आम बजट की तारीख का फैसला भले ही अब तक न हुआ हो, लेकिन उसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। 2012-13 के बजट की तैयारी के सिलसिले में वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को कृषि क्षेत्र के नुमाइंदों के साथ मुलाकात की। यह बजट पर विचार-विमर्श के लिए की गई पहली बैठक थी। बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि कृषि हमारी कार्य-शक्ति के 58 फीसदी हिस्से को रोजगार देता है। यह आंकड़ा काफी अहम है क्योंकि अभी विशेषज्ञ 65 से 70 फीसदी तक का आंकड़ा देते रहे हैं। यह भी नोट करने की बात है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का योगदान अब घटकर 16 फीसदी के आसपास आ गया है, जो मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के करीब 18 फीसदी योगदान से कम है।
वित्त मंत्री ने इस बैठक में कहा कि घरेलू व वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए चालू वित्त वर्ष चुनौतीपूर्ण रहा है। मुद्रास्फीति, खासकर खाद्य मुद्रास्फीति इस साल ज्यादातर वक्त ऊंची बनी रही। मांग को दबा कर हम मुद्रास्फीति के दबाव पर काबू पा सके हैं। जो खाद्य मु्द्रास्फीति फरवरी 2010 में 22 फीसदी तक चली गयी थी, वह पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के मुताबिक ऋणात्मक हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल के दौरान मानसून सामान्य रहा। इस साल खरीफ उत्पादन 12 करोड़ 40 लाख टन रहने का अनुमान है। उन्होंने कृषि क्षेत्र के प्रतिनिधियों से उत्पादकता बढ़ाने, कृषि मूल्य निर्धारण में सुधार, खाद्य सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के उपायों वगैरह पर सुझाव भी मांगे। प्रतिनिधियों ने कृषि उत्पादकता बढ़ाने, जीडीपी में कृषि का हिस्सा बढ़ाने, खाद्य सुरक्षा की चुनौती को पूरा करने आदि के लिए अपने-अपने सुझाव दिए।
उन्होंने तरह-तरह की सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाने, खाद्य सुरक्षा के लिए खाद्यान्न प्रबंधन के विकेंद्रीकरण और तिलहन की खेती के लिए कृषि क्षेत्रफल बढ़ाने जैसे सुझाव दिए। कुछ प्रतिनिधियों ने कृषि क्षेत्र की भावी चुनौतियों से निबटने के लिए खाद्य प्रस्संकरण व स्तरीय मानव संसाधन पर भी बल दिया। कुछ लोगों ने तो किसानों को बेहतर दाम दिलाने के लिए मल्टी ब्रांड रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी (एफडीआई) का समर्थन किया। बता दें कि किसान नेता शरद जोशी का शेतकारी संघटना इस प्रस्ताव का जोरशोर से समर्थन करता आया है।
इस बैठक में श्री मुखर्जी के अलावा दो वित्त राज्य मंत्री एस एस पलानीमनीकाम, नमो नारायण मीणा, मुख्य आर्थिक सलाहककार कौशिक बसु और वित्त मंत्रालय के तमाम बड़े अधिकारी मौजूद थे।