सुखी या खुशी
2011-07-09
कोई इंसान सुखी हो, इसका मतलब कतई यह नहीं कि वह खुश भी हो। खुशी तो एक अनुभूति है जिसका पारा ऊपर-नीचे होता रहता है। खुश रहना एक कला है, जिसकी आदत बड़े जतन से डालनी पड़ती है।और भीऔर भी
कोई इंसान सुखी हो, इसका मतलब कतई यह नहीं कि वह खुश भी हो। खुशी तो एक अनुभूति है जिसका पारा ऊपर-नीचे होता रहता है। खुश रहना एक कला है, जिसकी आदत बड़े जतन से डालनी पड़ती है।और भीऔर भी
हम घरों के कोने-अँतरों में छोटी-बड़ी तमाम चीजों को बचाकर रखने के आदी हो गए हैं। सोचते हैं कि क्या पता, कभी काम आ जाए, जबकि सोचना चाहिए कि क्या इसके बिना हमारा काम चल सकता है।और भीऔर भी
यूं तो किसी भी आदत तो जड़ से मिटा देना ही अच्छा। लेकिन न मिटे तो उसे मोड़ देना चाहिए। जैसे, हम आदतन भिखारी को पैसा देते हैं। ये एक-दो रुपए हमें नई किताब खरीदने के लिए ज्ञान-पात्र में डाल देने चाहिए।और भीऔर भी
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