सरकार जल्दी ही विदेश में धन छिपाकर रखनेवाले भारतीयों पर निगाह रखने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और साइप्रस जैसे देशों में आयकर कार्यालय खोलने जा रही है। ये कार्यालय संबंधित देश के कर अधिकारियों के साथ बराबर संपर्क में रहेंगे और किसी भी संदेहास्पद लेन-देन की खोज-खबर रखेंगे। इससे सरकार को कर चोरों के पनाहगार समेत अन्य देशों से गोपनीय वित्तीय सूचनाएं हासिल करने में मदद मिल सकती है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अमेरिका, ब्रिटेन,औरऔर भी

अनेक घोटालों पर विपक्ष के हमलों से घिरी सरकार ने एक अध्यादेश लाने का फैसला किया है जिसमें प्रधानमंत्री समेत लोक सेवकों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए एक लोकपाल बनाने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि सरकार 25 जनवरी से पहले अध्यादेश लाना चाहती है ताकि गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति के राष्ट्र के नाम संदेश में इसका उल्लेख हो सके। सूत्रों ने यह भी कहा कि कैबिनेट की गुरुवार कोऔरऔर भी

विदा लेते साल 2010 के दौरान देश में भ्रष्टाचार और घोटालों के कई मामले सामने आए। इसके बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदी की तेज रफ्तार के साथ आगे बढती दिखाई दी। पहले राष्ट्रमंडल खेल आयोजन में भ्रष्टाचार, फिर कॉरपोरेट जगत के लिये जनसंपर्क का काम करनेवाली नीरा राडिया के नेताओं, अधिकारियों और पत्रकारों के साथ बातचीत के टेप के सार्वजनिक होने और 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से उठा तूफान। इन सब विवादों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था नौ फीसदीऔरऔर भी

जहां तक निफ्टी का ताल्लुक है, वह अब प्रतिरोध का स्तर तोड़ चुका है और 6500 अंक की तरफ बढ़ रहा है। आज का दिन जय जलाराम का हो गया लगता है। कहने का मतलब यह है कि फिजिकल सेटलमेंट के न होने के चलते बाजार चलानेवालों ने अपनी मनमर्जी से स्टॉक्स को नचाया है। हालांकि इसमें कुछ नया नहीं है। यह हमारे शेयर बाजार का दस्तूर बन चुका है। अभी बाजार में तूफान के पहले कीऔरऔर भी

1 जनवरी 2011 से कोई भी नेता या अफसर म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त अपनी पहचान नहीं छिपा सकता। उसे साफ-साफ बताना होगा कि वह एमपी, एमएलए या एमएलसी है कि नहीं। और, यह भी कि वह अगर नौकरशाह है तो सरकार के किस विभाग में काम करता है। यहां तक कि देश के वर्तमान व पुराने प्रधानमंत्री और राज्यों के वर्तमान व पूर्व मुख्यमंत्रियों या राज्यपालों तक को म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त अपनेऔरऔर भी

सरकारी कंपनी शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एससीआई) का एफपीओ (फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर) 30 नवंबर को आएगा। इश्यू क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बिडर्स या क्यूआईबी के लिए 2 दिसंबर और आम निवेशकों के लिए 3 दिसंबर तक खुला रहेगा। कंपनी ने बीएसई में दाखिल सूचना में यह जानकारी दी है। कंपनी ने इस एफपीओ के लिए रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस सेबी और कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय के पास जमा करा दिया। वह इस इश्यू से करीब 1450 करोड़ रुपए जुटाना चाहती है।औरऔर भी

देश में कुल श्रमिकों की संख्या करीब 40 करोड़ है। इसका 91% हिस्सा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का है और केवल 3.5 करोड़ के आसपास मजदूर ही संगठित क्षेत्र में काम करते हैं। संगठित क्षेत्र के मजदूर भी विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से जुड़ी करीब 15 ट्रेड यूनियनों में बंटे हैं। सरकार से बातचीत करने के लिए इनका कोई शीर्ष निकाय नहीं है, जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, जापान और यहां तक कि पाकिस्तान में भी ट्रेड यूनियनोंऔरऔर भी

स्विटजरलैंड के बासेल शहर में जब दुनिया भर के बैंकिंग नियामक नए मानक को लेकर माथापच्ची कर रहे हैं तब हमारे बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर डॉ. दुव्वरी सुब्बाराव का मानना है कि बासेल-III मानकों को अपनाने में भारतीय बैंकों को खास कोई मुश्किल नहीं होगी क्योंकि 30 जून 2010 तक ही वे 13.4 फीसदी का जोखिम-भारित आस्ति पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीआरएआर) हासिल कर चुके हैं, जिसमें टियर-1 पूंजी का हिस्सा 9.3 फीसदी है। डॉ.औरऔर भी

सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश बढ़ रहा है। वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह लगभग 18 फीसदी बढ़कर 21,71,022 करोड़ रुपए हो गया है। खासकर यह बढ़त सरकारी की दिनांकित प्रतिभूतियों में होनेवाले सौदों के चलते हुई है जिसमें निवेश लगभग 90 फीसदी बढ़ गया है। नोट करने की बात यह है कि सरकारी प्रतिभूतियों में बैंक या म्यूचुअल फंड व बीमा कंपनियों जैसी वित्तीय संस्थाएं हीऔरऔर भी

हमें अच्छा लगता है जब लोग कहते हैं कि बाजार महंगा चल रहा है। बाजार (सेंसेक्स) जब 8000 अंक पर था, तब कोई स्पष्टता नहीं थी। तब से लेकर अब तक 18,000 अक की पूरी यात्रा के दौरान वे यकीन के साथ खरीदने के मौके नहीं पकड़ सके। इसके बजाय हर बढ़त पर वे बेचते रहे। देखिए तो सही कि इस दौरान एफआईआई की होल्डिंग 20 से घटकर 16 फीसदी और रिटेल की 10 से घटकर 8औरऔर भी