दोनों ही शीर्ष रेटिंग एजेंसियों स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और मूडीज ने भले ही फ्रांस की रेटिंग को एएए के सर्वोच्च स्तर से नीचे न उतारा हो, लेकिन फ्रांस के बैंको को लेकर विश्वास का संकट गहराने लगा है। गुरुवार को ऋण की लागत यानी ब्याज दर बढ़ने से पूरे यूरोप के बैकिंग उद्योग के सामने यह मुश्किल आ खड़ी हुई है।
बुधवार को फ्रांस के प्रमुख बैंक सोसाइटी जनरल के शेयरों में 15 फीसदी की भारी गिरावट आ चुकी है। असल में फ्रांस के बैकों ने ऋण संकट से जूझते कई यूरोपीय देशों को असामान्य रूप से भारी-भरकम उधार दे रखा है। इटली से लेकर ग्रीस सरकार तक के बांडों में उन्होंने काफी रकम लगा रखी है। इसलिए ऋण संकट विकट होने पर इनकी समस्याएं भी विकट हो सकती हैं।
गौरतलब है कि बुधवार को फ्रांस की रेटिंग घटाए जाने की अटकलों के बीच यूरोप के निवेशकों ने जमकर शेयरों की बिकवाली की थी। पूरे बाजार में अफरातफरी का माहौल बन गया। बैंकिंग कंपनियों के शेयरों में जमकर गिरावट दर्ज हुई और लगभग सभी यूरोपीय सूचकांक जमीन पर आ गए। यूरोप और अमेरिका के दोहरे ऋण संकट के बाद अब आशंका पनपने लगी है कि वैश्विक स्तर पर एक बार फिर से मंदी का दौर चल सकता हैं।
अमेरिका के अलावा बेल्जियम और न्यूजीलैंड जैसे औद्योगीकृत देश भी अपनी शीर्ष एएए रेटिंग को गंवा चुके हैं। रेटिंग घटाने की आशंकाओं के बीच फ्रांसीसी राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी बुधवार को दक्षिणी फ्रांस में अपनी छुट्टियों को रद्द कर पेरिस लौट आए। उन्होंने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ आपात बैठक की। इस बैठक के बाद सरकोजी ने कहा कि उनकी सरकार 2012 में अपने बजट में घाटे को कम करने को लेकर प्रतिबद्ध है। फ्रांस में 24 अगस्त को सार्वजनिक खर्चे घटाने के लिए मितव्ययिता उपायों पर एक पैकेज की घोषणा की जाएगी।