अभी रिजर्व बैंक द्वारा 3 मई मौद्रिक नीति में ब्याज दरें 0.25 फीसदी से 0..50 फीसदी बढ़ाने की अटकलें चल ही रही हैं कि देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपना बेस रेट 0.25 फीसदी बढ़ा दिया है। अभी तक यह 8.25 फीसदी था। अब 8.50 फीसदी हो गया। इससे बैंक द्वारा दिए गए होम और ऑटो लोन महंगे हो जाएंगे। एसबीआई ने इसके साथ ही अपने बेंचमार्क प्राइन लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) कोऔरऔर भी

कच्चे तेल का हल्ला हमारे लिए बेमतलब है। मध्य-पूर्व में राजनीतिक संकट उभरने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ते ही जा रहे हैं। लेकिन इसी दौरान निफ्टी 5400 से 5900 और सेंसेक्स 18,000 से 19,750 तक बढ़ चुका है। मतलब यह कि फिलहाल भारतीय बाजार को गिराने या उठाने के कारकों में तेल का उतना हाथ नहीं है। एक सोच कहती है कि तेल की हालत अर्थव्यवस्था में पलीता लगा देगी और इसलिएऔरऔर भी

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आठवीं बार ब्याज दरें (रेपो व रिवर्स दर) बढ़ा दी हैं। इसका सीधा असर बैंकों द्वारा दिए जा रहे ऑटो, होम और कॉरपोरेट लोन पर पड़ेगा। लेकिन बैंक फिलहाल इस महीने ब्याज दरों में कोई नई वृद्धि नहीं करने जा रहे हैं। इंडियन ओवरसीज बैंक के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक (सीएमडी) एम नरेंद्र का कहना है कि रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति को कड़ा किए जाने का तत्काल कोई असरऔरऔर भी

बढ़ती मुद्रास्फीति की हकीहत और चिंता रिजर्व बैंक पर भारी पड़ी है। इतनी कि मार्च की मुद्रास्फीति के लिए इसी जनवरी में 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी किया गया अनुमान उसने फिर बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया है। जाहिर है तब आर्थिक विकास के बजाय उसकी प्राथमिकता मुद्रास्फीति पर काबू पाना बन गया और इसके लिए उसने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी वृद्धि कर दी है। असल में रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर एकऔरऔर भी

हमारे नीति-नियामकों के लिए थोड़े सुकून की बात है कि तीन महीने बाद खाद्य मुद्रास्फीति की दर अब दहाई से इकाई अंक में आ गई है। 26 फरवरी को खत्म हफ्ते में इसकी दर 9.52 फीसदी दर्ज की गई है जबकि इसके ठीक पिछले हफ्ते में यह 10.39 फीसदी पर थी। इस तरह इनमें 87 आधार अंकों की कमी आ गई है। एक आधार अंक या बेसिस प्वाइंट का मतलब 0.01 फीसदी होता है। इन आंकड़ों सेऔरऔर भी

अभी कल तक बड़े-बड़े विद्वान कह रहे थे कि जनवरी माह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 8.5 फीसदी रहेगी। लेकिन, आज सोमवार को घोषित दर 8.23 फीसदी रही है जो इससे पहले के महीने दिसंबर की मुद्रास्फीति दर 8.43 फीसदी से कम है। अर्थशास्त्री कह रहे थे कि खाने-पीने की चीजों के ज्यादा दाम और पेट्रोल के महंगा होने से मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी। लेकिन हकीकत में गेहूं, दाल व चीनी जैसे जिंसों केऔरऔर भी

बैंकों के प्रमुखों का कहना है कि रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति पर शिकंजा कसने के लिए अल्पकालिक दरों में जो 0.25 फीसदी की वृद्धि की है, उससे होम, ऑटो और कंपनी ऋण पर ब्याज दरों में तत्काल वृद्धि नहीं होगी। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एस सी कालिया ने कहा कि नीतिगत दर में वृद्धि ब्याज दरों में इजाफे का संकेत है लेकिन बैंक जल्दबाजी में दरों में कोई वृद्धि नहीं करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘ब्याजऔरऔर भी

कल अचानक जिस तरह की कयासबाज़ी बढ़ गई थी कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है, वह आज मंगलवार को पूरी तरह हवाई निकली। रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। अब तत्काल प्रभाव से रेपो दर 6.25 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.25 फीसदी से बढ़कर 5.50 फीसदी हो गईऔरऔर भी

खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है और 8 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 15.52 फीसदी पर आ गई है। हालांकि सब्जियों विशेषकर प्याज के दाम अभी भी ऊंचे बने हुए हैं। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार दाल, गेहूं व आलू के दाम में कमी की वजह से खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है। इससे पहले 1 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 16.91 फीसदी थी,औरऔर भी

कल भारी वोल्यूम के साथ निफ्टी के 5800 अंक से नीचे चले जाने के साथ बाजार ने ट्रेडरों और निवेशकों के विश्वास को डिगाकर रख दिया है। मुझे उम्मीद थी कि निफ्टी 5820 के बाद वापस उठेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका कारण मुद्रास्फीति और ब्याज दरों के बढ़ने का अंदेशा बताया जा रहा है। पर यह बाजार के इस तरह धराशाई हो जाने का असली कारण नहीं हो सकता। जब वित्त मंत्री ऑन रिकॉर्ड कह रहेऔरऔर भी