जेबीएफ इंडस्ट्रीज (बीएसई कोड – 514034, एनएसई कोड – JBFIND) ने जून 2010 की तिमाही में अकेले दम पर 850.25 करोड़ रुपए की आय पर 31.64 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ कमाया है। अगर उसकी सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात की सब्सिडियरी कंपनियों का भी कारोबार शामिल कर दें तो इस दौरान उसकी समेकित आय 1414.47 रुपए और शुद्ध लाभ 54.86 करोड़ रुपए रहा है। बिक्री की तुलना में उसका लाभ नहीं बढ़ा है। कंपनी का ठीक पिछले बारह महीनों का ईपीएस 16.59 रुपए है और उसका शेयर इस समय 9.91 के पी/ई अनुपात पर ट्रेड हो रहा है।
शुक्रवार को इसका शेयर बीएसई में मामूली बढ़त के साथ 164.45 रुपए पर बंद हुआ है। वैसे, पूरे सितंबर महीने में अब तक वह बढ़ता रहा है। 31 अगस्त को वह 144.75 रुपए पर बंद हुआ था। इसके बाद वह हर दिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ता रहा है। करीब दो हफ्ते में वह 13.6 फीसदी बढ चुका है। लेकिन आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज का कहना है कि अभी इसमें कम से कम 10 फीसदी बढ़त और हो सकती है। वास्तव में क्या होगा, यह तो इस शेयर में खरीद व दिलचस्पी के बढ़ने के तय होगा। लेकिन कंपनी ठोस धरातल पर खड़ी है। उसके शेयर की बुक वैल्यू अभी 116.89 रुपए है। इस तरह शेयर अपनी बुक वैल्यू से 1.4 गुने पर है जिसे सस्ता माना जा सकता है।
वैसे, टेक्सटाइल उद्योग में ज्यादातर शेयर ऐसे ही सस्ते चल रहे हैं। जैसे, आलोक इंडस्ट्रीज का पी/ई अनुपात 4.74, ग्रासिम इंडस्ट्रीज का 11.46 और गार्डन सिल्क का पी/ई अनुपात महज 7.29 चल रहा है। इसका मतलब यही हुआ कि निवेशक टेक्सटाइल सेक्टर को लेकर तेजी की धारणा नहीं रखते। हालांकि उद्योग के लिहाज से इसकी मांग तो हमेशा बनी ही रहेगी। वैश्विक बाजार की सुस्ती से निर्यात कारोबार पर जरूर असर पड़ा है। लेकिन अपना घरेलू बाजार ही इतना बड़ा है कि इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
जेबीएफ इंडस्ट्रीज पॉलिएस्टर चिप्स और पार्शियली ओरिएंटेड यार्न (पीओवाई) बनाती है। इस उद्योग में देश के पांच बड़े निर्माताओं में शुमार है। उसके उत्पाद कपड़ों के अलावा पेट (पॉलि इथेलीन टेरप्थलेट) बोतलें बनाने में काम आते हैं। कंपनी का प्रबंधन कम लागत में बेहतर माल बनाने की सोच रखता है। इसीलिए उसे जब लगा कि संयुक्त अरब अमीरात में संयंत्र लगाना 20-25 फीसदी सस्ता पड़ता है तो उसने वहां भी अपनी इकाई डाल दी जहां से वह अमेरिका, यूरोप और खाड़ी के देशों को निर्यात करती है। देश में कंपनी के दो संयंत्र अथोला (सिलवासा) और सरिग्राम (गुजरात) में हैं। वह ओमान में वहां की सरकारी तेल कंपनी के साथ एक नया संयंत्र लगा रही है।
कंपनी की 62.24 करोड़ रुपए की इक्विटी में प्रवर्तकों का हिस्सा 47.45 फीसदी है, जबकि एफआईआई के पास उसके 1.30 फीसदी और डीआईआई के पास 5.74 फीसदी शेयर हैं। बाकी 45.51 फीसदी शेयर आम निवेशकों के पास हैं। कंपनी के कुल शेयरधारकों की संख्या 26,516 है। एलआईसी के पास कंपनी के 5.51 फीसदी शेयर हैं। अभी तक सिटीग्रुप वेंचर कैपिटल, मॉरीशस ने कंपनी में 20.48 फीसदी इक्विटी निवेश कर रखा था। लेकिन जुलाई माह में उसने 15.33 फीसदी इक्विटी (करीब 91 लाख शेयर) बेच दी। 21 जुलाई को जब यह सौदा हुआ था तब जेबीएफ का शेयर 136 रुपए पर था। अब 164 रुपए के ऊपर है। इससे पता चलता है कि इस बिक्री का उसकी सेहत पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ा है।