व्यापारी बेचने के लिए जो माल लेता है, उससे उसे कोई निजी मोह नहीं होता। वो दुकान में वही माल लाता है जो चलता है। बेकार में दुकान की जगह भरता। इसी तरह शेयर बाज़ार के ट्रेडर को भी किसी स्टॉक से मोह नहीं पालना चाहिए। वही स्टॉक्स लें जिनमें लिक्विडिटी अच्छी हो। खरीदने और बेचनेवाले शेयरों की सूची अपडेट करते रहना चाहिए क्योंकि अपट्रेन्डिंग और डाउनट्रेन्डिंग स्टॉक बदलते रहते हैं। तो, पकड़ें अब सोम का सिरा…औरऔर भी

हर इंसान को प्रेम व दोस्ती जैसी चंद चीजों के अलावा बाकी तमाम जरूरतें पूरा करने के लिए धन चाहिए। समाज के विकास के साथ धन हासिल करने के तरीके बदलते रहते हैं। फॉरेक्स, कमोडिटी व स्टॉक ट्रेडिंग आज के ज़माने का तरीका है जो पहले नहीं था। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जापान की गृहणियां फॉरेक्स ट्रेडिंग करती हैं और वहां रिटेल फॉरेक्स बाज़ार में महिलाओं का योगदान करीब 25% है। अब परखें गुरु का गुर…औरऔर भी

अपने यहां विदेशी व देशी संस्थाओं के साथ बड़े निवेशकों में आते हैं एचएनआई या हाई नेटवर्थ इंडीविजुअल। डेरिवेटिव सेगमेंट में तो ये संस्थाओं पर भी भारी पड़ते हैं। कोटक वेल्थ मैनेजमेंट की ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक 25 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेशयोग्य धन रखने वाले ऐसे लोगों की संख्या करीब 1.17 लाख हैं। इन्होंने अपने धन का करीब 38% इक्विटी में लगा रखा है। ट्रेडिंग रणनीति में इन पर भी रखें ध्यान। अब दिशा मंगल की…औरऔर भी

कुछ दिनों से बाज़ार में गिरावट का जो सिलसिला चला है, उसमें तमाम लोगों के दिमाग में स्वाभाविक-सी शंका उभरी है कि कहीं तेज़ी का मौजूदा दौर निपट तो नहीं गया! अतीत का अनुभव ऐसा नहीं कहता। जनवरी 1991 से नवंबर 2010 के दरमियान तेज़ी के चार दौर तभी टूटे थे, जब सेंसेक्स 24 से ज्यादा पी/ई पर ट्रेड हो रहा था। अभी सेंसेक्स का पी/ई अनुपात 18.44 चल रहा है। घबराहट को समेटकर वार मंगलवार का…औरऔर भी

हमारी सोच यकीनन एकतरफा हो सकती है। लेकिन बाज़ार कभी एकतरफा नहीं होता। हम जब कोई शेयर खरीदने की सोचते हैं, तभी किसी को लगता है कि यह अब और नहीं बढ़ेगा, इसलिए इसे बेच देना चाहिए। इसी तरह बेचने वक्त भी सामने कोई न कोई खरीदार रहता है। यिन-यांग की इसी जोड़ी से सृष्टि ही नहीं, बाज़ार भी चलता है। एक सही तो दूसरा गलत। निरपेक्ष कुछ नहीं। जिसने कमाया, बाज़ी उसकी। अब शुक्र का ट्रेड…औरऔर भी

आज मार्च के डेरिवेटिव सौदों की एक्सपायरी का दिन है। डेरिवेटिव्स का खेल उस्तादों का है। वे स्टॉक ऑप्शंस व फ्यूचर्स के अलावा निफ्टी तक में खेलते हैं। लेकिन इधर आम लोग भी निफ्टी ऑप्शंस/फ्यूचर्स में खेलने लगे तो धंधेबाज़ चरका पढ़ाने में लग गए हैं। एक ‘विशेषज्ञ’ कहते हैं कि मार्च निफ्टी 6600 से 6700 के बीच निपटेगा। जहां 10-15 अंक पर मार होती है वहां 100 अंकों का दायरा! इनसे बचिए आप। बढ़ते हैं आगे…औरऔर भी

क्यूपिड का मतलब है प्रेम का देवता, कामदेव। इसी के नाम पर 1985 में बनी क्यूपिड ट्रेड्स एंड फाइनेंस। मुंबई के पंचरत्न ओपरा हाउस में दफ्तर है। केतनभाई सोराठिया इसके कर्ताधर्ता हैं। कल सुबह एसएमएस आया कि क्यूपिड ट्रेड्स को 145 पर खरीदें, महीने भर में 460 तक जाएगा। अरे भाई, कैसे? सालों से कंपनी का धंधा तो निल बटे सन्नाटा है! सावधान रहें ऐसे प्रेम-पत्रों से। झांसे में कतई न आएं। अब देखें गुरुवार का बाज़ार…औरऔर भी

अलग-अलग टाइमफ्रेम की ट्रेडिंग के नियम व तनाव अलग हैं। इंट्रा-डे में आपको उस तरह चौकन्ना रहता पड़ता है जैसे आप छह महीने के छोटे बच्चे की देखभाल कर रहे हों। वहीं फ्यूचर्स व ऑप्शंस में आपको दो दिन में सौदा काटकर निकल जाना चाहिए। उसमें भी चौकन्ना रहना बेहद जरूरी है। लेकिन स्विंग व मोमेंटम ट्रेड में कोई खास तनाव नहीं। दिन में जब चाहे सौदा करो। अपने मिजाज के हिसाब से टाइमफ्रेम चुनें। अब आगे…औरऔर भी

सेंसेक्स व निफ्टी ऐतिहासिक शिखर पर। पर 9 दिसंबर 2010 से 9 दिसंबर 2013 के बीच जहां सेंसेक्स 10.8% और निफ्टी 10.4% बढ़ा है, वहीं सन फार्मा 162%, हिंद यूनिलीवर 93.1%, आईटीसी 87%, टीसीएस 86.7% और एचडीएफसी बैंक 55.5% बढ़ा है। सो, सूचकांकों के ही दम पर निवेश या ट्रेडिंग करने वाले लोग प्रायः मुनाफे के अच्छे मौकों से चूक जाते हैं। तो कैसे देखें सूचकांकों के भी पार! इसे ध्यान में रखते हुए बढते हैं आगे…औरऔर भी

कामयाब ट्रेडर कंपनी या अर्थव्यवस्था के मूलभूत पहलुओ पर ट्रेड नहीं करता। लेकिन वो इनसे वाकिफ ज़रूर रहता है। यह जानना ज़रूरी है कि अर्थव्यवस्था की समग्र तस्वीर क्या है और कंपनी की क्या स्थिति है, भले ही हम उसके आधार पर रोज़-ब-रोज़ के ट्रेड न करें। भावों की चाल और सौदों का वोल्यूम देखकर हम चार्ट पर लोगों की भावनाओं को पकड़ते हैं। याद रखें। लोग झूठ बोल सकते हैं, चार्ट नहीं। अब ट्रेडिंग बुधवार की…औरऔर भी