कभी देश के भीतर के घोटाले तो कभी देश के बाहर के घटनाक्रम। शेयर बाजार पर इनकी ऐसी वक्री दृष्टि पड़ी हुई है कि आम निवेशकों के मन में तमाम भय व आशंकाओं ने घर कर लिया है। वे अपने हाथ बांधकर बैठ गए हैं। उनको लगता है कि बाजार अब तक के शिखर के करीब पहुंच चुका है तो कहीं पलीता न लग जाए। लेकिन हमें लगता है कि उनकी तमाम आशंकाएं निराधार हैं। यूरोप केऔरऔर भी