गुरुवार को डॉलर के सापेक्ष रुपए की विनिमय दर में करीब 1.2 फीसदी का झटका लगा है। बुधवार को एक डॉलर की विनिमय दर 50.775/785 रुपए थी, जबकि गुरुवार को यह 51.39/40 रुपए पर पहुंच गई। यह 12 दिसंबर 2011 के बाद किसी एक दिन में रुपए को लगा सबसे तगड़ा झटका है।
विदेशी मुद्रा बाजार में इसकी दो वजहें मानी जा रही हैं। एक तो तेल आयातकों की तरफ से लगातार बढ़ रही डॉलर की मांग। भारत अपनी पेट्रोलियम तेल की मांग का करीब 80 फीसदी हिस्सा आयात से पूरा करता है। कच्चे तेल का दाम गुरुवार को 124 डॉलर प्रति बैरल रहा है। दूसरी वजह यह है कि शेयर बाजार में गिरावट के चलते विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) अपना निवेश निकाल रहे हैं। गुरुवार को एफआईआई की शुद्ध बिकवाली 1332.85 करोड़ रुपए (करीब 26 करोड़ डॉलर) रही है।
विदेशी बैंक में कार्यरत एक डीलर ने कहा कि जिस तरह बाजार में डॉलर की मांग आ रही है, उसमें शुक्रवार को रुपया और कमजोर हो सकता है। लेकिन रुपए में गिरावट जारी रही तो रिजर्व बैंक उसे संभालने के लिए बाजार में डॉलर बेच भी सकता है। इस साल जनवरी में रिजर्व बैंक ने हाजिर बाजार में 7.3 अरब डॉलर बेचे थे। इसी तरह इससे पहले दिसंबर में उसने 7.8 अरब डॉलर बेचे थे।