प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) के चेयरमैन सी रंगराजन ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। उनका मानना है कि सेवा क्षेत्र और उद्योगों के विस्तार से यह आर्थिक वृद्धि दर हासिल हो सकती है, हालांकि कृषि क्षेत्र का योगदान घट सकता है। बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री ने 9 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया। लेकिन रिजर्वऔरऔर भी

शेयर बाजार की महत्ता हम लोग नहीं समझते। लेकिन पिछले आठ सालों में शेयर बाजार में सौदों की मात्रा में जबरदस्त इजाफा हुआ है। 2002-03 में यहां साल भर में हुई कुल ट्रेडिंग देश के सकल घेरलू उत्पाद (जीडीपी) का 57.28% थी। लेकिन 2010-11 में यह आंकड़ा 517.30% का हो गया। यानी, हमारी अर्थव्यवस्था का जो आकार है, उसकी पांच गुना से ज्यादा ट्रेडिंग शेयर बाजार में होने लगी है। वैसे इसमें से 445.91% ट्रेडिंग ऑप्शंस वऔरऔर भी

जीवन की यात्रा और उसमें हर मोड़ पर सीखना एक अटूट श्रृंखला है। हम नहीं रहते तो हमारे बाल-बच्चे इसे आगे बढ़ाते हैं। कड़ी कभी कहीं टूटती। जब तक यह सृष्टि है, तब तक यह टूटेगी भी नहीं। लेकिन अगर अगली यात्रा तक पिछली यात्रा के सबक याद न रखे जाएं तो अंत में हम खाली हाथ रह जाते हैं। बर्तन के पेंदे में छेद हो तो उसमें डाला गया सारा तरल निकलता जाता है। इसलिए मित्रों!औरऔर भी

जो कंपनी ठीक पिछले बारह महीनों में अपने हर शेयर पर 79.35 रुपए का शुद्ध लाभ कमा रही हो, जिसके शेयर की बुक वैल्यू (रिजर्व + इक्विटी / कुल जारी शेयरों की संख्या) 200.88 रुपए हो, जिसका पी/ई अनुपात पिछले साल भर से पांच, छह, सात कर रहा हो, फिर भी उसके शेयरों को पूछनेवाले न हों तो भारतीय शेयर बाजार की गली को अंधों की गली ही कहना ज्यादा ठीक होगा। या, बहुत हुआ तो यूंऔरऔर भी

देश में प्रति व्यक्ति आय 2009-10 में 46,492 रुपए रही है। यह साल भर पहले 2008-09 की प्रति व्यक्ति आय 40,605 रुपए से 14.5 फीसदी अधिक है। यह जानकारी सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्री एम एस गिल ने मंगलवार को लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी। लेकिन यह जानकारी पुरानी है क्योंकि उन्हीं का मंत्रालय चालू वित्त वर्ष 2010-11 का भी अनुमान महीने भर पहले 7 फरवरी को जारी कर चुका है। उस समय बताया गयाऔरऔर भी

भारतीय लंदन में घर खरीदने में सबसे आगे हैं। दो साल पहले ही यह रुख दिखाई देने लगा था, पर अब यह हाउसिंग बाजार का एक स्थापित तथ्य बन चुका है कि भारतीय और अन्य विदेशी खरीदार लंदन में घर खरीदने में जुटे हैं। हालांकि ब्रिटेन के अन्य स्थानों पर मकानों की कीमतों में गिरावट आ रही है। लंदन के कुछ मुख्य प्रॉपर्टी डीलरों का कहना है कि अमीर भारतीय लंदन में घर खरीदने में काफी आगेऔरऔर भी

गुल टेकचंदानी को आपने देखा भी होगा, सुना भी होगा, अंग्रेजी और हिंदी के बिजनेस चैनलों पर। निवेश सलाहकार हैं, बाजार के विश्लेषक हैं। निवेश उनका धंधा है। लेकिन सबसे बड़ी बात है धंधे में बड़े बेलाग हैं, ईमानदार हैं। बताते हैं कि छात्र जीवन में ही सट्टे का चस्का लग गया था। 1980-81 के आसपास शेयर बाजार से इतना कमाया कि दक्षिण मुंबई में दफ्तर, गाड़ी, बंगला सब कुछ हो गया। पिता को बोले कि मुझेऔरऔर भी

।।प्रणव मुखर्जी।। भारत आज उस मुकाम पर है जहां कुछ भी करना या पाना असंभव नहीं लगता। साथ ही बहुत सारी चुनौतियां भी हमारे सामने हैं जिन्हें सुलझाकर ही हमने इस दशक के अंत तक विकसित देश के रूप में उभर सकते हैं। इसमें सबसे बड़ी चुनौती है युवा भारत की बढ़ती अपेक्षाएं। यह आबादी का वो हिस्सा है जो बेचैन है। फिर भी डटा हुआ है और सामने आनेवाले हर अवसर को पकड़ने को तैयार है।औरऔर भी

समझ में नहीं आता इन दुखी आत्माओं का क्या करूं? एक दुखी आत्मा ने लिखा है, “हेलो! आप यहां हर वक्त लिखते हैं कि मार्केंट मजबूत रहेगा। लेकिन हर वक्त वो नीचे ही नीचे जा रहा है। आपने लिखा था कि 6200 से 7000 तक निफ्टी जाएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। अगर आपको सही मालूम होता तो क्यों नहीं आप सबको बोलते कि निफ्टी 4500 तक जाएगा। जब निफ्टी 6200 था तब सब अपना बेच देते औरऔरऔर भी

हमारे राजनेताओं को मजबूरन अपनी जुबान खोलते वक्त जन-भावनाओं का ख्याल रखना पड़ता है। लेकिन अच्छे से अच्छे नौकरशाह भी अक्सर जन-भावनाओं के प्रति इतने असंवेदनशील हो जाते हैं कि ऐसी बातें बोल जाते हैं कि अपनी परंपरा का यह नीति-वाक्य तक याद नहीं रहता – सत्यम् ब्रूयात प्रियं ब्रूयात, न ब्रूयात सत्यम् अप्रियं। आपको याद होगा कि कुछ साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा था कि दुनिया में जिंसों के दामऔरऔर भी