प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) और माल व सेवाकर (जीएसटी) पर अमल अप्रैल 2012 से पहले नहीं हो सकता। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी सोमवार को आम बजट में इसका ऐलान कर सकते हैं। लेकिन इस बीच पूरी संभावना है कि वे नए वित्त वर्ष 2011-12 के बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपए कर देंगे। अभी यह सीमा 1.60 लाख रुपए की है।
सूत्रों के मुताबिक इसके अलावा विश्व बाजार में कच्चे तेल के बढ़ते दामों के मद्देनजर वित्त मंत्री पेट्रोलियम पदार्थों पर कस्टम व एक्साइज ड्यूटी (सीमा व उत्पाद शुल्क) घटा सकते हैं। पिछले बजट में पेट्रोल व डीजल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 7.5 फीसदी और कच्चे तेल पर 5 फीसदी कर दी गई थी। साथ ही पेट्रोलियम उत्पादों पर एक्साइज ड्यूटी एक रुपए प्रति लीटर बढ़ा दी गई थी।
नए बजट में सेवा कर का दायरा बढ़ाने की भी कोशिश हो सकती है। रिटेल व्यापार, गैस व पानी के वितरण, रिसर्च व प्रायोगिक विकास पर सर्विस टैक्स या सेवाकर लगाया जा सकता है। साथ ही केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) की दर को 2 फीसदी से घटाकर 1 फीसदी पर ले आया जाएगा। वित्त मंत्री की कोशिश यही रहेगी कि वे आम आदमी पर महंगाई की मार को कम करते हुए नजर आएं। लेकिन विकास व आर्थिक सुधारों में प्रति प्रतिबद्धता भी बनी रहे।
इस बीच पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के आसन्न विधानसभा चुनावों को देखते हुए सरकार लोक-लुभावन कार्यक्रमों में ढील नहीं दे सकती। इसलिए नरेगा, सर्वशिक्षा अभियान, भारत निर्माण जैसी सामाजिक योजनाओं के खर्च का बढ़ना तय है। सरकार कृषि उत्पादों को बरबादी से बचाने के लिए कोल्ड-चेन बनाने की भी पहल कर सकती है। इन सारे खर्चों के इंतजाम के लिए एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से 40,000 करोड़ रुपए जुटाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है।