सहयोग को भाव
देवी-देवताओं का काम भी दो हाथों से नहीं चलता तो इंसान की क्या बिसात! मगर हम अपने गुमान में इतने मशरूफ रहते हैं कि अपनों तक का सहयोग देख नहीं पाते। हकीकत यह है कि जब तक हम सहयोग को भाव नहीं देते, तब तक बड़े नहीं बन सकते।और भीऔर भी
मिलीजुली कोशिश
ये सृष्टि एक मिलीजुली कोशिश का नतीजा है। सूक्ष्म से सूक्ष्म कणों ने भी नियमबद्ध होकर बेहद तार्किक तरीके से इसको रचने में अपना भरपूर योगदान दिया है। ये दुनिया, ये ब्रह्माण्ड इसी कोशिश और कुछ प्राकृतिक नियमों का उद्घोष भर है।और भीऔर भी
फिलहाल विश्रांति, आगे मर्जी दाता की
मुझे पता है कि मुठ्ठी भर लोगों को छोड़ दें तो इससे आप पर कोई फर्क नहीं प़ड़ता। आपके आगे रोने का भी कोई फायदा नहीं। आप मजे से तमाशा देखते रहेंगे। लेकिन मेरे लिए तो यह वजूद और निष्ठा का सवाल था। अब तो यही लगता है कि इतनी मशक्कत के बाद भी यहां से इतना नहीं मिलनेवाला जिससे अपना और अपने घर का गुजारा चल जाए तो अर्थकाम नाम के खटराम को क्यों चलाया जाए?औरऔर भी
दस सालों में एक चौथाई अर्थव्यवस्था मैन्यूफैक्चरिंग से, दस करोड़ को काम
अगले दस सालों में सरकार देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के योगदान को 25 फीसदी पर पहुंचा देंगी और दस करोड़ रोज़गार के नए अवसर पैदा करेगी। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग नीति के इस उद्देश्य को बड़े जोर-शोर से पेश किया है। वे मंगलवार को दिल्ली में उद्योग संगठन एसोचैम के 91वें सालाना सम्मेलन में बोल रहे थे। बता दें कि केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) की तरफ से जारी ताजाऔरऔर भी
रोज़गार से लेकर निर्यात तक टेक्सटाइल!
टेक्सटाइल देश में कृषि के बाद सबसे ज्यादा रोज़गार देनेवाला क्षेत्र है। यह 3 करोड़ 50 लाख से ज्यादा लोगों को सीधे रोज़गार देता है। देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 14 फीसदी, सकल घरेलू उत्पादन में 4 फीसदी और निर्यात से होने वाली आय में इसका योगदान 10.63 फीसदी है। 11वीं पंचवर्षीय योजना में 40 एकीकृत टेक्सटाइल पार्को को मंजूरी दी गई और इसके लिए 1400 करोड़ रुपए की राशि दी गई। राष्ट्रीय वस्त्रऔरऔर भी
थोड़ा थमकर सांस ले लूं तो चलूं
छोटी-सी सूचना देनी थी। सामने होते तो इजाजत भी ले लेता। हफ्ते भर की छुट्टी लेनी है। सोमवार से इतवार तक। फिर सीधे नए साल में 2 जनवरी 2012 को हाजिर हूंगा। इस बीच गाहे-बगाहे कुछ न कुछ लिखता जरूर रहूंगा, लेकिन अनुशासन से मुक्त, छुट्टी की मानसिकता में एकदम बोझ-मुक्त होकर। हां, सुबह-सुबह ऋद्धि-सिद्धि के जरिए आपके मन की दुनिया में कंकड़ फेंकने का सिलसिला अनवरत जारी रहेगा क्योंकि वो तो दिमाग की धुकधुकी है जोऔरऔर भी
झुके नहीं, रुके नहीं, बढ़ता रहे कारवां…
काम ऐसे करो जैसे कि तुम्हें धन चाहिए ही नहीं। प्यार ऐसे करो जैसे कि तुम्हें कभी चोट ही नहीं लगती। और, नाचो ऐसे जैसे कि तुम्हें कोई देख ही नहीं रहा। जो लोग नियमित रूप से अर्थकाम पढ़ते होंगे, उन्होंने यह वाक्य जरूर पढ़ा होगा। अपुन इसी सोच के हैं। अर्थकाम की धुन लग गई तो बस यही बात छाई रही कि कैसे आपके लिए बेहतर से बेहतर सूचना, ज्ञान व जानकारी पेश कर दूं। लगाऔरऔर भी