कौन काटता चांदी, किनका होता डब्बा गोल!
अगर आप शेयरों की ट्रेडिंग में दिलचस्पी रखते हैं तो डब्बा ट्रेडिंग का नाम ज़रूर सुना होगा। हर गैर-कानूनी काम की तरह यह भी हल्के-फुल्के मुंगेरीलाल टाइप लोगों को खूब खींचता है। कोई लिखा-पढ़ी नहीं, रिकॉर्ड नहीं, सारा लेनदेन कैश में, सारी कमाई काली। फिर इनकम टैक्स देने या रिटर्न भरने का सवाल ही नहीं। सारे सौदे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर होते हैं तो सिक्यूरिटी ट्रांजैक्शन का सवाल ही नहीं उठता। साथ ही कोई दिक्कत आने याऔरऔर भी
जीएसटी: आला रे आला, गड़बड़झाला
गंगा नगर से ईटा नगर और लेह से लक्षद्वीप तक छोटे-बडे सभी व्यापारी व कारोबारी परेशान हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जिस माल व सेवा कर या जीएसटी को ‘गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स’ की जगह ‘गुड एंड सिम्पल टैक्स’ बता रहे हैं, व्यापारी तबका उसे ‘गड़बड़ सड़बड़ टैक्स’ कह रहा है। दोनों में से सही कौन है? इसके जवाब में धूमिल की सीख याद आती है कि लोहे का स्वाद लोहार से मत पूछो, उस घोड़े से पूछो जिसके मुंहऔरऔर भी
खरीदनेवाले ही हुए बेचने पर उतारू!
जिस तरह सियारों के झुंड में पड़ा शेर सियार नहीं बन जाता, कौओं के झुंड में फंसा हंस कौआ नहीं बन जाता, वैसे ही निवेश-निवेश के शोर में आम भारतीय निवेशक ट्रेडर से निवेशक नहीं बन सकता। अभी भारतीय कॉरपोरेट सेक्टर की जो स्थिति है, उसमें उसे ऐसा बनना भी नहीं चाहिए। पांच साल के ऊपर का निवेश किसी म्यूचुअल फंड की लांग टर्म इक्विटी स्कीम में और उससे पहले शुद्ध ट्रेडिंग। आज क्या हैं ट्रेडिंग केऔरऔर भी
विदेशियों से दोगुना खेल घरवालों का
कहा जा रहा है कि एफआईआई दुखी हैं। फंड मैनेजर परेशान हैं। हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। गार (जनरल एंटी एवॉयडेंस रूल) और वोडाफोन जैसे सौदों पर पिछली तारीख से टैक्स लगाने से उनको भ्रमित कर दिया है। इस साल जनवरी से मार्च तक हर महीने भारतीय शेयर बाजार में औसतन तीन अरब अरब डॉलर लगानेवाले एफआईआई ठंडे पड़ने लगे हैं। सेबी के मुताबिक उन्होंने अप्रैल में अभी तक इक्विटी बाजार में 10.69 करोड़ डॉलर काऔरऔर भी
खबर की धार पर अफवाहों की मार
पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने तय किया है कि वह शुक्रवार को सेकंडों के भीतर निफ्टी के 5353 से गिरकर 5000 तक पहुंच जाने की जांच करेगी। एनएसई भी सब कुछ ठीक होने के दावा करने के बावजूद शुरुआती जांच शुरू कर चुका है। इससे पहले दीवाली की मुहूर्त ट्रेडिंग पर बीएसई में भी यह करिश्मा हो चुका है। उससे पहले जून 2010 में रिलायंस का शेयर एक दिन 20 फीसदी का धक्का खा चुका है।औरऔर भी
निफ्टी 5353 से 5000 पर ऐसे-कैसे!
दोपहर साढ़े बारह बजे तक सब ठीक था। बाजार सपाट। न ऊपर, न ज्यादा नीचे। निफ्टी 5336.15 पर था, जबकि निफ्टी फ्यूचर्स 5353.55 के शिखर पर। फिर अचानक जाने क्या हुआ कि 2 बजकर 26 मिनट पर निफ्टी में वोल्यूम एकदम गिरकर गया और निफ्टी फ्यूचर्स सीधे 5000 की खाईं में जा गिरा। स्पॉट बाजार पर भी इसका सीधा असर पड़ा। आखिर ऐसा क्यों और कैसे हुआ? छानबीन जारी है। तमाम डीलरों का कहना है कि ऐसाऔरऔर भी
समेटकर लो बटोर, न मिलें इस ठौर
मैंने कहा था कि सेंसेक्स अगले कुछ सत्रों में 500 अंक बढ़ जाएगा। 250 अंक तो वो पहले ही बढ़ चुका था और आज ही एनएवी के चलते 300 से ज्यादा अंकों की बढ़त उसने और ले ली। यह कोई करिश्मा नहीं, पहले से तय था। इसका श्रेय डेरिवेटिव सौदों में कैश सेटलमेंट की व्यवस्था को दिया जाना चाहिए। आईएफसीआई जैसे स्टॉक को पहले तोड़कर 39.5 रुपए तक ले जाया गया और वापस 42.5 रुपए पर पहुंचाऔरऔर भी