दुनिया में छा रही आर्थिक मंदी से स्थायी रूप से उबरने के लिए रोजगार का मुद्दा विकास की हर रणनीति में प्रमुखता से शामिल किया जाना चाहिए। इसके बिना मंदी से मुक्ति संभव नहीं है। यह बात केंद्रीय श्रम व रोज़गार मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को पेरिस में जी-20 देशों के श्रम मंत्रियों के सम्मेलन में कही। इस सम्मेलन में जी-20 देशों के श्रम मंत्री वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद से बेरोज़गार की समस्या से निपटने के तरीकों और उपायों पर चर्चा कर रहे हैं।
श्री खड़गे ने कहा कि हालांकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ है। लेकिन रोज़गार की समस्या खत्म नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले पांच सालों में 8 फीसदी से अधिक की दर से बढ़ी है। हालांकि 9 फीसदी की अनुमानित विकास दर को बनाए रखने के लिए बाह्य और आंतरिक चुनौतियों पर काबू पाना होगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने श्रमिकों के अधिकारों पर आधारित कई नई सक्रिय श्रम बाज़ार नीतियों की शुरूआत की है। इनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 और असंगठित श्रमिक सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 जैसी नीतियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने हर साल 100 दिनों की मजदूरी की गारंटी देकर पांच करोड़ परिवारों को लाभान्वित किया है। व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और उनकी क्षमता का विस्तार करके साल 2022 तक 50 करोड़ कुशल श्रमिक बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
बैठक के दौरान जी-20 देशों के श्रम मंत्रियों ने नौजवानों में बेरोज़गारी की समस्या से निपटने की वैश्विक रणनीति पर काम करने के लिए एक उच्चस्तरीय समूह गठित करने का निर्णय लिया जिसमें अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संगठनों का पर्याप्त प्रतिनिधित्व होगा।