सरकार देशी-विदेशी निवेशकों के मनचाहे सुधारों की राह पर चल पड़ी है। रिलायंस-बीपी के करार को कैबिनेट की मंजूरी और सचिवों की समिति द्वारा मल्टी ब्रांड रिटेल में 49 के बजाय 51 फीसदी विदेशी निवेश (एफडीआई) की सिफारिश यूपीए सरकार के साहसी रुख को दर्शाती है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर वह विपक्ष के हमले की धार कुंद करने में लगी है। सरकार का यह अंदाज उन चंद बड़े एफआईआई की तरफ से पेश की गई तस्वीर सेऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की शीर्ष तेल उत्खनन कंपनी ओएनजीसी का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) लगता है कि अगस्त में ही नहीं आ पाएगा। इसका लगभग 11,500 करोड़ रुपए का एफपीओ इस साल मार्च से पहले ही आना था। फिर कहा गया कि यह अप्रैल में आएगा। इसके बाद टाल कर जुलाई किया गया। और, अब कहा जा रहा है कि जून 2011 की तिमाही के नतीजों की घोषणा के बाद ही इस पर विचार किया जा सकता है।औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में शेयर हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को चुस्त दुरूस्त बनाने व तेज करने के लिए सरकार ने एक नियमावली (हैंडबुक) पेश की है। यह हैंडबुक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उप्रकमों (सीपीएसई) और इससे जुड़े विभागों के लिए विनिवेश संबंधी नियमावली है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को राजधानी दिल्ली में इस ‘पब्लिक इश्यू के जरिए विनिवेश पर नियमावली’ शीर्षक की हैंडबुक को जारी किया। उन्होंने कहा कि यह हैंडबुक सीपीएसई, प्रशासित मंत्रालयों औरऔरऔर भी

आखिरकार नॉर्थ ब्लॉक में राजनीतिक गतिरोध टूटता हुआ दिख रहा है। आठ सालों बाद वित्त मंत्रालय विनिवेश का पल्लू छोड़कर पूरी तरह निजीकरण की तरफ निर्णायक कदम बढ़ा रहा है। स्कूटर्स इंडिया को बेचने का फैसला हो चुका है। राज्यों के चुनाव नतीजों ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की जांच व कार्रवाई को लेकर सारी उहापोह खत्म कर दी है। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इसकी जांच कर ही रही है। डीएमके को अवाम ने सत्ता से बाहरऔरऔर भी

सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश से हुई अब एक लाख करोड़ रुपए के ऐतिहासिक आंकड़े के पार होने जा रही है। इस हफ्ते 10 मई को खुल रहे पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) के फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) के साथ सरकार यह आंकड़ा हासिल कर लेगी। पीएफसी के एफपीओ के जरिए सरकार अपनी पांच फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री करेगी, जिससे उसे 1100 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा कंपनी के 15 फीसदी नएऔरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (पीएफसी) का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) 10 मई से 12 मई तक खुला रहेगा। इसके तहत कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी पांच फीसदी घटाई जाएगी और 15 फीसदी नए शेयर जारी किए जाएंगे। कंपनी कुल लगभग 23 करोड़ शेयर जारी करेगी। इस खबर के आने के बाद मंगलवार को दोपहर पीएफसी के शेयर 3.7 फीसदी बढ़कर 231.70 रुपए पर पहुंच गए थे। हालांकि बंद हुए हैं 1.94 फीसदी बढ़कर 228.30औरऔर भी

सार्वजनिक क्षेत्र की प्रमुख कंपनी ओएनजीसी का इश्यू इस वित्त वर्ष के बजाय अगले वित्त वर्ष में लाया जाएगा। ओएनजीसी का एफपीओ (फालो-ऑन पब्लिक ऑफर) 5 अप्रैल 2011 को खुलेगा। सरकार ने गुरुवार को यह फैसला लिया। इससे पहले उम्मीद की जा रही थी कि यह इश्यू 15 मार्च को जारी कर दिया जाएगा। लेकिन अब इसे टाल दिया गया है। एक सरकारी अधिकारी के मुताहिक कंपनी का एफपीओ 5 अप्रैल से 8 अप्रैल तक खुला रहेगा।औरऔर भी

आलोचकों की आलोचनाओं को धता बताते हुए बाजार में बजट का उत्साह कायम है। मंगलवार को सेंसेक्स और निफ्टी साढ़े तीन फीसदी बढ़ गए। वैसे, सच कहूं तो हमें इस बात की कतई परवाह नहीं करनी चाहिए कि कोई बजट के बारे में क्या कह रहा है क्योंकि हकीकत यही है कि इस बार का बजट पिछले साल से बेहतर है और ऐसे सुधारों से भरा हुआ है जो शेयर बाजार को नई ऊंचाई पर ले जाऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2011-12 के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का बजट अनुमान है 89,80,860 करोड़ रुपए, जबकि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राजकोषीय घाटे का अनुमान रखा है 4,12,817 करोड़ रुपए। इस तरह नए वित्त वर्ष में वित्त मंत्री ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 फीसदी तक सीमित रखने का मसूंबा बांधा है। लेकिन बहुतेरे जानकार व अर्थशास्त्री वित्त मंत्री के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को शक की नजर से देखते हैं। हालांकि एनम सिक्यूरिटीजऔरऔर भी

साल भर पहले जब सरकार ने घोषित किया था कि वह राजकोषीय घाटे को जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 5.5 फीसदी तक सीमित रखेगी, तब उसका यह लक्ष्य और दावा बड़ा अतार्किक लग रहा था। लेकिन 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिले अतिरिक्त धन की बदौलत सरकार राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 5.1 फीसदी तक लाने में कामयाब रही है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की यह एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि आस्तियों को बेचना घाटे को पूराऔरऔर भी