पुलिस बर्बरता के बाद बाबा बने शेर, सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब

जो बाबा रामदेव शनिवार शाम तक केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के खुलासे के बाद भीगी बिल्ली बने नजर आ रहे थे, वे आधी रात की पुलिस कार्रवाई के बाद अब दहाड़ते शेर बन गए हैं। कांग्रेस और उसके पल्लू में प्रासंगिकता खोजते लालू यादव के अलावा सभी राजनीतिक दल बाबा व उनके समर्थकों पर हुई कार्रवाई को लोकतंत्र पर सांघातिक हमला बता चुके है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार को घेरे में ले लिया है।

उसने रामलीला मैदान से बाबा रामदेव व उनके समर्थकों को जबरन हटाने के मामले को स्वतः संज्ञान में लिया है और पूछा है कि आखिर क्या कारण थे कि शांतिपूर्ण धरने पर बैठे लोगों पर रात में बल प्रयोग करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी एस चौहान और स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने केंद्र सरकार के गृह सचिव, कैबिनेट सचिव, दिल्ली राज्य के मुख्य सचिव, दिल्ली प्रशासन और दिल्ली पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने इन्हें जवाब देने के लिए इन्हें दो हफ्ते का समय दिया है। मामले की अगली सुवनाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होनी है।

सुप्रीम कोर्ट के इस कदम पर बाबा ने कोर्ट को बधाई दी और कहा कि ऐसा लगता है कि इस देश में न्याय अभी जिंदा है। हरिद्वार में सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में बाबा रामदेव ने कहा कि केंद्र सरकार व दिल्ली पुलिस ऐतिहासिक झूठ बोल रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस के बड़े अधिकारी ने तीन बार पंडाल को आग लगाने का आदेश दिया और जब मेरे कार्यकर्ता ने उसे बुझाने की कोशिश की तो उसे पीटा गया।

इस बीच बाबा रामदेव ने अपने मुख्य आश्रम पातंजलि योगपीठ में अनशन शुरू कर दिया है। आज, सोमवार सुबह पांच बजे सबसे पहले उन्होंने योग किया। शुरू में 20 से 25 मिनट योग करते समय वे लगभग मौन रहे। लेकिन इसके बाद उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बाबा ने योग करते हुए अनशन की शुरुआत की और बीच-बीच में समर्थकों को संबोधित करते हुए सरकार पर जमकर भड़ास निकाली।

बता दें कि रामलीला मैदान में बाबा व उनके समर्थकों पर सरकारी दमन के खिलाफ वकील अजय अग्रवाल ने आज सुबह सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने अपनी याचिका में केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, सुबोधकांत सहाय और बाबा रामदेव के बीच बीते शुक्रवार को हुई बातचीत का भी ब्यौरा तीन दिनों के भीतर मांगा था।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया।

उधर बाबा रामदेव ने अब सीधे प्रधानमंत्री मनमोहन पर निशाना साध दिया है। उन्होंने कहा कि, “अगर जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि सरकार चला रहा होता तो दिल्ली में सत्याग्रह कर रहे एक लाख लोगों पर इस तरह की बर्बरता नहीं हुई होती। इस तरह का व्यवहार तो बाबर ने भी नहीं किया होगा। हम तो काला धन वापस लाना चाहते हैं लेकिन सरकार को न जाने क्यों ये बात समझ नहीं आती।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह देश के लिए कम और सोनिया गांधी के प्रति ज्यादा जिम्मेदार लगते हैं।

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