कमजोर होती यूरोप मुद्रा यूरो और देश के भीतर कॉरपोरेट क्षेत्र व तेल कंपनियों की तरफ से डॉलर की मांग बढ़ती जा रही है तो रुपया गिरता चला जा रहा है। मंगलवार को एक डॉलर 50.76 रुपए का हो गया है जो 31 मार्च 2009 के बाद के 32 महीनों में रुपए का सबसे कमजोर स्तर है।
सोमवार को यह डॉलर के सापेक्ष 50.285/295 रुपए पर बंद हुआ था। मंगलवार को रिजर्व बैंक की संदर्भ दर 50.5645 रुपए प्रति डॉलर रही है, जबकि विदेशी मुद्रा बाजार में यह 50.66/67 रुपए पर बंद हुआ है।
रुपया इस समय एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन कर रही मुद्रा बन चुका है। यह जुलाई के बाद से करीब 13 फीसदी कमजोर हो चुका है, जबकि कैलेंडर वर्ष की बात करें तो अब तक के 11 महीनों में डॉलर के सापेक्ष करीब 12 फीसदी नीचे आ गया है।
एचडीएफसी बैंक मे विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग के प्रमुख आशुतोष राणा का कहना है, “रुपए का मूल्य-ह्रास उम्मीद के हिसाब से हुआ है। मुझे अब इसके 51.35 पर पहुंचने का इंतजार है। अगर यह स्तर टूट गया तो एक डॉलर 52.18 रुपए का हो जाएगा।” उनका कहना था कि व्यापार घाटे और राजकोषीय मसलों का बुरा असर रुपए की विनिमय दर पर पड़ रहा है।