शायद आप भी उचित हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनने की मुश्किल से रू-ब-रू हुए होंगे। पिछले दिनों ऐसी ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्लिनिकल रिसर्च प्रोफेशनल अनुपम मिश्र को। 25 साल के अनुपम ने जब हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी लेने के लिए बाजार की पड़ताल की तो वे अकबका रह गए। क्या लूं और क्या छोड़ दूं? बेसिक कवर, मेडिक्लेम, जटिल सर्जिकल प्रोसीजर्स, क्रिटिकल इलनेस, कैशलेश व हॉस्पिटल कैश री-इम्बर्समेंट जैसे प्लान्स ने अनुपम को कन्फ्यूज कर दिया। बाद में काफी सोच-विचार करने के बाद उन्होंने एक ऐसी आरंभिक साधारण हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी चुनी, जिसमें कुछ बीमारियां कवर की गई होती हैं।
लाख टके का तथ्य: इस तरह के हालात से दो-चार होने वाले अनुपम मिश्र कोई अकेले नहीं हैं। दरअसल आज तक बाजार में न तो कोई ऐसी बेस्ट हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी है और न ही ऐसी किसी पॉलिसी के आने के आसार हैं जो हर इंसान की उम्मीदों पर खरी उतर सके क्योंकि हर इंसान की जरूरतें अलग-अलग होती हैं।
जीवन बीमा कंपनियां बनाम अन्य: देश के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बाजार में इस समय तीन प्रकार की कंपनियां हैं – जीवन बीमा कंपनियां, सामान्य बीमा कंपनियां व हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां। इन्होंने बाजार में हेल्थ इंश्योरेंस प्लान्स की बौछार कर दी है। सभी के अपने-अपने दावे हैं कि उनकी पॉलिसी सबसे अच्छी है।
जीवन बीमा कंपनियों से लें: जानकारों का मानना है कि जीवन बीमा कंपनियों के हेल्थ प्लान अच्छे होते हैं। इनकी पॉलिसी लंबे समय वाली यानी 20 साल तक की अवधि वाली होती है, जबकि अन्य कंपनियों की पॉलिसी हर साल रिन्यू करवानी होती है यानी हर साल प्रीमियम बढ़ने की गुंजाइश ज्यादा होती है। वैसे जीवन बीमा कंपनियां भी अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम हर तीन साल पर रिसेट करती हैं।
महंगी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी: दूसरी ओर यह भी देखा गया है कि कठोर बीमांकन नियमों की वजह से जीवन बीमा कंपनियों की हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का प्रीमियम अधिक होता है। उदाहरण के तौर पर, 30 साल का एक पुरूष आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ के मेडिएश्योर क्लासिक प्लान के तहत 5 लाख रुपए सम एश्योर्ड के लिए 5762 रुपए सालाना प्रामियम देगा। लेकिन उसी को न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की इंडीविजुअल मेडिक्लेम के तहत 5 लाख रुपए सम एश्योर्ड के लिए 5410 रुपए का ही सालाना प्रामियम अदा करना होगा।
दो तरह की पॉलिसी: जीवन बीमा कंपनियों के पास अमूमन दो तरह की पॉलिसियां रहती हैं – बेनिफिट पॉलिसी व री-इंबर्समेंट पॉलिसी। बेनिफिट पॉलिसी के तहत दावा करने पर पूर्व-नियत एकमुश्त रकम दी जाती है जबकि री-इंबर्समेंट पॉलिसी में हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों के प्लान की तरह पॉलिसी धारक को अस्पताल में भर्ती होने पर जो खर्च होता है उसकी भरपाई होती है। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां अपने अपने नेटवर्क अस्पतालों के जरिए कैशलेस सुविधाएं भी मुहैया कराती हैं।
जरूरतों को समझें: इंश्योरेंस फॅार ऑल के सुधीर सावंत कहते हैं कि किसी ग्राहक को पहले अपनी जरूरतों को समझना चाहिए, यह देखना चाहिए कि वह किस तरह का लाभ चाहता है। उसके कितनी राशि का कवर चाहिए और फिर इस कवर का क्या प्रीमियम है। इसके बाद उसे यह देखना चाहिए कि बाजार में उपलब्ध कौन सी पॉलिसी उसकी जरूरतों पर खरी उतरती है।
हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में क्या देखें: किसी भी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी को लेने के पहले यह पता करें कि इसके एक्सक्लूशंस, सब-लिमिट व वेटिंग पीरियड क्या है जिसमें पहले से मौजूद बीमारियां कवर नहीं होती। पॉलिसी दस्तावेज को ध्यान से पढ़ें। कुछ पॉलिसियां नवीनीकरण गारंटी का वादा करती हैं तो कुछ सब-लिमिट कम कर देती हैं।
ध्यान कवरेज पर: प्लान में रूम और आईसीयू के शुल्क, नर्सिंग फीस, डॉक्टर का शुल्क और दवाइयों का खर्च शामिल होना चाहिए। ध्यान देने वाली बात यह है कि एचडीएफसी स्टैंडर्ड लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के सर्जिकेयर प्लान में कहा गया है कि जब टोटल पेआउट सम एश्योर्ड का 300 फीसदी हो जाएगा तो पॉलिसी टर्मिनेट हो सकती है।
उचित चुनाव: अगर आप की उम्र 30 साल है तो आपको न्यूनतम 3 लाख रुपए के कवर की जरूरत है। परिवार है तो फैमिली फलोटर प्लान बेहतर रहेगा जिसकी लागत परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य की आयु के हिसाब से तय की जाती है और जैसे-जैसे उसकी उम्र बढ़ती है पॉलिसी का दायरा घटता जाता है और प्रीमियम बढ़ता जाता है।
तो, अब देर किस बात की अब तो आपके पास सभी अहम जानकारियां आ गई हैं। अब आप आगे बढि़ए और अपने लिए बेहतरीन हेल्थ प्लान खरीदने के लिए तैयार हो जाइए।
– राजेश विक्रांत (लेखक मुंबई में कार्यरत एक बीमा प्रोफेशनल हैं)