काम में मुस्तैद है सद्भाव इंजीनियरिंग

सद्भाव इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर व कंस्ट्रक्शन उद्योग की उन गिनी-चुनी कंपनियों में शामिल है जिन्होंने कमजोरी के दौर में भी मजबूती दिखाई है। जून 2011 की तिमाही में उसकी आय साल भर पहले की समान अवधि की तुलना में 44.09 फीसदी बढ़कर 612.87 करोड़ और शुद्ध लाभ 32.34 फीसदी बढ़कर 33.80 करोड़ रुपए हो गया। बीते वित्त वर्ष 2010-11 में उसकी आय 75.76 फीसदी बढ़कर 2209.17 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 122.12 फीसदी बढ़कर 119.59 करोड़ रुपए हो गया था।

सालाना नतीजों के आधार पर उसका प्रति शेयर लाभ (ईपीएस) 8.50 रुपए था। अब जून तिमाही के नतीजों को मिला दें तो उसका ठीक पिछले बारह महीनों (टीटीएम) का ईपीएस 8.53 रुपए निकलता है। उसका एक रूपए अंकित मूल्य का शेयर कल, 6 सितंबर 2011 को बीएसई (कोड – 532710) में 1.96 फीसदी घटकर 132.60 रुपए और एनएसई में 0.97 फीसदी घटकर 133.25 रुपए पर बंद हुआ है। इसे टीटीएम ईपीएस से भाग दें तो पता चलता कि यह अभी 15.55 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।

पी/ई का ये स्तर खुद उसकी तुलना में काफी कम है क्योंकि यह अक्टूबर 2010 में 43.37 के पी/ई पर ट्रेड हो चुका है। 5 अक्टूबर 2010 को यह 164 रुपए तक चला गया था जो पिछले 52 हफ्ते का इसका उच्चतम स्तर है। इसका न्यूनतम स्तर 93.70 रुपए का है जो इसने 10 फरवरी 2011 को हासिल किया था। कंपनी का शेयर अभी जिस भाव पर है, वह पौने दो साल पहले जनवरी 2010 में हासिल 132.10 रुपए के उच्चतम भाव के बराबर है। कुछ निष्पक्ष विश्लेषकों का आकलन है कि इस कंपनी में पांच साल के नजरिए के साथ निवेश कर देना चाहिए। उनका कहना है कि यह अभी थोड़ा और गिरकर 125 रुपए तक आ जाए तो इसे लपक लेना चाहिए।

असल में कंपनी अपने काम में बड़ी मुस्तैद है। सड़क निर्माण, खनन व सिंचाई क्षेत्र में सक्रिय है। बॉट (बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर) के तहत सड़कें बनाती है। इसमें होता यह है कि कंपनी सड़क बनाकर 10 से 30 साल तक उस पर टोल टैक्स लेती है और फिर सरकार के हवाले कर देती है। सद्भाव इंजीनियरिंग की खूबी यह है कि वह परियोजनाओं को समय से पहले पूरा कर देती है। जैसे, कर्नाटक में बीजापुर से हुनगुंड तक 97 किलोमीटर की टोल रोड उसे मार्च 2013 में पूरी करनी थी जिसे वह दिसंबर 2011 तक पूरा कर देगी। महाराष्ट्र में धुले-पालसनेर की 89 किलोमीटर सड़क का काम लक्ष्य से 12 महीने आगे है। इसी तरह आंध्र प्रदेश व कर्नाटक के बीच की हैदराबाद-यादगीर सड़क भी समय से पहले पूरी होने जा रही है।

कंपनी को पिछले ही महीने बिहार राज्य सड़क विकास निगम से 201.82 करोड़ की साझा सड़क परियोजना का काम मिला है। इसमें उसे मोहम्मदपुर राजपट्टी से खैरा होते हुए छपरा तक की 65 किलोमीटर सड़क को बेहतर बनाना है। हम देख सकते हैं कि अहमदाबाद की इस कंपनी का दायरा देश में दक्षिण से लेकर उत्तर तक फैला हुआ है। उसकी 80 फीसदी आय सड़क परियोजनाओं से होती है। बाकी 20 फीसदी धंधा सिंचाई व खनन परियोजनाओं से आता है। मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी नहर परियोजना और गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा निगम के लिए वह काम करती रही है। हाल ही में उसने सरदार सरोवर नर्मदा निगम के पास 1100 करोड़ रुपए की निविदा लगाई है। खनन में उसका काम खुदाई शुरू होने से पहले ऊपर की सतह को ठीकठाक करना होता है। इसमें उसे लंबे समय के अनुबंध मिलते हैं। उसे सेल और कोल इंडिया जैसी सरकारी कंपनियों से बड़े-बड़े कांट्रैक्ट मिलते रहते हैं।

कंपनी की अब तक की उपलब्धि और उसकी वर्तमान स्थिति को देखते हुए लगता है कि उसका भविष्य भी अच्छा रहेगा। बाजार पूंजीकरण के लिहाज से यह मिडकैप कंपनी है। इसकी कुल इक्विटी 14.99 करोड़ रुपए है। इसका 47.59 फीसदी प्रवर्तकों और 52.41 फीसदी पब्लिक के पास है। कंपनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक विष्णुभाई एम पटेल हैं। कंपनी में एफआईआई का निवेश 23.11 फीसदी और डीआईआई का निवेश 18.01 फीसदी है। इन दोनों ही श्रेणी के संस्थागत निवेशकों ने जून तिमाही में कंपनी में अपना निवेश बढ़ाया है।

कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 7050 है। इसमें से 6500 छोटे निवेशकों के पास उसके मात्र 2.32 फीसदी शेयर हैं। वहीं, 14 बड़े शेयरधारकों के पास उसके 31.09 फीसदी शेयर हैं। इनमें एचडीएफसी म्यूचुअल फंड, बिड़ला सनलाइफ ट्रस्टी कंपनी, नोमुरा फंड, ब्रिज रीयल एस्टेट और कोपथल मारीशस जैसे नाम शामिल हैं।

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