कालेधन पर सुप्रीम कोर्ट को केंद्र पर भरोसा नहीं, बनाया विशेष जांचदल

सुप्रीम कोर्ट का भरोसा इस बात से उठ गया है कि केंद्र सरकार विदेश बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन का पता लगाकर उसे वापस लाएगी। इसलिए उसने खुद इस काम के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का फैसला किया है। इस दल की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज न्यायमूर्ति एम बी शाह इस दल में उपाध्यक्ष के बतौर शामिल रहेंगे। इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) और रॉ (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के प्रमुख भी इस दल में रखे गए हैं।

सोमवार को सुनाए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक यह दल विदेश में रखे भारतीयों के अघोषित धन को वापस लाने के लिए उठाए गए कदमों की निगरानी भी करेगा। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एस एस निज्जर की पीठ ने निर्देश दिया कि इस मामले में सरकार द्वारा पहले गठित की गई उच्चस्तरीय समिति तुरंत एसआईटी से जुड़ जाए। अदालत ने कहा, “हम भारत सरकार को निर्देश देते हैं कि वह एसआईटी के गठन की अधिसूचना जारी करे।”

अदालत ने सरकार से यह भी कहा कि वह उन लोगों के नामों का खुलासा करे जिन्हें कालेधन के सिलसिले में कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अभी तक विदेशी खातों में जमा कालेधन का पता लगाने में सरकार की ढिलाई की काफी आलोचना करता रहा है। वैसे भी, सरकार के प्रयास अब तक खोदा पहाड़, निकली चुहिया जैसे ही साबित हुए हैं। जर्मनी में लीश्टेन्सटाइन के एलजीटी बैंक ने अवैध धन रखनेवाले जिन 26 भारतीयों की सूची दी है, उनमें से 18 लोगों ने 2002-04 के दौरान बैंक में महज 39.66 करोड़ रुपए जमा रखे थे।

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला पूर्व कानून मंत्री राम जेठमलानी व अन्य द्वारा दायर याचिका पर आया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विदेश में भारतीयों का करीब एक लाख करोड़ डॉलर का काला धन पड़ा हुआ है और सुप्रीम कोर्ट इसे वापस लाने के लिए केंद्र सरकार को निर्देश दे।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है, “यह सीधे-सीधे राष्ट्रीय धन की चोरी है। हम सिर चकरा देनेवाले अपराध की बात कर रहे हैं न कि विभिन्न देशों के साथ हुई कर-संधियों की।” गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से काले धन का चक्कर सरकार के सिर पर तेजी से मंडरा रहा है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी इस साल जनवरी से ही तमाम कर-संधियों की आड़ लेकर कहते रहे हैं कि वे काला धन रखनेवालों के नाम उजागर नहीं कर सकते। लेकिन सरकार ने बंद लिफाफे में सारे नाम सुप्रीम कोर्ट को दे दिए हैं।

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