हमारे शेयर बाजार में बड़ा अजीबोगरीब घटता रहता है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुज़ुकी ने सोमवार को दिसंबर 2011 की तिमाही के नतीजे घोषित किए। बताया कि इस दौरान उसकी बिक्री साल भर पहले की अपेक्षा 17.24 फीसदी घटकर 7717.87 करोड़ रुपए और शुद्ध लाभ 63.62 फीसदी घटकर 205.62 करोड़ रुपए पर आ गया है। इसकी वजह देश-विदेश की कमजोर आर्थिक हालत, कंपनी के मानेसर संयंत्र में चली मजदूर हड़ताल, ऊंची ब्याज दर और रुपए में डॉलर के मुकाबले आई कमजोरी है।
लेकिन कमाल की बात है कि इन नकारात्मक खबरों व नतीजों के बावजूद मारुति का शेयर एनएसई में 5.18 फीसदी बढ़कर 1160.65 रुपए और बीएसई में 5.77 फीसदी बढ़कर 1162.55 फीसदी बढ़ गया है। यही नहीं, कंपनी का शेयर पिछले एक महीने से बढ़ रहा है। 19 दिसंबर 2011 को उसने 905.55 रुपए पर 52 हफ्तों की तलहटी पकड़ी थी। तब से लेकर अब तक वह 28.4 फीसदी बढ़ चुका है। ऐसा तब हुआ है जब उसका तिमाही लाभ पिछली बारह तिमाहियों या तीन साल में सबसे कम रहा है। दिसंबर 2011 की तिमाही के मुनाफे का स्तर 2008-09 की तीसरी तिमाही से लेकर अब तक सबसे कम है।
कंपनी का कहना है कि ईंधन की कीमत बढ़ने और ऊंची ब्याज दर के चलते बाजार की खराब हालत के कारण इस तिमाही के दौरान कारों की बिक्री कम हुई। इसके अलावा मानेसर में कर्मचारियों की हड़ताल के कारण करीब 40,000 कम कारों को उत्पादन हुआ। समीक्षाधीन अवधि के दौरान मारुति ने 27.56 फीसदी कम वाहन बेचे। अक्टूबर से दिसंबर 2011 के दौरान मारुति ने कुल 2,39,528 कारें बेचीं, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3,30,687 कारें बेची थीं.
रुपए में कमजोरी के बारे में मारुति के मुख्य वित्त अधिकारी अजय सेठ ने कहा कि कंपनी को विनिमय दर में उतार-चढाव के चलते इस दौरान 200 करोड़ रुपए के विदेशी मुद्रा का नुकसान हुआ। विश्लेषकों ने कहा कि तीसरी तिमाही मारुति के लिए एक असामान्य तिमाही रही, जबकि मारुति की बिक्री मानेसर संयंत्र में कर्मचारियों की हड़ताल से प्रभावित हुई। लेकिन कंपनी अगले वित्त वर्ष में वापस लीक पर आएगी।