भारतीय रुपया बुधवार को डॉलर के सापेक्ष तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया। दिन भर में जितना भी बढ़ा था, शाम तक सारा कुछ धुल गया। विदेशी मुद्रा डीलरों को लगता है कि रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में जितनी कटौती करनी थी, कर दी है। आगे इसकी गुंजाइश बेहद कम है।
आज खुद रिजर्व बैंक के गवर्नर दुव्वरि सुब्बाराव ने भी कह दिया कि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम कायम है, इसलिए ब्याज दरों को फिर से बढ़ाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। एनालिस्टों के साथ कॉन्फ्रेंस कॉल में उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर दोहराना चाहता हूं कि ब्याज दरें बढ़ाने की प्रायकिता शून्य नहीं, बल्कि थोड़ी जरूर है। उसी तरह जैसे ब्याज दरों को और घटाने की संभावना शून्य नहीं, बल्कि मामूली है।”
रुपया बुधवार को डॉलर के सापेक्ष 51.78/79 पर बंद हुआ जबकि मंगलवार का बंद स्तर 51.48 रुपए था। इस साल 16 जनवरी के बाद से यह रुपए का न्यूनतम स्तर है। विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि रुपया और गिरकर 52.12 रुपए प्रति डॉलर तक जा सकता है।
बाजार में चिंता भारत के बढ़ते चालू खाते के घाटे को लेकर है। आईडीबीआई बैंक के खजांची एन एस वेंकटेश का कहना है, “चालू खाते के घाटे और भुगतान संतुलन की स्थिति के चलते रुपया मौजूदा स्तर से ज्यादा नहीं बढ़ सकता। ऊपर से राजकोषीय घाटे के चलते रिजर्व बैंक के हाथ भी काफी हद तक बंध गए हैं।” उनका मानना है कि ऐसे में अगर किसी वजह से कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गईं तो सारा मामला बिगड़ जाएगा। बता दें कि देश अपनी जरूरत का 80 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है।
रुपए में एक महीने का फॉरवर्ड सौदा प्रति डॉलर 51.78 रुपए का चल रहा है। वहीं करेंसी फ्यूचर्स बाजार में एनएसई, एमसीएक्स-एसएक्स व यूनाइटेड एक्सचेंज में डॉलर की दर 51.90 रुपए रही। डॉलर/रुपए में कुछ कारोबार बुधवार को 3.64 अरब डॉलर का रहा।