कल अचानक जिस तरह की कयासबाज़ी बढ़ गई थी कि रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति की तीसरी त्रैमासिक समीक्षा में ब्याज दरें 0.50 फीसदी बढ़ा सकता है, वह आज मंगलवार को पूरी तरह हवाई निकली। रिजर्व बैंक ने उम्मीद के मुताबिक रेपो और रिवर्स रेपो दर में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी है। अब तत्काल प्रभाव से रेपो दर 6.25 फीसदी से बढ़कर 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो दर 5.25 फीसदी से बढ़कर 5.50 फीसदी हो गई है। अर्थकाम ने विश्लेषकों व अपने सूत्रों के हवाले डंके की चोट पर यह सूचना आपको बीस दिन पहले 5 जनवरी को ही दे दी थी।
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने मंगलवार को जारी नीति वक्तव्य में कहा, “खाद्य मुद्रास्फीति बराबर ऊंचे सस्ते पर बनी हुई है। इसलिए इसके आम मुद्रास्फीति तक फैल जाने की आशंका अब तेजी से हकीकत बनती दीख रही है।” बता दें कि खाद्य मुद्रास्फीति घटने के बावजूद 8 जनवरी को खत्म हफ्ते में 15.52 फीसदी रही है। कुल मुद्रास्फीति की दर नवंबर में 7.48 फीसदी थी, लेकिन दिसंबर में यह बढ़कर 8.43 फीसदी पर पहुंच गई। इसके मद्देनजर मौद्रिक नीति की ताजा समीक्षा में रिजर्व बैंक ने मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.5 फीसदी से एकबारगी बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है। अर्थव्यवस्था (जीडीपी) के विकास के बारे में चालू वित्त वर्ष का अनुमान रिजर्व बैंक ने 8.5 फीसदी पर जस का तस रखा है।
रिजर्व बैंक ने तरलता की स्थिति पर भी पूरा ध्यान दिया है। सीआरआर (नकद आरक्षित अनुपात) को 6 फीसदी पर यथावत रखे जाने के बावजूद उसने बैंकों को अपनी कुल जमा के एक फीसदी हिस्से तक का उधार लेने की सुविधा 8 अप्रैल 2011 तक बढ़ा दी है। यह सुविधा 28 जनवरी को समाप्त हो रही थी। बैंकों को इससे यह फायदा मिलता है कि वे 24 फीसदी एसएलआर के बजाय मान्य सरकारी प्रतिभूतियों में अपना निवेश 23 फीसदी तक भी रख सकते हैं और इस कमी के लिए उन्हें कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी। इसके अलावा रिजर्व बैंक से चलनिधि समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत सुबह और शाम दो बार उधार लेने की सहूलियत भी 8 अप्रैल 2011 तक बढ़ा दी गई है।
रिजर्व बैंक के मौद्रिक उपायों का शेयर बाजार ने स्वागत किया है। खबर लिखे जाते वक्त बीएसई सेंसेक्स 75.94 अंकों की बढ़त के साथ 19,227.22 पर चल रहा था। दस साल के सरकारी बांड के भाव बढ़ गए, जबकि यील्ड उसी अनुपात में घट गई। कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष अम्बरीश बालिगा का कहना है कि ब्याज दर में वृद्धि अपेक्षा के अनुरूप है। लेकिन रिजर्व बैंक ने जिस तरह मार्च 2011 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाया है और अर्थव्यवस्था की समग्र हालत पर उसकी जो सोच है, उसे देखते हुए तो यही लगता है कि वह कभी भी ब्याज दरों में 0.25 फीसदी का इजाफा और कर सकता है।