कोई सरिया, कोई एल्यूमीनियम शीट, कोई ब्रास तो कोई स्कैप और कोई मसाले या तेल का व्यापार करता है। इन सब में ट्रेड की जानेवाली चीज़ मूर्त है, उसके थोक व खुदरा बाज़ार अलग-अलग होते हैं। वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग भी एक व्यापार है। लेकिन यहां ट्रेड की जानेवाली चीज दिखती नहीं और थोक व खुदरा का अलग-अलग नहीं, एक ही बाज़ार है। इसलिए यहां की डगर कठिन है, मुश्किल नहीं। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

एनएसई में रोज़ाना करीब 1500 कंपनियों में ट्रेडिंग होती हैं। 50-60 के शेयर भाव स्थिर रहते हैं, जबकि बाकी के ऊपर-नीचे होते हैं। इसमें से भी 145 कंपनियां एफ एंड ओ सेगमेंट में हैं, जिसमें लॉन्ग और शॉर्ट दोनों ही सौदे हो सकते हैं। इसमें से हरेक को अपने लायक 15-20 स्टॉक्स छांट लेनी चाहिए। जिस दिन उनकी रग-रग से आप वाकिफ हो जाएंगे, आपको बाहर झांकने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। अब पकड़ते हैं गुरुवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

तमाम स्टॉक्स का स्वभाव अलग होता है। कोई स्थाई भाव से चले तो कोई ज्यादा उछल-कूद मचाए। इसीलिए हर स्टॉक में स्टॉप-लॉस का स्तर भिन्न होता है। हमें वही स्टॉक उसी भाव पर चुनने चाहिए, जब उसमें 2% से ज्यादा नुकसान की आशंका न हो। अगर वो उल्टी दिशा में 2% से ज्यादा जाने लगे तो फौरन निकल जाना चाहिए। साथ ही कुल नुकसान 6% होते ही उस महीने ट्रेडिंग रोक देनी चाहिए। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी

ट्रेडिंग में आप सामनेवाले से ज़रा-सा भी बेहतर हुए तो कमाओगे। जैसे, 60% सौदे सही हुए और रिस्क-रिवॉर्ड 1:2 का भी रखा तो महीने के 20 में से आठ गलत सौदों में 2% के स्टॉप-लॉस के हिसाब से आपका घाटा हुआ 16%, जबकि बाकी 12 सौदों में 4% के हिसाब से 48% फायदा होगा। इस तरह कुल फायदा 32% निकला। ब्रोकरेज वगैरह काटकर महीने का 25% फायदा भी बहुत होता है। परखते हैं अब मंगलवार की दशा-दिशा…औरऔर भी

ट्रेडिंग ‘ज़ीरोसम गेम’ है। एक का नुकसान दूसरे का फायदा। सामनेवाला जब पूंजी और जुनून के साथ ट्रेड करने बैठता है तो निपट मूर्ख नहीं होता। यहां ‘हम ही सही और वो गलत’ की सोच कतई व्यावहारिक नहीं। इसलिए कोई दावा करे कि उसकी सलाह 80-90% सटीक होती है तो वह पक्का झूठ बोलता है। बाज़ार को पकड़ना को इतना ही आसान होता तो हर कोई कर लेता। यहां 60% स्ट्राइक-रेट अभीष्टतम है। अब सोमवार का व्योम…औरऔर भी

बाज़ार और लोकतंत्र आपस में अभिन्न रूप से संबद्ध हैं। यहां विचारों और धारणा में भिन्नता ज़रूरी है। सोचिए, अगर सारे लोग किसी स्टॉक के भाव को लेकर मान बैठें कि उसे बढ़ना है तो कौन मूर्ख होगा जो उसे बेचेगा। बेचता वही है जो मानता है कि वह स्टॉक आगे जाकर गिरनेवाला है। लोगबाग एक-दूसरे से एकदम उल्टी सोच रखते हैं तभी खरीद-फरोख्त होती है और बाज़ार चलता है। आइए, अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी

ट्रेडिंग से कमाई के लिए अनुशासन से बंधी मेहनत करनी पड़ती है। कोई भी ऐसा ट्रेडर नहीं जो बिना तैयारी के स्क्रीन के सामने बैठ जाए और बराबर कमाई करता रहे। सफलता के लिए आपके पास स्पष्ट ट्रेडिंग प्लान होना ज़रूरी है। कौन से इंडीकेटर देखने हैं, कौन से शेयरों पर नज़र रखनी है, रिस्क-रिवॉर्ड का अनुपात कितना लेकर चलना है, आदि-इत्यादि। हम इसमें इनपुट भर दे सकते हैं, लड़कर जीतना आपको है। अब गुरु की दशा-दिशा…औरऔर भी

बैंक, हेज फंड, बीमा कंपनियां, एफआईआई व म्यूचुअल फंड जैसी संस्थाएं शेयर या किसी भी वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में बराबर मुनाफा कमाती हैं। वहीं 99% रिटेल ट्रेडर बराबर घाटा खाते हैं। आखिर क्यों? दोनों के पास तो वही भाव और समान सूचनाएं होती हैं! कोई तो धार रिटेल ट्रेडरों से छिटकी पड़ी है। दोस्तों! हम उसी धार को सामने लाने की पुरज़ोर कोशिश में लगे हैं ताकि घाटे का सिलसिला टूट जाए। अब बुधवार की बुद्धि….औरऔर भी

सेंसेक्स व निफ्टी रिकॉर्ड ऊंचाई पर। सेंसेक्स 4.11% बढ़ कर 29,278.84 और निफ्टी 3.78% ऊपर 8835.60 पर बंद हुआ। पांचों दिन सूचकांक बढ़ते रहे। लेकिन इस दौरान हर दिन बाज़ार में बढ़ने वाले शेयरों का अनुपात घटता रहा। सोम को एनएसई में ट्रेड हुई कुल कंपनियों में से 58.28% के शेयर बढ़े थे, वहीं यह अनुपात शुक्र को 32.47% पर आ गया। साफ है कि बाज़ार की तेज़ी का आधार सिकुड़ता गया है। क्या है इसका मतलब…औरऔर भी

वित्तीय बाज़ार में ज्यादातर लोग विफल होते हैं तो सोचते हैं कि कोई तो छिपी हुई तकनीक या टेक्निकल एनालिसिस का जटिल इंडीकेटर होगा जो उनसे छूटा जा रहा है। ऐसी मनःस्थिति में कुछ लोग जादुई चिराग लेकर उनके सामने आ जाते हैं और दावा करते हैं कि उनका तीर कभी खाली नहीं जाता। लेकिन वहां भी धोखा मिलता है। हमारा यकीन मानिए: किसी के पास कोई जादुई मंत्र नहीं है। अब करते हैं शुक्रवार का अभ्यास…औरऔर भी