सार्वजनिक अस्पतालों को चलाने के लिए सरकार को सब्सिडी देनी पड़ती है, जबकि निजी अस्पताल महंगे होने के बावजूद लोगों से पटे रहते हैं और करोड़ों का मुनाफा कमाते हैं। यह मानसिकता और पद्धति का सवाल है। ब्रिटेन में सब्सिडी चलती है तो हेल्थकेयर सिस्टम पिटा पड़ा है। जर्मन में स्वास्थ्य बीमा चलता है तो हेल्थकेयर सिस्टम चकाचक है। भारत में सब घालमेल है। लेकिन ‘जान है तो जहान है’ और परिजनों के लिए कुछ भी करनेवालेऔरऔर भी

निफ्टी गुरुवार को इस सेटलमेंट की समाप्ति से पहले 6290 तक जा सकता है क्योंकि तमाम शॉर्ट सौदे अभी कटने बाकी हैं। जबरदस्त रिकवरी का सेटलमेंट रहा है यह। इसमें निफ्टी 5400 से उठकर 6100 तक पहुंचा है। इसलिए तेजड़िए अपना सारा दम निफ्टी को 6290 तक ले जाने में लगा देंगे। निफ्टी में इससे पहले का उच्चतम स्तर 6337 का रहा है। हालांकि करेक्शन का होना तय है, लेकिन अगले सेटलमेंट से पहले ऐसा नहीं होगा।औरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) बढ़ते-बढ़ते फिर गिरने लगा। कल बीएसई सेंसेक्स 80.71 अंक गिरा तो इसमें तकरीबन आधा, 49.51 फीसदी योगदान रिलांयस का रहा। कितनी विचित्र बात है कि मंगलवार 21 सितंबर को जब सेंसेक्स ने करीब 32 महीने बाद 20,000 आंकड़ा पार किया, उसी दिन से रिलायंस में गिरावट का नया सिलसिला शुरू हुआ है। तरह-तरह की थ्योरी पेश की जा रही है कि निवेशक आरईएल ने निकलकर ओएनजीसी की तरफ जा रहे हैं। दुनिया में भरऔरऔर भी

आईडीबीआई बैंक (बीएसई कोड – 500116, एनएसई कोड – IDBI) में निवेश के बारे में हम पिछले दो महीने से लिख रहे है। चक्री चमत्कार कॉलम में इसे खरीदने की सलाह बराबर दी जाती रही है। 7 जून को जब हमने खुलकर इसे खरीदने को कहा था, तब इसका भाव था 111.90 रुपए। और, यह बढ़ते-बढ़ते कल 52 हफ्ते की चोटी 147.30 रुपए पर पहुंच गया। हालांकि बंद हुआ 146.50 रुपए पर। असल में 1 सितंबर कोऔरऔर भी

रोल्टा इंडिया (बीएसई कोड – 500366, एनएसई कोड – ROLTA) में कुछ खेल चल रहा है। जहां उसमें औसत कारोबार 2.66 लाख शेयरों का रहता था, वहीं कल बीएसई में उसके 14.51 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हुई। हालांकि इसमें से 3.85 लाख (26.56 फीसदी) शेयर ही डिलीवरी के लिए थे यानी 83.46 फीसदी सौदे दिन के दिन में ही काट लिए गए। एनएसई में भी कल इसके 43.91 लाख शेयरों के सौदे हुए हैं जबकि एक दिनऔरऔर भी

देश के सबसे पुराने स्टॉक एक्सचेंज बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) ने मोबाइल पर शेयरों की ट्रेडिंग शुरू करने में सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) से बाजी मार ली है। उसने मंगलवार पर मोबाइल आधारित ट्रेडिंग की शुरुआत कर दी और पहले ही दिन तीस प्रमुख ब्रोकर फर्मों ने उसकी सेवा को अपना लिया है। इसमें शेयरखान, जेएम फाइनेंशियल, एनाम सिक्यूरिटीज, एसटीसीआई कैपिटल, एसएमसी ग्लोबल, एंजेल ब्रोकिंग, मारवाड़ी शेयर्स, मोतीलाल ओसवाल, ज़ेन सिक्यूरिटीज, जेपी कैपिटल,औरऔर भी

इंडियन मेटल एंड फेरो एलॉयज (बीएसई कोड – 533047, एनएसई कोड – IMFA) देश में फेरोक्रोम की सबसे बड़ी निर्माता है। दुनिया में फेरो एलॉयज की सबसे बड़ी निर्माताओं में शुमार है। हमने अपने चक्री चमत्कार कॉलम में सबसे पहले इसका जिक्र इस साल मार्च में किया था। तब इसका 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर 560 रुपए के आसपास चल रहा था। अभी 729 रुपए पर है। इस बीच 4 मई को इसने 899.95 रुपए परऔरऔर भी

रिलायंस इंडस्ट्रीज धीरूभाई के जमाने से ही शेयर बाजार की उस्ताद कंपनी है। शेयर बाजार के ऐसे-ऐसे खेल उसकी अंगुलियों के इशारों पर चलते हैं जिनकी हवा बड़े-बड़ों तक को नहीं लग पाती। इधर उसके शेयर 31 अगस्त को 915 तक जाने के बाद फिर से उठना शुरू हुए हैं और अब 1042.90 रुपए तक चले गए हैं। कैश सेगमेंट में बीएसई में रोजाना का औसत कारोबार 10-11 लाख शेयरों का रहता है तो एनएसई में 70-72औरऔर भी

स्टॉक एक्सचेंजों के स्वामित्व का आधार व्यापक होना चाहिए। उसमें विविधता होनी चाहिए ताकि इन व्यवस्थागत रूप से महत्वपूर्ण संस्थानों को अच्छी तरह चलाया जा सके। यह राय है वित्तीय क्षेत्र की दो शीर्ष नियामक संस्थाओं – भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) की। स्टॉक एक्सचेंज पूंजी बाजार का हिस्सा हैं और उन पर सीधा नियंत्रण सेबी का है। इसलिए बैंकिंग नियामक का उनके स्वामित्व पर दो-टूक राय रखना काफी मायने रखता है।औरऔर भी

जेबीएफ इंडस्ट्रीज (बीएसई कोड – 514034, एनएसई कोड – JBFIND) ने जून 2010 की तिमाही में अकेले दम पर 850.25 करोड़ रुपए की आय पर 31.64 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। अगर उसकी सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात की सब्सिडियरी कंपनियों का भी कारोबार शामिल कर दें तो इस दौरान उसकी समेकित आय 1414.47 रुपए और शुद्ध लाभ 54.86 करोड़ रुपए रहा है। बिक्री की तुलना में उसका लाभ नहीं बढ़ा है। कंपनी का ठीकऔरऔर भी