कृषि और वाणिज्य मंत्रालय में करीब दो महीने तक चली खींचतान के बाद आखिरकार सरकार ने अब कपास का निर्यात खोल दिया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष धीरेन शेठ के मुताबिक इससे कपास के दाम 10 से 15 फीसदी बढ़ सकते हैं। लेकिन जानकारों का कहना है कि इसका खास फायदा किसानों को नहीं मिलेगा क्योंकि ज्यादातर किसान अपना 70-80 फीसदी कपास पहले ही बेच चुके हैं। इसका फायदा मूलतः कपास के स्टॉकिस्टों या उनऔरऔर भी

आम बजट की तारीख का फैसला भले ही अब तक न हुआ हो, लेकिन उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 2012-13 के बजट की तैयारी के सिलसिले में वि‍त्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कृषि क्षेत्र के नुमाइंदों के साथ मुलाकात की। यह बजट पर विचार-विमर्श के लिए की गई पहली बैठक थी। बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि हमारी कार्य-शक्ति के 58 फीसदी हिस्से को रोजगार देता है। यह आंकड़ा काफी अहमऔरऔर भी

दुनिया में छा रही आर्थिक मंदी से स्‍थायी रूप से उबरने के लिए रोजगार का मुद्दा विकास की हर रणनीति में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। इसके बिना मंदी से मुक्ति संभव नहीं है। यह बात केंद्रीय श्रम व रोज़गार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को पेरिस में जी-20 देशों के श्रम मंत्रियों के सम्‍मेलन में कही। इस सम्‍मेलन में जी-20 देशों के श्रम मंत्री वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद से बेरोज़गार की समस्‍या से निपटनेऔरऔर भी

टाटा समूह इस वक्त न केवल ब्रिटेन का सबसे बड़ा निर्माता है, बल्कि उसने वहां सबसे ज्यादा लोगों को रोजगार दे रखा है। उसकी फैक्ट्रियों में सीधे-सीधे 40,000 लोग काम करते हैं। सर्विस स्टाफ को जोड़ दें तो यह संख्या 45,000 के पार चली जाती है। हालांकि टाटा और अंग्रेजों का रिश्ता गुलामी के दौर का है। टाटा ने लंदन से माल मंगवाने के लिए 1907 में वहां पहला दफ्तर खोला था। 1975 में उसने टीसीएस केऔरऔर भी

देश की आर्थिक विकास दर जून तिमाही में पिछली छह तिमाहियों में सबसे कम रही है। फिर भी यह सबसे ज्यादा आशावादी अनुमान से भी बेहतर है। इसीलिए शेयर बाजार पर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की विकास दर कम रहने का असर नहीं पड़ा और वह करीब 1.6 फीसदी बढ़ गया। हालांकि वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने जून तिमाही की विकास दर को निराशाजनक करार दिया है। मंगलवार को सरकार की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिकऔरऔर भी

2011 की जनगणना के अनुसार देश की 121 करोड़ की आबादी का 56.9% हिस्सा 15 से 59 साल यानी काम करने की उम्र का है। 60 साल या इससे ऊपर की आबादी का अनुपात 7.5% है। बाकी 35.6% बच्चे हैं 15 साल से कम उम्र के। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कहते हैं कि अगले तीस सालों में देश में दूसरों पर निर्भर रहनेवालों का अनुपात तेजी से घटेगा। अगले बीस सालों में कामकाजी आबादी तेजी से बढ़ेगीऔरऔर भी

अमेरिकी वित्त मंत्री टिमोथी गेटनर ने कहा है कि भारत की आर्थिक वृद्धि से अमेरिका को कोई खतरा नहीं है बल्कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की वही कंपनियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं जिन्हें भारत के साथ निर्यात वृद्धि से फायदा पहुंचा है। वॉशिंगटन में ‘अमेरिका-भारत आर्थिक व वित्तीय भागीदारी’ पर आयोजित सम्मेलन में गेटनर ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘अमेरिका में उनऔरऔर भी

जो हमें रोज-ब-रोज की जिंदगी में दिखता है, उसकी पुष्टि सरकारी आंकड़ों ने कर दी है। देश में कामकाज करने योग्य आधी से अधिक 51 फीसदी आबादी स्वरोजगार में लगी है। केवल 15.6 फीसदी लोग ही नियमित नौकरी करते हैं। श्रमयोग्य आबादी का 33.5 फीसदी अस्थायी मजदूरी करता है। यह हकीकत सामने आई है राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के 66वें सर्वे में। यह सर्वे जुलाई 2009 से जून 2010 के दौरान किया गया था। सर्वे केऔरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था में 14.36 फीसदी, लेकिन रोजगार में 60 फीसदी से ज्यादा योगदान देनेवाली कृषि की किस्मत मानसून पर निर्भर है। साल भर की कुल बरसात का 80 फीसदी हिस्सा जून से सितंबर तक मानसून के चार महीनों में बरसता है। मानसून खराब तो कृषि खराब। कृषि खराब तो मांग का टोंटा और खाद्य पदार्थों की कीमत में आग। फिर उसे थामने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने का चक्र। मानसून से अनाज व नकदी फसलों केऔरऔर भी

अल-कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ गई थी। लेकिन एक ताजा राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, अर्थव्यवस्था को लेकर अनिश्चितता के कारण अब उनकी लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है। वॉशिंगटन पोस्ट-एबीसी के सर्वेक्षण में कहा गया है कि अधिकतर अमेरिकियों की राय है कि बराक सरकार ऐसे मुद्दों को तवज्जो दे रही है जो महत्वपूर्ण नहीं हैं। इसके अलावा 10 में सेऔरऔर भी