शुक्रवार को विदेशी निवेश बैंक मैक्वारी ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में आगाह किया था कि भारत को कच्चे तेल का झटका लग सकता है क्योंकि रुपए में इसकी कीमत अब तक की चोटी पर पहुंच चुकी हैं। तेल की ऊंची कीमतें मुद्रास्फीति को धक्का दे सकती हैं और ब्याज दरों को घटाए जाने की संभावना खत्म हो सकती है। मैक्वारी के बाद अब देश की दो प्रमुख रेटिंग एजेंसियों क्रिसिल और केयर रेटिंग्स ने कच्चे तेल केऔरऔर भी

कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद यूरोपीय संघ ने आखिरकार ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया। यूरोपीय संघ के फैसले के बाद 27 देश तुरंत ईरान का तेल खरीदना बंद कर देंगे। सोमवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के बाद एक अधिकारी ने कहा, “तेल प्रतिबंध लगाने पर राजनीतिक सहमति हो गई है।” बैठक में यूरोपीय संघ के 27 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया।औरऔर भी

ईरान और अमेरिका के बीच बढ़े तनाव का असर कच्चे तेल की कीमत पर भी देखा जा रहा है और बुधवार को यह आठ माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई। न्यूयॉर्क तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमत 103.74 डॉलर प्रति बैरल हो गई। इसके पहले 11 मई 2011 को तेल की कीमत इस स्तर पर पहुंची थी। बाजार विश्लेषकों के अनुसार अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर बढ़ती उम्मीदों से तेल की कीमतों को बल मिलाऔरऔर भी

बीत गया सितंबर महीना। ऐतिहासिक रूप से मंदड़ियों की मौज का वो महीना, जब उन्होंने जमकर नोट बनाए। इस दौरान निफ्टी सुधरकर 5170 तक गया तो धड़ाम से गिर भी गया। फिर वापस 5030 तक चला गया। इसका मतलब कि जिसने भी गिरने पर खरीदने की रणनीति अपनाई होगी, अंत में वह फायदे में रहा होगा। निफ्टी में इस बार रोलओवर पिछले महीने के 72 फीसदी की तुलना में 61 फीसदी रहा है जो साफ दर्शाता हैऔरऔर भी

जर्मनी के साथ ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। राजनयिक संकट पैदा करने वाली एक घटना में ईरान ने मंगलवार को भारत जा रहीं जर्मनी की चांसलर एंजेला मेरकेल को अपने हवाई मार्ग की अनुमति देने से इऩकार कर दिया। काफी समझाने-बुझाने के बाद ही उसने इसकी इजाजत दी। ईरान की इस हरकत की इस वजह से मेरकेल करीब दो घंटे देरी से नई दिल्ली पहुंच पाईं। जर्मनी के अखबार डेयर स्पीगेल की रिपोर्ट में बताया गयाऔरऔर भी

सरकार ने ईरान से केसर की तस्करी की बात को स्वीकार करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर में 375 करोड़ रूपए के राष्ट्रीय केसर मिशन कार्यक्रम के लागू होने के बाद यह स्थिति समाप्त हो जाएगी। कृषि सचिव पी के बसु ने कहा, “हमें इस बात की जानकारी है। राष्ट्रीय केसर मिशन इन मसलों की ओर ध्यान देगा। हमारा केसर ईरान से कहीं बेहतर है।” उनसे पूछा गया था कि क्या केन्द्र सरकार को ईरान से होने वालेऔरऔर भी