सुप्रीम कोर्ट का विशेष जांच दल (एसआईटी) अगले महीने अगस्त के तीसरे हफ्ते तक अपनी पहली रिपोर्ट पेश कर देगा। इससे विदेशी बैंकों में रखे भारतीयों के काले धन पर तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी। इससे तमाम चिंताओं पर विराम लग जाएगा। और, सुप्रीम कोर्ट की फटकार सहने के बावजूद यूपीए सरकार को यह कहने का मौका मिलेगा कि उसने अपना काम कर दिखाया है। इधर, सरकार के एजेंडे में आर्थिक सुधार फिर से केंद्रऔरऔर भी

सुप्रीम कोर्ट का भरोसा इस बात से उठ गया है कि केंद्र सरकार विदेश बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन का पता लगाकर उसे वापस लाएगी। इसलिए उसने खुद इस काम के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है। इस दल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज न्यायमूर्ति एम बी शाह इस दल में उपाध्यक्ष के बतौरऔरऔर भी

ग्रीस की खराब आर्थिक हालात के कारण पूरा यूरोप चिंतित है। भारत में महंगाई की स्थिति खराब चल रही है। इन हालात में बदनाम पी-नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) के जरिए भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर बड़े पैमाने पर निवेश शुरू हो गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के कुल निवेश में पी-नोट्स की हिस्सेदारी मई महीने में 19.5 फीसदी तक पहुंच चुकी थी। सेबी के मुताबिक अप्रैल में यह आंकड़ा 15 फीसदी ही था। हालांकि यहऔरऔर भी

बाबा रामदेव के दबाव में सरकार द्वारा काले धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करने पर विचार के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की पहली बैठक इसी हफ्ते होने की उम्मीद है। लेकिन जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर अरुण कुमार का कहना है कि काले धन के खिलाफ कार्रवाई में समितियों और अध्ययन के बहाने देरी से भ्रष्ट नेताओं, व्यापारियों व नौकरशाहों को अपना अवैध धन दिखावटी कंपनियों में लगाने का मौका मिल जाएगा। जेएनयू मेंऔरऔर भी

जो बाबा रामदेव शनिवार शाम तक केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के खुलासे के बाद भीगी बिल्ली बने नजर आ रहे थे, वे आधी रात की पुलिस कार्रवाई के बाद अब दहाड़ते शेर बन गए हैं। कांग्रेस और उसके पल्लू में प्रासंगिकता खोजते लालू यादव के अलावा सभी राजनीतिक दल बाबा व उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई को लोकतंत्र पर सांघातिक हमला बता चुके है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को घेरे में ले लिया है।औरऔर भी

बाबा रामदेव का सत्याग्रह अकाल मृत्यु का शिकार हो गया। योगगुरु हरिद्वार में अपने पातंजलि योगपीठ आश्रम वापस पहुंच चुके हैं। दिल्ली राज्य के नई दिल्ली जिले में धारा 144 लगा दी गई है क्योंकि पुलिस को इंडिया गेट, बोट क्लब या जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए जाने की आशंका थी, जो नई दिल्ली जिले के इलाके आते हैं। कुछ दिनों में यह आशंका खत्म होते ही धारा 144 भी हटा ली जाएगी। हुआ यह किऔरऔर भी

योगगुरु बाबा रामदेव ने दस सालों में जनता-जनार्दन में जो भी प्रतिष्ठा कमाई थी, उनकी एक चूक से वह एकदम मिट्टी में मिल गई। बाबा ने शुक्रवार को ही सरकार के साथ डील कर ली थी कि रामलीला मैदान में शनिवार सुबह को शुरू हुआ अनशन दोपहर तक खत्म कर देंगे, लेकिन 6 जून तक ‘तप’ जारी रहेगा। खुद बाबा रामदेव ने स्वीकार किया कि उनकी तरफ से संगठन के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने सरकार को इसऔरऔर भी

दिल्ली के रामलीला मैदान में जहां एक ओर बाबा रामदेव नायक की भूमिका में हैं, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार को खलनायक के रूप में पेश किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में भीषण गर्मी के बावजूद बाबा रामदेव के प्रतिबद्ध समर्थकों ने समाज पर भ्रष्टाचार के असर को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न माध्यमों को अपनाया है। आंदोलन स्थल पर युवा समर्थक ‘कैन्वस’ और टीशर्ट पर पेंटिंग कर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लिख रहे हैं। मैदान के प्रवेशऔरऔर भी

प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को प्रस्तावित लोकपाल विधेयक के दायरे से बाहर रखे जाने संबंधी बयान से पलटते हुए योगगुरु बाबा रामदेव ने कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया। वह शनिवार, 4 जून से दिल्ली में भ्रष्टाचार व काले धन के खिलाफ आंदोलन पर कायम हैं। बता दें कि कल के बयान के बाद अटकलें लगाई जा रही थी कि सरकार अण्णा हजारे के खिलाफ बाबा रामदेव का इस्तेमाल करने में कामयाबऔरऔर भी

कालेधन के मुद्दे पर भूख हड़ताल करने की बाबा रामदेव की चेतावनी के बीच आयकर विभाग ने कहा है कि वह काली कमाई के रुप में विदेश छुपाए गए देश के धन को निकलवाने के बारे में योगगुरु के सुझावों पर विचार करने को तैयार है। बाबा रामदेव ने कालेधन और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 4 जून से भूख हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे रखी है। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन सुधीर चन्द्रा नेऔरऔर भी