खाद्य मुद्रास्फीति ढलान पर, लेकिन ब्याज दरों का 0.25% बढ़ना तय

खाद्य मुद्रास्फीति में लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है और 8 जनवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 15.52 फीसदी पर आ गई है। हालांकि सब्जियों विशेषकर प्याज के दाम अभी भी ऊंचे बने हुए हैं। गुरुवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार दाल, गेहूं व आलू के दाम में कमी की वजह से खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है।

इससे पहले 1 जनवरी को समाप्त सप्ताह में खाद्य मुद्रास्फीति 16.91 फीसदी थी, जबकि 25 दिसंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 18.32 फीसदी के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन अर्थशास्त्रियों व नीति नियामकों की चिंता यह है कि थोक मूल्य सूचकांक पर आधार सकल मुद्रास्फीति की दर दिसंबर माह में 8.43 फीसदी रही है जो इससे पहले नवंबर महीने में 7.48 फीसद थी। रिजर्व बैंक इसी के आधार पर मौद्रिक उपाय निर्धारित करता है। इसलिए इस बात के पक्के आसार हैं कि वह 25 जनवरी को मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में रेपो और रिवर्स रेपो दर को 0.25 फीसदी बढ़ाकर क्रमशः 6.50 और 5.50 फीसदी कर देगा। रेपो व रिवर्स रेपो दर के बढ़ने का साफ मतलब होता है ब्याज दरों में वृद्धि।

वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के अनुसार 8 जनवरी को खत्म हफ्ते में जहां दाल के दाम में साल भर पहले की तुलना में 14.92 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, वहीं गेहूं में 6.11 व आलू के मूल्य में 2.91 फीसद की कमी रिकॉर्ड की गई है। बहरहाल, सब्जियों की कीमत अभी भी उंची बनी हुई है। पिछले साल के मुकाबले सब्जी के दाम 65.39 फीसदी ज्यादा हैं। इसमें प्याज की कीमत पहले से 98.15 फीसदी अधिक है। इसी प्रकार, फलों के दाम भी 15.91 फीसदी चढ़ गए हैं, वहीं दूध 13.27 फीसदी, अंडा, मांस व मछली 12.94 फीसद महंगी हुई।

इस बीच, गैर-खाद्य श्रेणी में फाइबर और खनिज के दाम में क्रमशः 46.77 फीसदी और 16.70 फीसदी की वृद्धि हुई। पेट्रोल की कीमत में तेल मार्केटिंग कंपनियों ने जो वृद्धि की है उसका असर गैर-खाद्य वस्तुओं की कीमत में अभी दिखाई नहीं दे रहा है। तेल कंपनियों ने 16 जनवरी से पेट्रोल की कीमत में 2.50 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि कर दी है।

विश्लेषकों का मानना है कि खाद्य मुद्रास्फीति फरवरी से और भी घटने लगेगी। एचडीएफसी बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री अभीक बरुआ का कहना है, “अभी तक घिर आई मुद्रास्फीति को थमने में दो महीने लगेंगे। इसलिए यह जनवरी व फरवरी में नीचे आएगी। हमें उम्मीद है कि मार्च तक यह 10-12 फीसदी पर पहुंच जाएगी।” उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति के इस माहौल में ब्याज दरों को पक्के दौर पर बढ़ा सकता है।

इसी हफ्ते रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर दुव्वरी सुब्बाराव भी कह चुके हैं कि आरबीआई मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए व्यग्र है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी एक दिन पहले बुधवार को राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिल चुके हैं। इस मुलाकात में उन्होंने कहा कि राज्यों को स्थानीय कारकों पर ध्यान देना होगा क्योंकि थोक और रिटेल मूल्यों का अंतर बढ़ता जा रहा है।

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