पूंजी बाजार नियामक संस्था, सेबी ने 1 मई 2011 से रिटेल के अलावा बाकी सभी निवेशकों के लिए अनिवार्य कर दिया है कि वे पब्लिक (आईपीओ, एफपीओ) या राइट्स इश्यू में आवेदन केवल अस्बा (एप्लिकेशन सपोर्टेड बाय ब्लॉक्ड एमाउंट) सुविधा के तहत ही कर सकते हैं। अस्बा ऐसी सुविधा है जिसमें आवंटन होने तक निवेशक की रकम उसके बैंक खाते में ही पड़ी रहती है। शेयरों का आवंटन होने के बाद ही वह रकम कंपनी के खातेऔरऔर भी

सुना है कि म्यूचुअल फंड उद्योग में डिस्ट्रीब्यूशन मॉडल को नए सिरे से ढालने की बात चल रही है, लेकिन मुझे लगता है कि आज अहम जरूरत इस बात की है कि हम खुद से पूछें कि म्यूचुअल फंड उद्योग के बने रहने का ही क्या तुक है। हमें बराबर बताया जाता है कि म्यूचुअल फंड में प्रोफेशनल मैनेजर सबसे जुटाई गई बचत का कुशल प्रबंधन करते हैं और वे खुद अपना पैसा संभालनेवाले औसत निवेशक सेऔरऔर भी

पिछले साल अगस्त से ही म्यूचुअल फंड उद्योग को दुरुस्त करने और उसमें रिटेल निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने की कोशिश में लगे सेबी चेयरमैन सी बी भावे ने लगता है हथियार डाल दिए हैं। बुधवार को मुंबई में उद्योग संगठन सीआईआई (कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री) के म्यूचुअल फंड सम्मेलन में उन्होंने कहा कि म्यूचुअल फंड उद्योग को खुद ही एक आम नीति का प्रस्ताव पेश करना चाहिए कि इस उद्योग को कैसे संचालित किया जाए। सम्मेलन मेंऔरऔर भी