रामलीला मैदान में नायक-खलनायक के खेमे, दिग्गी राजा की जमकर थू-थू

दिल्ली के रामलीला मैदान में जहां एक ओर बाबा रामदेव नायक की भूमिका में हैं, वहीं दूसरी ओर भ्रष्टाचार को खलनायक के रूप में पेश किया गया है। राष्ट्रीय राजधानी में भीषण गर्मी के बावजूद बाबा रामदेव के प्रतिबद्ध समर्थकों ने समाज पर भ्रष्टाचार के असर को प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न माध्यमों को अपनाया है।

आंदोलन स्थल पर युवा समर्थक ‘कैन्वस’ और टीशर्ट पर पेंटिंग कर भ्रष्टाचार के खिलाफ नारे लिख रहे हैं। मैदान के प्रवेश द्वार पर युवाओं ने रावण का वेश धारण कर रखा है उनके दस चेहरे सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं की तस्वीर प्रदर्शित कर रहे हैं। रावण अवतार को भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ नाचते और नारे लगाते देखा जा रहा है।

इस बीच बाबा रामदेव के अनशन को ‘पांचसितारा अनशन’ कह उनकी आलोचना करने वाले कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह रामलीला मैदान में सबके निशाने पर हैं। जो भी वक्ता, साधु और समर्थक मंच पर आए, उन सभी ने अपने भाषण में जमकर दिग्गी राजा के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। कई वक्ताओं ने उनकी चुनावी हार की बात दोहराई तो कई ने उनके बयानों पर सवालिया निशान लगा दिया।

सिर्फ प्रदर्शन में शामिल होने के लिए विशेष तौर पर स्विटजरलैंड से लौटकर आने का दावा करने वाले एक साधु ने सिंह पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘क्या दिग्विजय सिंह यह कह रहे हैं कि हत्यारे और बलात्कारी सांसद बन सकते हैं लेकिन साधु नहीं?’’ दूसरी तरफ एक कवि सारस्वत मोहन मणि ने राहुल गांधी को अपने निशाने पर लिया और कहा कि गरीब परिवार में खाना खाते हुए अपनी तस्वीर खिंचवाना कोई आदर्श आचरण नहीं है।

इस दौरान बाबा रामदेव ने दोपहर करीब दो बजे दो घंटे के विराम की। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे सरकार के प्रतिनिधियों से कुछ संवाद करना है। यह संवाद टेलिफोन पर भी हो सकता है। मैं साफ कर देना चाहता हूं कि जो भी सहमति बनेगी, उस संबंध में सरकार से लिखित में आश्वासन लिया जाएगा। अगर सरकार पूरी समयबद्धता, प्रतिबद्धता और प्रामाणिकता के साथ सभी मुद्दों पर सहमति जता देती है तो इसका श्रेय भी हम सरकार को ही देंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार के साथ कल हुई बातचीत में कुछ मुद्दों पर आंशिक तो कुछ मुद्दों पर पूरी सहमति बनी थी। लेकिन जब तक सभी मुद्दों पर सौ फीसदी रजामंदी नहीं बनेगी, हम आंदोलन वापस नहीं लेंगे।’’ रामदेव की कल, शुक्रवार को भी केंद्रीय मंत्रियों कपिल सिब्बल और सुबोध कांत सहाय के बीच करीब पांच घंटे बातचीत चली थी। इसके बाद देर रात कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी हुए वक्तव्य और रामदेव के बयानों से कुछ मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के संकेत मिले थे।

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