रोल्टा इंडिया में शुरू हुआ खेल

रोल्टा इंडिया (बीएसई कोड – 500366, एनएसई कोड – ROLTA) में कुछ खेल चल रहा है। जहां उसमें औसत कारोबार 2.66 लाख शेयरों का रहता था, वहीं कल बीएसई में उसके 14.51 लाख शेयरों की ट्रेडिंग हुई। हालांकि इसमें से 3.85 लाख (26.56 फीसदी) शेयर ही डिलीवरी के लिए थे यानी 83.46 फीसदी सौदे दिन के दिन में ही काट लिए गए। एनएसई में भी कल इसके 43.91 लाख शेयरों के सौदे हुए हैं जबकि एक दिन पहले यह मात्रा 6.39 लाख ही थी। यह वोल्यूम कैसे बनाया गया, किसने खरीदा-बेचा, नहीं पता। लेकिन इससे इतना तो पता चलता है कि इसमें ट्रेडरों व अन्य लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है। हो सकता है कि कुछ निहित स्वार्थ इसमें लहर पैदा करने की कोशिश में हों। फिर भी यह हमारे लिए अच्छा है क्योंकि कंपनी वित्तीय रूप से मजबूत है।

यह आईटी सॉफ्टवेयर उद्योग की कंपनी है। उसका ठीक पिछले बारह महीने का ईपीएस (प्रति शेयर लाभ) 22.36 रुपए है और उसका शेयर मात्र 7.80 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है। उसकी बुक वैल्यू 118.10 रुपए है। 10 रुपए अंकित मूल्य का शेयर कल बीएसई में 3.47 फीसदी की बढ़त के साथ 174.40 रुपए और एनएसई में 3.26 फीसदी की बढ़त के साथ 174.30 रुपए पर बंद हुआ है। जाहिर है जब सेंसेक्स 20,000 के पार जाकर 21 के पी/ई अनुपात पर हो, तब ठोस धरातल पर खड़ी किसी कंपनी का शेयर 7.80 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा हो और वह भी बुक वैल्यू से 1.47 गुने पर तो उसे आकर्षक स्टॉक माना ही जाना चाहिए।

रोल्टा में बढ़ी हुई सक्रियता उसके सही मूल्य पर पहुंचने की बेचैनी दिखाती है। इसका शेयर अभी 52 हफ्ते के शिखर 210 रुपए से काफी दूर है जो उसने 1 फरवरी 2010 को हासिल किया था। उसका न्यूनतम स्तर 148.65 रुपए (4 नवंबर 2009) का रहा है। कंपनी का वित्त वर्ष जुलाई से जून तक का है। उसने बीते वित्त वर्ष 2009-10 में 1170.44 करोड़ रुपए की आय पर 360.51 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया था और उसका परिचालन लाभ मार्जिन (ओपीएम) 59.64 फीसदी का था। इसमें से जून 2010 की आखिरी तिमाही में उसकी आय 335.65 करोड़, शुद्ध लाभ 103.50 करोड़ और ओपीएम 58.21 फीसदी रहा है। साल भर पहले की इसी तिमाही की तुलना में उसकी आय बढ़ी है और शुद्ध लाभ में मामूली कमी आई है।

कंपनी की इक्विटी 161.19 करोड़ रुपए है और उसके पास 1743.13 करोड़ रुपए के रिजर्व हैं। इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 41.93 फीसदी है, जबकि एफआईआई के पास इसके 32.25 फीसदी और डीआईआई के पास 2.71 फीसदी शेयर ही हैं। इसलिए थोड़ा जोखिम तो इसमें यह है कि एफआईआई इसे मनचाहे तरीके से उठा-पटक सकते हैं। फिर भी उनका इतना निवेश यह तो दिखाता है कि कंपनी की ताकत में उनका भरोसा है। मेरा अपना मानना कि इस समय रोल्टा इंडिया पर दांव खेला जा सकता है। बाकी फैसला आपको करना है और इसका एक ही सूत्र है कि सुनो सबकी, करो अपने मन की।

बाकी चर्चा-ए-खास यह है कि ब्रशमैन इंडिया में कल 5 फीसदी गिरने के बाद निचला सर्किट ब्रेकर लग गया। लेकिन कंपनी के ऋण का मसला सुलझा लिया गया है। एशियन पेंट्स इसे खरीदने जा रही है। ब्रशमैन में प्रवर्तक तो गायब हैं क्योंकि उनके पास केवल 1.71 फीसदी इक्विटी है। बाजार के एक नामी खिलाड़ी के पास इसके 32 फीसदी शेयर हैं जो उसने 100 रुपए से अधिक के भाव पर खरीदे हैं, जबकि शेयर अभी 10 रुपए से भी नीचे चल रहा है। जो लोग ज्यादा जोखिम उठाना चाहते हैं वे ब्रशमैन पर दांव लगा सकते हैं।

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