हमारे देश के अधिकांश लोगों की तरह ही हैं दयाकृष्ण जोशी। किस्मत में भरोसा करते हैं। कहते हैं – अरे यार, भविष्य की क्या चिंता करना? जो होगा देखा जाएगा। एक आईटी कंपनी में कार्यरत जोशी का सोचना सही भी है। भारी वेतन। सुखी परिवार। स्नेहिल बीवी, दो प्यारे-प्यारे बच्चे – 8 साल की लडक़ी व 6 साल का लडक़ा। बच्चों के भविष्य हेतु: लेकिन पिछले साल एक हादसे में अपने 30 साल के एक रिश्तेदार कीऔरऔर भी

वित्त वर्ष 2009-10 में देश में कुल 123.52 लाख जीवन बीमा पॉलिसियां लैप्स हो गई हैं। यह संख्या साल भर पहले 2008-09 में लैप्स हुई 91.08 लाख पॉलिसियों से 35.61 फीसदी अधिक है। सबसे ज्यादा चौंकाने की बात यह है कि पारदर्शिता की बात करनेवाली बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) ने हाल ही में जारी अपनी 2009-10 की सालाना रिपोर्ट में इस बाबत स्पष्ट जानकारी देने से परहेज किया है। उसने सभी 22 जीवन बीमा कंपनियों केऔरऔर भी

शायद आप भी उचित हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने की मुश्किल से रू-ब-रू हुए होंगे। पिछले दिनों ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्लिनिकल रिसर्च प्रोफेशनल अनुपम मिश्र को। 25 साल के अनुपम ने जब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए बाजार की पड़ताल की तो वे अकबका रह गए। क्या लूं और क्या छोड़ दूं? बेसिक कवर, मेडिक्लेम, जटिल सर्जिकल प्रोसीजर्स, क्रिटिकल इलनेस, कैशलेश व हॉस्पिटल कैश री-इम्बर्समेंट जैसे प्लान्स ने अनुपम को कन्फ्यूज कर दिया।औरऔर भी

हम में से बहुत लोग लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय खुद बहुत कम सोचते हैं। ज्यादातर वे एजेंट की बातों पर भरोसा करते हैं या उसकी वाकपटुता के जाल में आकर फैसला कर बैठते हैं और एजेंट उन्हें अपने मन मुताबिक (कमीशन-माफिक) लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बेच देता है। फिर क्या करें: सिर्फ यह कीजिए कि  फैसला खुद लीजिए कि आपको  कौन-सी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी  खरीदनी है? एजेंट द्वारा सुझाई गई कम प्रीमियम वाली पॉलिसी को तभी तवज्जोऔरऔर भी

लोगों में बीमा की जागरूकता बढ़ रही है। बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए (इरडा) की तरफ से जारी किए गए ताजा आंकड़े यही तस्वीर पेश कर रहे हैं। इस साल सितंबर की तिमाही में एकल और गैर-एकल प्रीमियम वाली पॉलिसियों में सम-एश्योर्ड 2,68,945.36 करोड़ रुपए रहा है, जबकि साल पहले की सितंबर तिमाही में यह बीमा कवर 2,46,482.45 करोड़ रुपए का था। इस तरह सालाना तुलना में सम-एश्योर्ड 15.33 फीसदी बढ़ गया है। लेकिन इसमें नोट करने कीऔरऔर भी

भारत सरीखे उतार-चढ़ाव भरे मौसम वाले देश में, जहां के नागरिकों का सबसे पुराना पेशा कृषि है, फसल बीमा खेती-किसानी के लिए बड़ा कारगर है। इसे किसानों का संकटमोचक कहा जा सकता है। भारतीय बीमा कंपनियों ने इसे इतना सरल कर दिया है कि एक खास कंपनी से खाद खरीदने वाला किसान खुद-ब-खुद बीमाधारक बन जाता है। किसानों के लिए उपयोगी: ध्यान रहे कि अगर उचित प्रचार-प्रसार किया जाए तो फसल बीमा से देश के सबसे पुरानेऔरऔर भी

आइए हम आपको बताते हैं कि अपनी कार का बीमा कराते समय फायदा ही फायदा कैसे प्राप्त करें? हम कोई भी खरीदारी करते हैं तो हमारी इच्छी रहती है कि वह चीज या सेवा सस्ती से सस्ती मिल जाए। दरअसल, मनमर्जी का सौदा सभी को प्रिय होता है, मन को संतोष देता है। अपनी मनपसंद कार खरीदने के बाद अब आपको उसका बीमा भी सस्ते से सस्ता मिल जाए तो आप अब यही कहेंगे कि मेरी पांचोंऔरऔर भी

बीमा नियामक संस्था, आरआरडीए (इरडा) ने आम अवाम को आगाह किया है कि वह ऐसे जालसाज लोगों से सावधान रहे जो खुद को इरडा का प्रतिनिधि बताकर उन्हें बीमा पॉलिसियां बेचने की कोशिश कर रहे हैं। इस बारे में इरडा ने एक पब्लिक नोटिस जारी की है। नोटिस में कुछ ऐसे मामलों के सामने आने का जिक्र किया गया है कि जिसमें लोगों को इरडा का प्रतिनिधि बताकर फोन किया गया और उन्हें विभिन्न बीमा कंपनियों कीऔरऔर भी

केंद्र सरकार जल्दी ही देश के लगभग पांच करोड़ परिवारों के वित्तीय समावेश का नया राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम स्वाभिमान शुरू करने जा रही है। यह जानकारी खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में दी। सरकार की इस पहल की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इस समय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की 85,292 शाखाओं में से करीब 38 फीसदी शाखाएं ही ग्रामीण इलाकों में हैं। देश की महज 40 फीसदी आबादी के पास बैंक खातेऔरऔर भी

किसी गाड़ी के लिए शॉक एब्जॉर्वर जो काम करता है, वैसी ही भूमिका किसी कर्जदार के लिए मोर्गेज इंश्योरेंस की है। आपने यदि किसी प्रकार का कर्ज लिया है तो मोर्गेज इंश्योरेंस काफी उपयोगी हो सकता है। खास कर उस स्थिति में और ज्यादा, जब कर्ज लेने के बाद आपकी असामयिक मौत हो जाती है। तब मोर्गेज इंश्योरेंस ही आपके परिवार की चिंताएं दूर करता है। कैसे काम करता है: मान लीजिए कि आपने 50 लाख रुपएऔरऔर भी