजोर होती यूरोप मुद्रा यूरो और देश के भीतर कॉरपोरेट क्षेत्र व तेल कंपनियों की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है तो रुपया गिरता चला जा रहा है। मंगलवार को एक डॉलर 50.76 रुपए का हो गया है जो 31 मार्च 2009 के बाद के 32 महीनों में रुपए का सबसे कमजोर स्तर है। सोमवार को यह डॉलर के सापेक्ष 50.285/295 रुपए पर बंद हुआ था। मंगलवार को रिजर्व बैंक की संदर्भ दर 50.5645औरऔर भी