देश की अर्थव्यवस्था (जीडीपी) में कृषि, वानिकी व मत्स्य-पालन का योगदान घटकर 14% से नीचे आ गया है। मैन्यूफैक्चरिंग व खनन का सम्मिलित हिस्सा 17% के आसपास है। बाकी करीब-करीब 69% भाग सेवा क्षेत्र के हवाले है। सेवा क्षेत्र में सबसे बड़ा हिस्सा व्यापार, होटल, ट्रांसपोर्ट व संचार का है। इसके बाद फाइनेंसिंग, बीमा, रीयल एस्टेट व बिजनेस सेवाओं का है। फिर नंबर सामुदायिक, सामाजिक व वैयक्तिक सेवाओं का है। इसके बाद कंस्ट्रक्शन और आखिर में बिजली,औरऔर भी

सद्भाव इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर व कंस्ट्रक्शन उद्योग की उन गिनी-चुनी कंपनियों में शामिल है जिन्होंने कमजोरी के दौर में भी मजबूती दिखाई है। जून 2011 की तिमाही में उसकी आय साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 44.09 फीसदी बढ़कर 612.87 करोड़ और शुद्ध लाभ 32.34 फीसदी बढ़कर 33.80 करोड़ रुपए हो गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय 75.76 फीसदी बढ़कर 2209.17 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 122.12 फीसदी बढ़कर 119.59 करोड़ रुपए होऔरऔर भी

कैबिनेट ने गुरुवार को सरकारी कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन (एबीसीसी) को शुरुआती पब्लिक ऑफर (आईपीओ) लाने की इजाजत दे दी। अभी कंपनी की सारी की सारी 90 करोड़ रुपए की चुकता पूंजी भारत सरकार के पास है। इसमें से 10 फीसदी इक्विटी सरकार बेचेगी, जिससे कुल 250 करोड़ रुपए जुटाने की योजना है। यह रकम चालू वित्त वर्ष 2011-12 में विनिवेश के लिए निर्धारित 40,000 करोड़ रुपए के लक्ष्य के सामने इतनी कम है कि कोईऔरऔर भी

सरकारी कंपनी एनटीपीसी उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास बिल्हौर में कोयला आधारित बिजली परियोजना लगाएगी। केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के चुनाव-क्षेत्र में पड़नेवाली इस परियोजना की अनुमानित लागत 6600 करोड़ रुपए है। इस पर जनवरी 2012 से काम शुरू हो जाने की उम्मीद है। कंपनी सूत्रों के मुताबिक इस ताप बिजली परियोजना की क्षमता 3120 मेगावॉट होगी। इस पर अगले साल जनवरी के पहले हफ्ते से काम शुरू हो जाएगा। हालांकि संयंत्र को कोयला आपूर्तिऔरऔर भी

तीन माह तक लगातार घटने के अप्रैल 2011 में देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) 43 फीसदी बढकर 3.12 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे पिछले साल इसी माह देश में कुल 2.17 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ था। एक अधिकारी ने बताया कि एफडीआई के मौजूदा आंकड़े वैश्विक और विशेष रूप से यूरोपीय अर्थव्यवस्था में सुधार को दर्शाते हैं। इस दौरान देश में मुख्य रूप से मॉरीशस, सिंगापुर, अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, जापान, जर्मनी औरऔरऔर भी

अगर आम निवेशक पिछले साल आए आईपीओ (शुरुआती पब्लिक ऑफर) के ताजा हाल से दुखी हैं तो कंपनियों से सीधे क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेटसमेंट या क्यूआईपी में शेयर खरीदने वाले संस्थागत निवेशकों की हालत भी अच्छी नहीं है। साल 2010 में आए 55 में 31 आईपीओ के भाव इश्यू मूल्य से नीचे चल रहे हैं तो इस दौरान हुए 50 क्यूआईपी में से 33 ने अभी तक घाटा दिलाया है। क्रिसिल इक्विटीज के एक अध्ययन के मुताबिक 2010औरऔर भी

भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे आकर्षक गंतव्य बना हुआ है। जानीमी निवेश फर्म नोमुरा इंडिया ने कहा है कि देश में एफडीआई में जो गिरावट आई है, वह अस्थाई है और 2012 के शुरू में यहां विदेशी निवेश का स्तर एक बार फिर संकट से पहले की स्थिति में पहुंच जाएगा। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में अप्रैल से जनवरी के दौरान साल दर साल आधार पर भारतऔरऔर भी

अगर समाज हमारा सही मूल्य नहीं आंकता तो हम-आप कोई भी परेशान हो सकते हैं। इसी तरह पूंजी बाजार में उतरी कंपनियां भी परेशान हो जाती हैं जो बाजार उनका सही मूल्य नहीं आंकता। चार दशकों से ज्यादा वक्त से कंस्ट्रक्शन का बिजनेस कर रही आहलूवालिया कांट्रैक्ट्स इंडिया लिमिटेड (एसीआईएल) भी परेशान है कि सब कुछ के बावजूद उसका शेयर (बीएसई – 532811, एनएसई – AHLUCONT) बढ़ क्यों नहीं रहा। शेयर के बढ़ने से कंपनी को सीधे-सीधेऔरऔर भी

मुंबई की कंस्ट्रक्शन व इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी प्रतिभा इंडस्ट्रीज में इधर हलचल कुछ ज्यादा ही तेज हो गई है। कंपनी को पिछले हफ्ते तीन खास कांट्रैक्ट मिले हैं। पहला, गोदावरी मराठवाडा इरिगेशन डेवलपमेंट कॉरपोरेशन, औरंगाबाद से 37.44 करोड़ रुपए का। दूसरा, रहेजा यूनिवर्सल की तरफ से मुंबई में तीन रिहाइशी इमारतें बनाने के लिए 63 करोड़ रुपए का कांट्रैक्ट, जिसमें 20 फ्लोर की तीन इमारतें बनाई जानी हैं। तीसरा कांट्रैक्ट है तमिलनाडु वॉटर सप्लाई एंड ड्रेनेज बोर्ड का।औरऔर भी