मार्च भर 5200 से 5600 की उहापोह

आलोचकों की आलोचनाओं को धता बताते हुए बाजार में बजट का उत्साह कायम है। मंगलवार को सेंसेक्स और निफ्टी साढ़े तीन फीसदी बढ़ गए। वैसे, सच कहूं तो हमें इस बात की कतई परवाह नहीं करनी चाहिए कि कोई बजट के बारे में क्या कह रहा है क्योंकि हकीकत यही है कि इस बार का बजट पिछले साल से बेहतर है और ऐसे सुधारों से भरा हुआ है जो शेयर बाजार को नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।

प्रणव दा ने भी सोमवार को बजट के बाद खुद स्वीकार किया कि उन्होंने बजट के बहुत सारी बातें खुलकर नहीं रखी हैं क्योंकि संसदीय लोकतंत्र में आम सहमति बनानी जरूरी होती है। उन्होंने असल में खुलकर कह देते तो दूसरी राजनीतिक पार्टियां हो-हल्ला मचाकर संसद के कामकाज में फिर से व्यवधान पैदा कर सकती थीं। वित्त मंत्री ने संसद से इतर इन मसलों से निपटने के लिए बहुत कुछ रख छोड़ा है।

हालांकि उन्होंने माना है कि वे कालेधन को सीधा अभयदान देने से बचे हैं। लेकिन इतना जरूर किया है कि मात्र 15 फीसदी टैक्स देकर विदेशों में जमा ऐसे कितने भी धन को भारत में लाने की राह खोल दी। बस, बात इतनी-सी है कि आपको इस सहूलियत का फायदा उठाने के अच्छा-खासा दिमाग लगाना पड़ेगा।

राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.6 फीसदी तक लाने का लक्ष्य तय करना वाकई बहुत कठिन था, वह भी तब, जब इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च 23.3 फीसदी बढ़ाकर 2,14,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है। बहुत से पूर्व वित्त मंत्री प्रणव दा की आलोचना कर रहे हैं कि उन्होंने नया कुछ नहीं किया। लेकिन खुद उन्होंने तब क्या किया था, जब वे वित्त मंत्री थे।

मेरा कहना है कि बजट में तीन मोर्चों पर शानदार पहल की गई है। एक, राजकोषीय घाटा। दो, इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च। और तीन, सरकार की बाजार उधारी को सीमित रखना। इन कदमों में हमें दुनिया के निवेशकों की नजरों में उठा दिया है क्योंकि उन्हें पता है कि कैसे यूरोप लेकर तमाम देशों में सरकार का ऋण बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। भारत के ऋण को जीडीपी के 52.5 फीसदी से घटाकर 44.2 फीसदी पर ले आया गया है, जो अपने-आप में एक सराहनीय काम है।

उन्होंने पी-नोट के रूप में टहल रहे विदेशी धन को म्यूचुअल फंडों के जरिए वापस इक्विटी बाजार में आने की इजाजत दे दी है। इससे बाजार को एक नहीं, कई तरह से मदद मिलेगी। इससे एफआईआई का भरोसा कायम होगा और सरकार को विनिवेश के जरिए अतिरिक्त धन मिल जाएगा। जैसे कि उम्मीद थी कि बजट में टेलिकॉम सेवाओं के जरिए तकरीबन 30,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव है जो शानदार कदम है और यहां और भी चौंकानेवाली बातें होने की भरपूर गुंजाइश है। कर प्राप्तियों में 24 फीसदी की बढ़त कर-संग्रह में उछाल को दर्शाती है जो औद्योगिक विकास के बिना संभव नहीं है। वित्त मंत्री के जेब में ये सारे पुख्ता आंकड़े मौजूद हैं।

हमेशा की तरह इस बार भी निराशावादी लोग पेट्रोलियम तेल की सब्सिडी में कमी जैसे मसलों को अनावश्यक तूल दे रहे हैं। यह सब फालतू की बकवासबाजी है। नियंत्रण हटाने के दौर में तेल पर सब्सिडी का सवाल ही कहां उठता है। अगर यह अभी है भी तो थोड़े समय ही रहेगी। फिर इसे जाना ही है। इस पर बहुत मगजमारी की जरूरत नहीं है।

मैं बजट से काफी प्रभावित हूं। हालांकि मंदडिए इससे खुश नहीं है। मेरा मानना है कि बाजार (निफ्टी) मार्च भर 5200 से 5600 के दायरे में डोलेगा। इसके बाद 200 दिनों के मूविंग औसत (डीएमए) को तोड़कर तेजी से नई मंजिल की ओर बढ़ेगा। एडवांस टैक्स बाजार के लिए अगली बाधा बन सकता है। हालांकि यह एफआईआई और रिटेल निवेशकों के लिए अब कोई मुद्दा नहीं है क्योंकि एफआईआई एडवांस टैक्स देते नहीं और रिटेल निवेशकों के पास टैक्स देने लायक आमदनी बची ही नहीं है।

आपका आत्मविश्वास आपको बाजार की मानसिकता से उबरने में मदद करेगा। वरना तो हम आम आदमी ही बन जाएंगे जिनकी कोई सुध इस बजट ने नहीं ली है। 2000 रुपए की बचत तो अगर चार लोगों का परिवार ठीकठाक रेस्टोरेंट में अच्छा खाना खाने जाए तो उसी में उड़ जाएंगे।

दुनिया का सबसे मजबूत इंसान वो है जो अकेले दम पर अपनी जगह बनाता है।

(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं उलझना चाहता। सलाह देना उसका काम है। लेकिन निवेश का निर्णय पूरी तरह आपका होगा और चक्री या अर्थकाम किसी भी सूरत में इसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यह कॉलम मूलत: सीएनआई रिसर्च से लिया जा रहा है)

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