यूरोपीय संघ ने ईरान से तेल लेना बंद किया

कई हफ्तों से चल रही बातचीत के बाद यूरोपीय संघ ने आखिरकार ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया। यूरोपीय संघ के फैसले के बाद 27 देश तुरंत ईरान का तेल खरीदना बंद कर देंगे।

सोमवार को ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक के बाद एक अधिकारी ने कहा, “तेल प्रतिबंध लगाने पर राजनीतिक सहमति हो गई है।” बैठक में यूरोपीय संघ के 27 देशों के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने कहा, “ईरान लगातार संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव की अवहेलना कर रहा है और यूरेनियम को 20 फीसदी तक संवर्धित कर रहा है। इसके लिए उसके पास कोई वाजिब जवाब भी नहीं है।”

ईरान पर प्रतिबंध लगाने को लेकर यूरोपीय संघ के अंदर ही कई हफ्तों तक बातचीत चलती रही। लेकिन सोमवार को लिए गए फैसले के मुताबिक, यूरोपीय संघ के 27 देश तुरंत ईरान से तेल आयात करना बंद कर देंगे. ईरानी कंपनियों के साथ किए गए करारों को भी एक जुलाई 2012 तक खत्म कर दिया जाएगा।

हालांकि जर्मनी को उम्मीद है कि प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भी अगर ईरान बातचीत या किसी समझौते की दिशा में आगे बढ़ता है कि तो उसे रियायत दी जा सकती है। प्रतिबंधों की मार ईरान के साथ यूरोपीय संघ के सदस्य देश ग्रीस पर भी पड़ेगी। ग्रीस का एक तिहाई कच्चा तेल ईरान से आता है। ईरान यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को 20 फीसदी कच्चा तेल बेचता है। ग्रीस, स्पेन और इटली इस तेल के सबसे बड़े खरीदार हैं।

आर्थिक संकट से गुजर रहे ग्रीस के साथ ईरान के वित्तीय रिश्ते भी हैं। ग्रीस ने पहले यूरोपीय संघ से प्रतिबंधों को लागू करने के लिए एक साल का वक्त देने की मांग की। उसका कहना था कि उसे जब तक कोई वैकल्पिक रास्ता नहीं मिलता तब तक वह प्रतिबंधों की सिफारिश नहीं कर सकता है। लेकिन कई हफ्तों तक चली बातचीत के बाद सोमवार को ग्रीस भी ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने पर राजी हो गया।

अब नजरें भारत और चीन पर हैं। भारत ईरान का 13 फीसदी और चीन 22 फीसदी तेल खरीदता है। भारत और चीन अब तक अमेरिका के दबाव में नहीं झुक रहे हैं। वहीं ग्रीस समेत यूरोपीय संघ के अन्य देशों को उम्मीद है कि सऊदी अरब के साथ नए करार कर और लीबिया में तेल उत्पादन बढ़ाकर वे अपनी जरूरत पूरी कर सकेंगे।

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