बेपरवाही जितनी, भाव चढ़ते हैं उतने
ब्याज दर जस-की-तस तो बाज़ार बढ़ा सहज गति से। छोटी अवधि में शेयरों के भाव जिस दूसरी बात से सर्वाधिक प्रभावित होते हैं वो है निवेशकों की रिस्क उठाने की मानसिकता। अगर वे रिस्क लेने से डरते हैं तो भाव गिरते हैं और बगैर खास परवाह किए रिस्क उठाते हैं तो भाव चढ़ते हैं। ट्रेडिंग में अक्सर कंपनी के फंडामेंटल्स नहीं, दांव लगाने की मानसिकता का वास्ता होता है शेयरों के बढ़ने से। अब बुधवार की बुद्धि…औरऔर भी