विद्वानों की राय से उलट जनवरी में घटी मुद्रास्फीति, आई 8.23% पर

अभी कल तक बड़े-बड़े विद्वान कह रहे थे कि जनवरी माह में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 8.5 फीसदी रहेगी। लेकिन, आज सोमवार को घोषित दर 8.23 फीसदी रही है जो इससे पहले के महीने दिसंबर की मुद्रास्फीति दर 8.43 फीसदी से कम है। अर्थशास्त्री कह रहे थे कि खाने-पीने की चीजों के ज्यादा दाम और पेट्रोल के महंगा होने से मुद्रास्फीति बढ़ जाएगी। लेकिन हकीकत में गेहूं, दाल व चीनी जैसे जिंसों के दाम घटने से मुद्रास्फीति नीचे आ गई, भले ही जनवरी माह में प्याज व अन्य सब्जियां काफी महंगी ही रही हैं। फरवरी की मुद्रास्फीति तो और नीचे आ जानी चाहिए क्योंकि प्याज के थोक मूल्य घटकर 5-10 रुपए किलो तक आ गए हैं।

इस जनवरी महीने में पिछले साल की जनवरी की तुलना में चीनी का थोक मूल्य 14.99 फीसदी, दाल का 12.78 फीसदी, गेहूं का 4.94 फीसदी और आलू का थोक मूल्य 1.21 फीसदी घटा है। लेकिन सब्जियों के दाम 65 फीसदी, प्याज के दाम लगभग दोगुने, फल के दाम 15.01 फीसदी और अंडा-मांस व मछली 15.09 फीसदी बढ़ गए हैं।

बता दें कि इस समय मुद्रास्फीति के बढ़ने की बड़ी वजह खाद्य वस्तुओं की महंगाई है। लेकिन वह नीचे आ रही है। 29 जनवरी 2011 को खत्म हफ्ते में खाद्य मुद्रास्फीति की दर 13.07 फीसदी पर आ गई है, जबकि हफ्ते भर पहले तक यह 17.05 फीसदी थी। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी का कहना है कि बम्फर फसलों के चलते आगे मुद्रास्फीति का घटना लगभग तय है।

बता दें कि रिजर्व बैंक के लिए मुद्रास्फीति पर काबू पाना बड़ी समस्या है। इसी के मद्देनजर वह इस साल कई बार ब्याज दरों में वृद्धि कर चुका है ताकि कर्ज या धन महंगा हो जाए तो मांग घट जाए। लेकिन उसे लगता है कि मुद्रास्फीति के बढ़ने की प्रमुख वजह सप्लाई की कमी है। यही वजह है कि वह मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.5 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर चुका है। फिर भी उसकी परेशानी कम नहीं हुई है क्योंकि मुद्रास्फीति को लेकर वह तभी निश्चिंत हो सकता है जब उसकी दर 5 से 6 फीसदी तक आ जाए।

ताजा आंकड़ों के जारी होने के बाद वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को उम्मीद जताई कि इस वित्त वर्ष के अंत मार्च तक मुद्रास्फीति 7 फीसदी पर आ जाएगी। वैसे, पूरे साल 2010 के अधिकांश महीनों में मुद्रास्फीति की दर 8 फीसदी से ऊपर ही रही है। हालांकि नवंबर 2010 में इसकी दर 7.48 फीसदी दर्ज की गई थी।

बैंक ऑफ बड़ौदा की मुख्य अर्थशास्त्री रूपा रेगे नितसुरे का कहना है कि मौजूदा रुझान को देखते हुए मुद्रास्फीति की दर अगले वित्त वर्ष 2011-12 में भी 8 फीसदी के आसपास रहेगी और असली चिंता की बात यह है कि खाद्य वस्तुओं के अलावा दूसरी चीजों के दामों पर भी दबाव लगातार बना हुआ है। उनके मुताबिक बैंक ऋणों में हुई करीब 23 फीसदी की वृद्धि भी मुद्रास्फीति को बढ़ाने में योगदान दे रही है।

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