वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की घोषणा के मुताबिक प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अगर नए वित्त वर्ष 2011-13 से लागू हो गई तो आयकर मुक्ति की सीमा 1.80 लाख रुपए के मौजूदा स्तर से बढ़ाकर दो लाख रुपए की जा सकती है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने पेश किए जानेवाले आम बजट में नौकरीपेशा लोगों को आयकर में कुछ राहत मिल सकती है। प्रत्यक्ष कर क्षेत्र में सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए संसदऔरऔर भी

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि देश में प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) अप्रैल 2012 से अमल में आ जाएगी। आयकर की यह नई व्यवस्था 1961 के आयकर कानून का स्थान लेगी। बुधवार को राजधानी दिल्ली में ‘कर व विषमता’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुखर्जी ने कहा कि प्रस्तावित प्रत्यक्ष कर संहिता से प्रत्यक्ष करों के संबंध में नीतिगत बदलाव आएगा। इसे अगले वित्त वर्ष से अमल में लाया जाना है।औरऔर भी

गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से आग्रह किया है कि उनके लिए प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में भी कर छूट का प्रावधान जारी रखा जाना चाहिए ताकि संगठनों को कल्याणकारी गतिविधियों के लिए प्रोत्साहन मिलता रहे। ‘टैक्स पेयर्स प्रोटेक्शन एंड वेल्फेयर सोसायटी’ द्वारा राजधानी दिल्ली में जारी एक बयान में कहा गया है, “करों से धर्मार्थ संस्थानों को संसाधन जुटाने में बाधा आएगी और कल्याणकारी गतिविधियां चलाने की उनकी क्षमता घटेगी।” बयान में कहाऔरऔर भी

जल्दी ही देश के बहुत सारे नौकरीपेशा लोगों को टैक्स-रिटर्न भरने के झंझट से निजात मिल जाएगी। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने वित्त वर्ष 2011-12 का आम बजट पेश करते हुए यह घोषणा की। उनका कहना था कि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जल्दी ही ऐसे नौकरीपेशा करदाताओं की श्रेणी घोषित करेगा जिन्हें आयकर रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं होगी क्योंकि उनका टैक्स तो नियोक्ता द्वारा टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) के जरिए पहले ही अदाऔरऔर भी

प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और माल व सेवाकर (जीएसटी) पर अमल अप्रैल 2012 से पहले नहीं हो सकता। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार को आम बजट में इसका ऐलान कर सकते हैं। लेकिन इस बीच पूरी संभावना है कि वे नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपए कर देंगे। अभी यह सीमा 1.60 लाख रुपए की है। सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़तेऔरऔर भी

अब 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में यूलिप विवाद पर सुनवाई का कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि सरकार ने इससे जुड़े चार के चार कानूनों – आरबीआई एक्ट 1934, इश्योरेंस एक्ट 1938, सेबी एक्ट 1992 और सिक्यूरिटीज कांटैक्ट रेगुलेशन एक्ट 1956 में संशोधन कर दिया है। शुक्रवार 18 जून को देर रात राष्ट्रपति की तरफ से इन संशोधनों को अध्यादेश के रूप में जारी करवा दिया गया है। जब तक संसद के दोनों सदन किसीऔरऔर भी

बाजार में अगले कुछ कारोबारी सत्रों को लेकर हमारी धारणा तेजी की नहीं है। इसलिए हमने कुछ पुरानी कॉल्स को छोड़कर, जिन्हें थोड़ा समय चाहिए, बाकी सारी बकाया कॉल्स रोक दी हैं। कारण, हम बाजार में दोबारा घुसने के लिए माकूल वक्त का इंतजार करना चाहते हैं। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) का संशोधित मसौदा बाजार के लिए वाकई बुरा है क्योंकि एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) शेयरों के सौदों पर टैक्स देना नहीं पसंद करेंगे। अभी तक एफआईआईऔरऔर भी