चीजें पल-पल बदलती रहती हैं। शेयर बाजार के ट्रेडरों तक को यह बात ध्यान में रखनी पड़ती है। लेकिन जिन्हें निवेश करना है उनके लिए हमारा बाजार अभी कतई ऐसी दशा में नहीं पहुंचा है कि यहां एक-एक पल या एक-एक दिन का हिसाब रखना पड़े। बेफिक्र रहिए क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकासगाथा अभी कम से कम आजादी की 75वीं सालगिरह साल 2022 तक चलनी है। इस बीच दुनिया की पुरानी स्थापित अर्थव्यवस्थाएं डोलमडोल होती रहेंगी। लेकिनऔरऔर भी

मैंने कल बिजनेस स्टैंडर्ड में एक रिपोर्ट पढ़ी जिसमें संवाददाता ने किसी शेयर को ट्रेड टू ट्रेड श्रेणी में डालने के तौर-तरीकों को लेकर स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों पर कुछ खरे-खरे आरोप लगाए हैं। इसमें भ्रष्टाचार तक का आरोप शामिल है। इन आरोपों की वाकई जांच-पड़ताल की जानी चाहिए और पुष्टि के लिए प्रमाण भी जुटाए जाने चाहिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि किसी शेयर को ट्रेड टू ट्रेड से दोबारा सामान्य श्रेणी मेंऔरऔर भी

दुनिया के 20 प्रमुख देशों के समूह जी-20 की बैठक जब शुरू हो रही हो, अमेरिका व यूरोप समेत तमाम विकसित देशों की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई हों, प्रमुख मुद्राओं में युद्ध की स्थिति आ गई हो, तमाम केंद्रीय बैंक व बड़े निवेशक सुरक्षा के लिए सोने की तरफ भाग रहे हों, ठीक उस वक्त विश्व बैंक भी सोने की अहमियत बताने लगे तो किसी का भी चौंकना स्वाभाविक है। लेकिन विश्व बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जॉयलिक नेऔरऔर भी

मशहूर अंतरराष्ट्रीय पत्रिका फोर्ब्स ने साल 2010 के लिए दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों की दूसरी सूची जारी कर दी है। इस सूची में कुल 68 जानी-मानी हस्तियों को शामिल किया गया है। चौंकानेवाली बात यह है कि इसमें चीन के राष्ट्रपति हु जिनताओ को दुनिया की सबसे ताकतवर हस्ती माना गया है। जिनताओ सूची में पहले नंबर पर हैं, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को दूसरे नंबर पर रखा गया है। यह आश्चर्यजनक बात है क्योंकिऔरऔर भी

वैश्विक समृद्धि सूचकांक में भारत दस स्थान फिसलकर 88वें स्थान पर आ गया है। लंदन के लेगाटुम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार इस सूचकांक में भारत पिछले साल के 78वें स्थान पर था। संस्थान का कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ उद्यमी बुनियादी ढांचे की कमजोरी से भारत की रैकिंग घटी है। इस सूचकांक में 110 देशों को शामिल किया गया है जिनमें शीर्ष पर नॉर्वे और उसके बाद क्रमशः डेनमार्क, फिनलैंड, आस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंडऔरऔर भी

देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी इनफोसिस टेक्नोलॉजीज के संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने सवाल उठाया है कि चीन ने अपनी सस्ती मैन्यूफैक्चरिंग के दम पर दुनिया के तमाम देशों में औसत नौकरियों के मौके खत्म कर दिए है, लेकिन उसके खिलाफ कहीं शोर नहीं होता। जबकि भारत ने आउटसोर्सिंग के काम से नौकरियों के सीमित अवसर ही खत्म किए हैं, लेकिन भारत के खिलाफ खूब हल्ला मचाया जा रहा है। नारायण मूर्ति मंगलवारऔरऔर भी

चीन के केंद्रीय बैंक ने करीब तीन साल बाद पहली बार ब्याज दरें बढ़ाकर सबको चौंका दिया है। वहां 20 अक्टूबर, बुधवार से एक साल की जमा और कर्ज पर ब्याज की दर 0.25 फीसदी बढ़ जाएगी। यह कदम मुद्रास्फीति और विभिन्न आस्तियों के बढ़ते दामों पर काबू पाने के लिए उठाया गया है। अभी वहां एक साल के जमा पर ब्याज की दर 2.25 फीसदी है जो अब 2.50 फीसदी हो जाएगी। इसी तरह एक सालऔरऔर भी

दुनिया में इस समय 500 करोड़ मोबाइल सब्सक्राइबर हैं, जबकि इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 180 करोड़ से ज्यादा है। इंटरनेशनल टेलिकम्युनिकेशंस यूनियन (आईटीयू) का आकलन है कि 2015 तक दुनिया की आधी आबादी तक ब्रॉडबैंड की पहुंच होगी। चीन में अभी 36.40 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन हैं, जबकि भारत में इनकी संख्या केवल 90 लाख है। इंटरनेट भाषाओं के बंधन भी तोड़ रहा है। 1996 में इंटरनेट इस्तेमाल करनेवाले 80 फीसदी लोग अंग्रेजी भाषी थे। 2007 तक यहऔरऔर भी

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कहना है कि उनका देश अपना प्रतिस्पर्धी स्थान खो रहा है और भविष्य की नौकरियां भारत जैसे देशों के युवाओं के हाथ में होंगी, जहां शिक्षा क्षेत्र में भारी निवेश किया जा रहा है। उन्होंने अमेरिका के लोवा शबर में आयोजित एक सार्वजनिक सभा में कहा, ‘‘आप देखिए चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश शिक्षा प्रणाली और बुनियादी ढांचे में जमकर निवेश कर रहे हैं। कहां हम अव्वल होते थे, मसलन कॉलेजऔरऔर भी