खाद्य वस्तुओं की महंगाई प्याज ने बढ़ाई, दर फिर हुई दहाई

प्याज, लहसुन और दूसरी सब्जियों के दाम बढने से खाद्य मुद्रास्फीति की दर तीन हफ्ते बाद फिर से दहाई अंक में पहुंच गई है। 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति ढाई फीसदी से भी अधिक उछलकर 12.13 फीसदी हो गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि प्याज की बढ़ती कीमतें खाद्य मुद्रास्फीति की साप्ताहिक दरों को प्रभावित कर रही हैं।

वैसे, प्याज निर्यात पर प्रतिबंध और आयात पर सीमा शुल्क करने का असर दिखाई पड़ने लगा है। गुरुवार को देश में प्याज के सबसे बड़े व्यापारिक केंद्र लासनगांव (महाराष्ट्र) में प्याज के थोक भाव करीब 22 फीसदी घटकर 1800 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गए। हालांकि खुदरा बाजार में अब भी प्याज 50-60 रुपए किलो पर मिल रहा है।

ताजा उपलब्ध सरकारी आंकडों के अनुसार खाद्य मुद्रास्फीति एक सप्ताह पहले के 9.46 फीसदी से उछलकर 11 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 12.13 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले लगातार तीन सप्ताह इसमें सीमित उतार-चढाव रहा लेकिन यह दहाई के आंकडे से नीचे ही रही। बता दें कि इस साल जनवरी से लेकर अब तक खाद्य मुद्रास्फीति की दर ज्यादातर दहाई अंक में बनी रही थी। रिजर्व बैंक भी मुद्रास्फीति के बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य पदार्थों की महंगाई को बताता रहा है। हालांकि माना जा रहा था कि अच्छे मानसून के बाद खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी आएगी। लेकिन फल व सब्जियों ने अनाज व दाल के दाम में आई कमी के असर को एकदम धो-पोंछ डाला है।

सब्जियों के दाम में इस महीने की शुरुआत से ही मजबूती का रुख बना हुआ है। विशेषकर प्याज के दाम पिछले साल के मुकाबले आलोच्य सप्ताह में 33.48 फीसदी ऊपर चल रहे हैं। एक सप्ताह पहले की तुलना में इसमें 4.6 फीसदी की तेजी आई है। फल और दूध के दाम भी सालाना आधार पर क्रमश 20.15 और 17.83 फीसदी ऊंचे हैं जबकि सब्जियों के दाम 15. 64 फीसदी तक बढ़ गए हैं। हालांकि इस दौरान आलू के दाम 27.99 फीसदी घटे हैं।

आर्थिक जानकारों का कहना है कि खाद्य मुद्रास्फीति में अचानक आई इस तेजी को देखते हुए रिजर्व बैंक एक बार फिर महंगाई पर अपना ध्यान केन्द्रित कर सकता है और जनवरी में मौद्रिक नीति की समीक्षा में नीतिगत दरों को बढा सकता है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने बुधवार को इस तरफ इशारा भी किया। उन्होंने कहा था कि मुद्रास्फीति में वैसी कमी नहीं देखी जा रही है जैसी उम्मीद की जा रही थी। थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित सकल मुद्रास्फीति नवंबर 2010 में 7.48 फीसदी रही है। इससे पहले अक्तूबर में यह 8.58 फीसदी थी।

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