सेटलमेट का पहला दिन और इससे ज्यादा सन्निपात से भरा कोई और दिन हो ही नहीं सकता था। वोलैटिलिटी को दिखानेवाला इंडिया वीआईएक्स 4.18 फीसदी बढ़कर 29.12 पर जा पहुंचा। निफ्टी ऊपर में 4767.30 तक तो नीचे में 4693.10 तक। सांसें इतनी ऊपर-नीचे! हालांकि बाजार में थोड़ी-बहुत खरीद चालू हो चुकी है। फिर भी बाजार के उस्तादों ने बीते सेटलमेंट में जो गोटें सेट की हैं, उनके हिसाब से दिसंबर तक की लंबी अवधि के पचड़े में न पड़कर बहुत छोटी अवधि में यही धारणा फैलाई जा रही है कि बाजार में गिरावट जारी रहेगी।
यहीं पर टेक्निकल एनालिस्टों के करामाती चार्टों की जरूरत आन पड़ती है। एक एनालिस्ट चार्ट दिखाकर कहता है कि 4690 के नीचे पहुंचने पर निफ्टी 4000 का रुख कर लेगा। दूसरा कहता है कि 4450 टर्निंग प्वॉइंट है जहां से निफ्टी पलटकर इसी सेटलमेंट में 5000 का स्तर छू लेगा। यह दावा भी बाजार के उस्तादों की 20-30 फीसदी कमाई क धंधे में बरक्कत के लिए एकदम फिट है। सोचिए तो सही कि निवेशक पूरे साल में 20 फीसदी रिटर्न पाने के लिए जान निकाल देते हैं और अंततः शायद अपनी 50 फीसदी जमापूंजी गंवा बैठते हैं। लेकिन ऑपरेटर एक ही सेटलमेंट में 30 फीसदी बना लेते हैं। मौज है! ऐसे में कौन चाहेगा कि फिजिकल सेटलमेंट लागू कर दिया जाए?
पिछले सेटलमेंट में तमाम दूसरे स्टॉक्स के साथ-साथ लार्सन, बॉम्बे डाईंग, रैनबैक्सी, डिश टीवी, एसबीआई, रिलांयस इंडस्ट्रीज (आरआईएल), टाटा मोटर्स, अडानी एंटरप्राइसेज, जिंदल समूह की कंपनियों व वोल्टाज को कैश सेटलमेंट का शिकार बनना पड़ा। ऐसे में किसी ट्रेडर की तरफ से शेयर बाजार में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव की शिकायत करने की कोई गुंजाइश ही नहीं बचती क्योंकि बाजार में कोई है ही नहीं, जो फिजिकल सेटलमेंट चाहता हो।
रिटेल सेक्टर को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया गया और इस सेक्टर के सभी स्टॉक्स 10 फीसदी तक बढ़ गए। लेकिन बहुत जल्द ही इनका झाग निकल जाएगा। आनेवाले हफ्तों में वे तेज गिरावट के लपेटे में आ सकते हैं। इसकी दो वजहें हैं। एक, कुछ भी रातोंरात नहीं बदलनेवाला क्योंकि प्रक्रियाओं को पूरा करने में लंबा वक्त लगता है। दो, ऑपरेटरों ने इन स्टॉक्स से 30 फीसदी मुनाफा कमाने का नया लक्ष्य बना लिया है। आज तो सिविल एविएशन सेक्टर में भी आग लगी रही। लेकिन गृह मंत्रालय इसमें विदेशी एयरलाइंस को सीधे निवेश की इजाजत न देने पर अड़ा हुआ है। इसलिए इन स्टॉक्स में जल्दी ही गिरावट आ सकती है।
मेरा यकीन मानिए कि पिछले सेटलमेंट में यूरोप की बुरी खबरों का इस्तेमाल बाजार को पीटने के लिए किया गया और इस सेटलमेंट में किसी भी संभावित अच्छी खबर का इस्तेमाल बाजार को जबरन उठाने में किया जाएगा। सच्चाई यह है कि यूरोप की हालत आईसीयू में पड़े मरीज जैसी हो गई है। वह कभी नहीं बदलेगी। लेकिन यूरोप की हालत से भारत पर कोई भी असर नहीं पड़ेगा। भारत पर जो चीजें असर डाल रही हैं, वो हैं सरकार की गलत नीतियां। हम आम लोगों की बढ़ती झुंझलाहट को साफ देख सकते हैं जिसने अब लोकतांत्रिक तरीकों को दरकिनार करना शुरू कर दिया है। शरद पवार पर पड़ा चांटा इसकी तस्दीक करता है। निवेशकों पर तो दोहरी मार पड़ रही है। देश के दूसरे लोग जहां केवल महंगाई की मार झेल रहे हैं, वहीं निवेशक गिरते शेयर बाजार का दंश भी झेल रहे हैं।
मान लीजिए कि निफ्टी गिरकर 4000 तक भी पहुंच जाए, हालांकि कोई संभावना नहीं है कि हाल-फिलहाल ऐसा होने जा रहा है, तब भी मेरा सुझाव कि दिसंबर में इंतजार का कोना पकड़ लीजिए और जैसे ही निफ्टी 4820 को पार करता है, आप इसमें ट्रेडिंग के लांग सौदे कर डालिए। फिर मजे से बैठ जाइए। निफ्टी के 5900 तक पहुंचने का मेरा लक्ष्य अब भी बरकरार है। निफ्टी 4000 तक भी चला जाए, तब भी उसका 5900 पर पहुंचना तय है। इसलिए निकलना है तो तभी निकलना चाहिए। उससे पहले नहीं।
कृतज्ञता न केवल महानतम सद्गुण है, बल्कि यह तमाम दूसरे सद्गुणों की जननी है।
(चमत्कार चक्री एक अनाम शख्सियत है। वह बाजार की रग-रग से वाकिफ है। लेकिन फालतू के कानूनी लफड़ों में नहीं पड़ना चाहता। इसलिए अनाम है। वह अंदर की बातें आपके सामने रखता है। लेकिन उसमें बड़बोलापन हो सकता है। आपके निवेश फैसलों के लिए अर्थकाम किसी भी हाल में जिम्मेदार नहीं होगा। यह मूलत: सीएनआई रिसर्च का कॉलम है, जिसे हम यहां आपकी शिक्षा के लिए पेश कर रहे हैं)
sir apki bate padne me to achhi lagti hai aap hamesha teji ki hi baat karte hai par hamesa bajar aapke anusar nahi chalta hai
aapke sujhav pe maine dcm 500 share 93 pe le rakha hai kripya aap bataye ki isme bane rahna chahiye ya exit ho jana chahiye