सेटलमेट का पहला दिन और इससे ज्यादा सन्निपात से भरा कोई और दिन हो ही नहीं सकता था। वोलैटिलिटी को दिखानेवाला इंडिया वीआईएक्स 4.18 फीसदी बढ़कर 29.12 पर जा पहुंचा। निफ्टी ऊपर में 4767.30 तक तो नीचे में 4693.10 तक। सांसें इतनी ऊपर-नीचे! हालांकि बाजार में थोड़ी-बहुत खरीद चालू हो चुकी है। फिर भी बाजार के उस्तादों ने बीते सेटलमेंट में जो गोटें सेट की हैं, उनके हिसाब से दिसंबर तक की लंबी अवधि के पचड़े मेंऔरऔर भी

कल तक हमारे वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी कह रहे थे कि रुपए की हालत विदेशी वजहों से बिगड़ी है और रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन आज शेयर बाजार को लगे तेज झटके से वे ऐसा सहम गए कि बाकायदा बयान जारी कर डाला कि, “रिजर्व बैंक रुपए की हालत पर बारीक निगाह रखे हुए हैं। मुझे यकीन है कि जो भी जरूरी होगा, रिजर्व बैंक करेगा।” यही नहीं, उन्होंने कहा कि डेरिवेटिवऔरऔर भी

सरकार अब भी कहे जा रही है कि वित्त वर्ष 2011-12 के लिए तय विनिवेश लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा। वित्त सचिव आर एस गुजराल ने मंगलवार को आगरा में ड्रग्स के खिलाफ कार्यरत एशिया-प्रशांत देशों की राष्ट्रीय एजेंसियों के प्रमुखों के सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा, “ इस साल के लिए तय 40,000 करोड़ के विनिवेश लक्ष्य को छोड़ने की कोई वजह नहीं है। कई तरह के विकल्प हैं और कई किस्म के विकल्पोंऔरऔर भी

देश का बढ़ता व्यापार घाटा, विदेशी पूंजी की कम आवक, नतीजतन चालू खाते का बढ़ जाना, ऊपर से पेट्रोलियम तेल रिफाइनिंग व आयात पर निर्भर दूसरी कंपनियों में डॉलर खरीदने के लिए मची मारीमारी ने मंगलवार को डॉलर के सामने रुपए को ऐतिहासिक कमजोरी पर पहुंचा दिया। सुबह-सुबह एक डॉलर 52.73 रुपए का हो गया। रिजर्व बैंक की संदर्भ दर भी 52.70रुपए प्रति डॉलर रखी गई थी। हालांकि शाम तक रुपए की विनिमय दर में थोड़ा सुधारऔरऔर भी

खरबपति निवेशक वॉरेन बफेट का कहना है कि यूरोप के ऋण संकट ने 17 सदस्यीय यूरोज़ोन की बुनियादी कमजोरी को उजागर किया है और महज बयानबाजी व घोषणाओं ने इसे नहीं सुलझाया जा सकता। सोमवार को जापान के दौरे के पहले बफेट ने सीएनबीसी से हुई बातचीत में कहा, “यह यूरो सिस्टम की प्रमुख व बुनियादी गड़बड़ी है। मैं जानता हूं कि अभी जो व्यवस्था चल रही है, उसमें बड़ी खामी है और यह खामी महज शब्दोंऔरऔर भी

यूरोज़ोन एक ऐतिहासिक परियोजना है। भारत चाहता है कि यूरोज़ोन फले-फूले क्‍योंकि यूरोप की खुशहाली में ही हमारी खुशहाली है। यह कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। फ्रांस में पर्यटन के लिए मशहूर रिविएरा इलाके के सबसे अच्छे शहर कान में हो रहे रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले बुधवार को प्रधानमंत्री ने यह बात कही। दो दिन का यह सम्मेलन गुरुवार-शुक्रवार (3-4 नवंबर) को होना है। जर्मन चांसलर एंजेला मैर्केल,औरऔर भी

देश की अर्थव्यवस्था या शेयर बाजार की हालत में कोई खास मौलिक बदलाव नहीं आया है। फिर भी बाजार की दशा-दिशा दर्शानेवाला सेंसेक्स 15,900 के निचले स्तर से उठकर 17,805 पर जा पहुंचा। अभी की स्थितियों में यह वाकई कमाल की बात है। यूरोप की हालत पर खूब मगजमारी हो रही है। वहां के ऋण-संकट को वैश्विक बाजार की कमजोरी का खास कारण बताया जा रहा है। इसलिए यूरोप की संकट-मुक्ति की हल्की-सी आभा ने पूरे माहौलऔरऔर भी

यूरोप सहित तमाम विकसित देशों में गहराते वित्तीय संकट और घरेलू अर्थव्यवस्था की मंद पड़ती रफ्तार से चिंतित वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को वैश्विक समुदाय का आह्‍वान करते हुए कहा कि हमें धैर्य नहीं खोना चाहिए और स्थिति से मिलकर निपटना होगा। दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों के शोध से जुडी भारतीय परिषद (आईसीआरआईईआर) के एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने अलग से कहा कि लगातार निराशाजनक समाचार मिल रहे हैं। पहले हमें औद्योगिक उत्पादन सूचकांकऔरऔर भी

दोनों ही शीर्ष रेटिंग एजेंसियों स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और मूडीज ने भले ही फ्रांस की रेटिंग को एएए के सर्वोच्च स्तर से नीचे न उतारा हो, लेकिन फ्रांस के बैंको को लेकर विश्वास का संकट गहराने लगा है। गुरुवार को ऋण की लागत यानी ब्याज दर बढ़ने से पूरे यूरोप के बैकिंग उद्योग के सामने यह मुश्किल आ खड़ी हुई है। बुधवार को फ्रांस के प्रमुख बैंक सोसाइटी जनरल के शेयरों में 15 फीसदी की भारी गिरावटऔरऔर भी

साल 2008 और 2009 में बाजार लेहमान संकट की भेंट चढ़ गया। अब 2011 पर यूरोप व अमेरिका का ऋण संकट मंडरा रहा है। अमेरिका की आर्थिक विकास दर के अनुमान को घटाकर 1 फीसदी कर दिया गया है। अमेरिका के इतिहास में यह भी पहली बार हुआ कि स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने शनिवार को उसकी रेटिंग एएए के सर्वोच्च स्तर से घटाकर एए+ कर दी और आगे एए भी कर सकती है। हालांकि अमेरिकी वित्त मंत्रालयऔरऔर भी