केंद्र सरकार जल्दी ही देश के लगभग पांच करोड़ परिवारों के वित्तीय समावेश का नया राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम स्वाभिमान शुरू करने जा रही है। यह जानकारी खुद वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आर्थिक संपादकों के सम्मेलन में दी। सरकार की इस पहल की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इस समय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की 85,292 शाखाओं में से करीब 38 फीसदी शाखाएं ही ग्रामीण इलाकों में हैं। देश की महज 40 फीसदी आबादी के पास बैंक खाते हैं।
इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे बैंकिंग संवाददाता या दूसरी तकनीक व मॉडलों को अपनाकर मार्च 2012 तक दो हजार से ज्यादा आबादी वाली सभी बसाहटों तक पहुंच जाएं। बैंकों ने इस लक्ष्य तक पहुंचने का रोडमैप तैयार कर लिया है और उन्होंने बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए दो हजार से ज्यादा आबादी वाली करीब 73,000 बसाहटों को चिह्नित भी कर लिया है।
सरकार ने स्वावलंबन नाम की एक और नई पहल की है। यह असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों/कर्मचारियों के लिए बनाई गई अंशदान आधारित पेंशन स्कीम है। इसे 26 सितंबर 2010 से शुरू किया गया है। यह स्कीम उन लोगों के लिए हैं जो केंद्र या राज्य सरकार या उसके किसी निकाय के नियमित कर्मचारी नहीं हैं और न ही किसी तरह की सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ पा रहे हैं। इसमें असंगठित क्षेत्र के मजदूर को वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 1000 से लेकर 12,000 रुपए पेंशन के लिए जमा कराने होंगे, जबकि केंद्र सरकार उनके खाते में अपनी तरफ से 1000 रुपए डालेगी।
सरकार ने स्कीम के शुरुआती चार सालों में हर साल असंगठित क्षेत्र के 10 लाख मजूदरों को पेंशन के दायरे में लाने का फैसला किया है। लक्ष्य है कि स्वावलंबन स्कीम से जुड़े मजदूरों की संख्या मार्च 2014 तक 40 लाख हो जाए। इसके लिए पीएफआरडीए (पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी) दूसरी संस्थाओं के साथ मिलकर वित्तीय साक्षरता व जागरूकता का व्यापक अभियान चलाएगी।
सरकार वित्तीय समावेश की दिशा में कृषि को मिलनेवाले ऋण भी बढ़ाने की कोशिश में लगी है। पिछले वित्त वर्ष में उसने कृषि क्षेत्र के लिए ऋण का लक्ष्य 3.25 लाख करोड़ रुपए रखा था, जबकि वास्तविक ऋण वितरण 3.67 लाख करोड़ रुपए का हुआ। चालू वित्त वर्ष 2010-11 में कृषि ऋण का लक्ष्य 3.75 लाख करोड़ रुपए रखा गया है।