हम में से बहुत लोग लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लेते समय खुद बहुत कम सोचते हैं। ज्यादातर वे एजेंट की बातों पर भरोसा करते हैं या उसकी वाकपटुता के जाल में आकर फैसला कर बैठते हैं और एजेंट उन्हें अपने मन मुताबिक (कमीशन-माफिक) लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी बेच देता है।
फिर क्या करें: सिर्फ यह कीजिए कि फैसला खुद लीजिए कि आपको कौन-सी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदनी है? एजेंट द्वारा सुझाई गई कम प्रीमियम वाली पॉलिसी को तभी तवज्जो दें जब वह पॉलिसी आपको पर्याप्त लाइफ कवर मुहैया कराती हो।
कठिन फैसला: इंश्योरेंस फॅार ऑल के जयंत देशमुख कहते हैं कि यह बड़ा कठिन फैसला है कि कौन-सी लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी लें – वह जिसका प्रीमियम सबसे कम है या वह जिसमें पर्याप्त कवर है या फिर उसे जिसमें ज्यादा सुविधाएं या लाभ शामिल हैं? आप सोच-विचार कर ही आगे बढि़ए। यदि आप सस्ता टर्म इंश्योरेंस खरीद रहे हैं तो कंपनी का क्लेम सेटलमेंट अनुपात भी देखना आवश्यक है।
टर्म इंश्योरेंस की पूछताछ बढ़ी: बीमा सलाहकार देवब्रत दीक्षित कहते हैं कि जो असली बीमा है वह टर्म इंश्योरेंस ही है। अब यूलिप से लोग बेजार हो रहे हैं। ऐसे लोग अब सस्ते प्रीमियम वाली टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद रहे हैं। ऐसे ग्राहक अब तेजी से टर्म इंश्योरेंस की इन्क्वायरी कर रहे हैं।
बीमा यानी बीमा: जानकारों का कहना है कि वास्तव में बेसिक इंश्योरेंस टर्म इंश्योरेंस ही है। बीमा के अन्य रूप मसलन – यूलिप, मनी बैक, ग्रुप इंश्योरेस, मेडिकल इंश्यारेंस, वाहन बीमा, पेंशन प्लान तो काफी बाद में आए। इन सबका उद्गम टर्म इंश्योरेंस है। एक और बात समझना जरूरी है कि बीमा व निवेश या बचत दोनों बिल्कुल अलग-अलग चीजें हैं। इन दोनों को एक चश्मे से नहीं देखा जाना जाहिए क्योंकि निवेश व बचत के जहां कई तरीके हैं वहीं बीमा का तरीका सिर्फ एक ही है। बीमा मतलब सिर्फ बीमा है।
अब टर्म बेहतर रूप में: भारतीय बीमा नियामक संस्था, आईआरडीए की पहल से टर्म इंश्योरेंस अब एक आदर्श बीमा कवर बन गया है फिर भी इसके बारे में लोगों में जागरूकता बहुत कम है। एजेंट भी टर्म इंश्योरेंस के बारे में बताते नहीं। इसकी बजाय वे ऊंचे कमीशन की पॉलिसियां बेचने में दिलचस्पी रखते हैं। यही कारण है कि बीमा ·कंपनियों की कुल बिक्री में टर्म इंश्योरेंस की हिस्सा सिर्फ पांच फीसदी ही होता है।
सस्ते में सुरक्षा: अगर कोई बीमा पॉलिसी एक दम कम प्रीमियम राशि के बदले इंश्योरेंस कवर देती है तो वह टर्म पॉलिसी है। इसका प्रीमियम बहुत कम होता है। सच्चाई यह है कि टर्म बीमा से सस्ता बीमा और कोई है ही नहीं।
क्या सस्ता ही सब कुछ: लेकिन आपको एक खास बात का ध्यान रखना है कि सस्ता ही सब कुछ नहीं होता। आप कोई मामूली सामान नहीं ले रहे हैं। आप बीमा ले रहे हैं। इसमें कम प्रीमियम की पॉलिसी का चुनाव करना कोई अच्छी बात नहीं मानी जाएगी क्योंकि इससे आपके न रहने पर आपके अपनों की सुरक्षा का इंतजाम होता है। इसमें लापरवाही कैसे चल सकती है?
क्लेम सेटलमेंट रिकॉर्ड देखें: आपको किसी कंपनी की टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का चुनाव करते समय जो सबसे जरूरी बात देखनी है वह है उस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रिकॉर्ड। यानी, वह कंपनी कितनी तेजी से प्राप्त हुए क्लेम का निपटान करती है? यदि आप ऐसा नहीं करेंगे तो इस बात की ज्यादा आशंका है कि क्लेम पाने के चक्कर में बाद में आपके आश्रितों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ें।
सबसे सस्ता है पर क्लेम अनुपात 48 फीसदी: इस बारे में हम आपको एक उदाहरण देते हैं। एगान रेलिगेयर लाइफ इंश्योरेंस कंपनी का टर्म प्लान बीमा बाजार में सबसे सस्ता माना जाता है। इसकी एक करोड़ रुपए के सम एश्योर्ड की पॉलिसी (30 साल के पुरूष के लिए, पॉलिसी अवधि 20 साल) का प्रीमियम सिर्फ 10,400 रुपए सालाना है। पर इस कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेशियो सिर्फ 48 फीसदी है। इसकी तुलना में भारतीय जीवन बीमा निगम के अमूल्य जीवन का प्रीमियम 33,600 रुपए है तो उसका क्लेम सेटलमेंट रेशियो 95 फीसदी है।
कम प्रीमियम के लिए फिटफाट बनिए: फिर भी आपको कम प्रीमियम वाली टर्म पॉलिसी चाहिए तो आप निरोग बनिए। आज का बीमा बाजार फिटनेस को ज्यादा महत्व देता है। जो लोग एकदम फिटफाट हैं उन्हें बीमा कंपनियां प्रीमियम में डिस्काउंट या लॉयल्टी प्रोग्राम बेनिफिट देती हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, बिड़ला सन लाइफ इंश्योरेंस, एसबीआई लाइफ व कोटक लाइफ ने न्यूनतम 25 लाख रुपए के सम एश्योर्ड वाले ऐसी सुविधाओं से युक्त टर्म खास टर्म प्लान लांच किए हैं।
– राजेश विक्रांत (लेखक एक बीमा प्रोफेशनल हैं)