बाज़ार सरकार तक की नहीं सुनता। वित्त मंत्री चिदंबरम से लेकर रिजर्व बैंक तक रुपए को चढ़ाना चाहते हैं। लेकिन इन सबको धता बताते हुए रुपया डॉलर के मुकाबले 68.83 तक जा गिरा। एक दिन में 3.83% की गिरावट। यह एक मार्च 1993 के बाद किसी एक दिन में हुई सबसे बड़ी गिरावट है। शेयर बाज़ार सपाट। सोना चढ़ा 34,238 रुपए प्रति दस ग्राम तक। सबक? बाज़ार से पंगा मत लो। बस देखते रहो बाज़ार की धार…औरऔर भी

जिस तरह कुशल पहलवान विरोधी के वजन को ही उसे धूल चटाने के लिए इस्तेमाल करता है, उसी तरह बाज़ार ट्रेडर की हर छिपी कमज़ोरी का इस्तेमाल उसे पटखनी देने के लिए करता है। लालची ट्रेडर अपनी औकात से कहीं ज्यादा बड़ी खरीद से पिटते हैं। डरपोक ट्रेडर जीतती बाज़ी तक छोड़कर भाग निकलते हैं। वहीं, आलसी ट्रेडर बाज़ार के पसंदीदा शिकार हैं। वो उन्हें अपनी तेज़ी से मारता है। अब करें ट्रेडिंग की साधना का अभ्यास…औरऔर भी

हमारी सरकार मुंह से कहती है कि वो आम या रिटेल निवेशकों को शेयर बाज़ार में लाना चाहती है। लेकिन हकीकत यह है कि वो हम आप जैसे निवेशकों को जिबह करना चाहती है। नहीं तो क्या वजह है कि सेबी से लेकर कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय तक डंके की चोट पर बताता है कि, “भारतीय सिक्यूरिटीज़ बाज़ार में केवल रिटेल निवेशकों को ही डे-ट्रेडिंग (इंट्रा-डे) ट्रेडिंग की इजाज़त है।” वैसे, बाज़ार का हाल भी विचित्र है।और भीऔर भी

शेयर बाजार किसी दिन अगर 300-400 अंक गिर जाता है तो इससे भारत की विकासगाथा का अंत नहीं होता। इतिहास गवाह है कि बाजार इससे भी बहुत-बहुत बड़ी गिरावटों के बाद भी संभलकर शान से उठ खड़ा हुआ है। जो लोग बाजार में 15-20 साल से सक्रिय होंगे, उनको याद होगा कि 1995-97 के दो सालों में अभी जैसे ही हालात थे। मुद्रास्फीति ज्यादा थी। ब्याज दरें ऊंची थी। सरकार नीतिगत फैसलों में लुंजपुंज हुई पड़ी थी।औरऔर भी

एमएससीआई (मॉरगन स्टैनले कैपिटल इंटरनेशनल) सूचकांक को बदला जा रहा है। इसमें उभरते बाजारों का वजन बढ़ाया जाएगा। इससे भारतीय बाजार में एफआईआई की खरीद 13 करोड़ डॉलर बढ़ सकती है। लेकिन बाजार के लिए 13 करोड़ डॉलर कोई मायने नहीं रखता। साथ ही इस एमएससीआई के भारत सूचकांक में छह नई कंपनियों – टाइटन इंडस्ट्रीज, डाबर इंडिया, श्रीराम ट्रांसपोर्ट, मुंद्रा पोर्ट, बैंक ऑफ इंडिया और एशियन पेंट्स को शामिल किया गया है। बाजार में आम गिरावटऔरऔर भी

डाबर इंडिया का शेयर है कि बढ़ता ही नहीं। 16 जून को 94.03 रुपए पर बंद हुआ था और पांच महीने बाद कल 16 नवंबर को भी कमोबेश उसी स्तर 93.30 पर बंद हुआ है। वह भी तब, जब कंपनी ने कल ही घोषणा की है कि उसकी अमेरिकी इकाई डर्मोविवा स्किन एसेंसियल्स अमेरिका की ही परसनल केयर कंपनी नमस्ते लैबोरेटरीज का अधिग्रहण 10 करोड़ डॉलर में कर रही है। इससे डाबर समूह को नमस्ते लैब्स कीऔरऔर भी